अब सरकार ने बताया, तब ऐसे ही कृषि कानून लाना चाहते थे राहुल गांधी, शरद पवार, योगेंद्र यादव:

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कृषि कानून के खिलाफ किसान संगठनों ने 8 दिसंबर, मंगलवार को भारत बंद का ऐलान किया है। इस भारत बंद को समूचे विपक्ष का समर्थन मिल रहा है और राजनीति भी खूब हो रही है। सोमवार को सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री रविशंकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और किसान के मुद्दे पर विपक्ष के दोहरे रुख का पर्दाफाश किया। रविशंकर ने बताया कि किस तरह कांग्रेस पार्टी, राहुल गांधी, शरद पवार और अखिलेश यादव पहले इसी तरह के सुधानों की वकालत कर चुके हैं। रविशंकर का आरोप है कि ये विपक्षी दल अपने वजूद बचाने के लिए किसान आंदोलन में कूद हैं।



रविशंकर प्रसाद ने कहा, किसानों से संबंधित सुधारों को लेकर जो कानून बने हैं, उसको लेकर कुछ किसान संगठनों ने जो शंका उठायी है उसके लिए चर्चा हो रही है, वो चर्चा की अपनी प्रक्रिया है जो सरकार कर रही है। लेकिन अचानक तमाम विपक्षी या गैर भाजपाई दल कूद गए हैं। आज जब कांग्रेस का राजनीतिक वजूद खत्म हो रहा है, ये बार-बार चुनाव में हारते हैं चाहे वो लोकसभा हो, विधानसभा हो या नगर निगम चुनाव हो। ये अपना अस्तित्व बचाने के लिए किसी भी विरोधी आंदोलन में शामिल हो जाते हैं। किसान आंदोलन के नेताओं ने साफ-साफ कहा है कि राजनीतिक लोग हमारे मंच पर नहीं आएंगे। हम उनकी भावनाओं का सम्मान करते हैं। लेकिन ये सभी कूद रहे हैं, क्योंकि इन्हें भाजपा और नरेन्द्र मोदी जी का विरोध करने का एक और मौका मिल रहा है।


कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी, शिवसेना, टीएमसी, आरजेडी, टीआरएस, वाम दल बंद को समर्थन देने का ऐलान कर चुके हैं। इन राजनीतिक दलों ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा है कि वे 8 दिसंबर को सड़कों पर उतर कर किसानों के प्रति समर्थन व्यक्त करें। इस बीच, सोमवार को दिन भी भारी गहमागहमी वाला रहने वाला है। अखिलेश यादव ने रैली निकालते हुए लखनऊ से कन्नौज जाने का ऐलान किया है। पुलिस प्रसाशन इसे रोकने में लगा है। वहीं मायावती ने भी ट्वीट कर तीनों कानूनों को किसानों के खिलाफ बताते हुए वापस लेने की मांग कर दी है। इधर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल थोड़ी देर में सिंधु बॉर्डर पहुंचे। उन्होंने किसानों का समर्थन किया और कहा कि यहां एक मुख्यमंत्री के नाते नहीं बल्कि सेवादार के नाते आए हैं।

किसान आंदोलन पर केजरीवाल की किरकिरी: दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार को अजीब स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, अरविंंद केजरीवाल अब किसानों के साथ खड़े होने की बात कह रहे हैं, अपने कार्यकर्ताओं से कहा है कि वे भारत बंद के दौरान सड़कों पर उतरें, लेकिन इसी साल 23 नवंबर को तीनों कृषि कानूनों के समर्थन में गजट नोटिफिकेशन जारी किया था। अब केजरीवाल पलट गए हैं और कानूनों का विरोध कर रहे हैं। आरोप है कि पूरे मामले में आप सरकार राजनीति कर रही है।



जानिए भारत बंद के दौरान क्या क्या होगा

    किसानों ने 3 बजे तक चक्काजाम करने की बात कही है।

    इस दौरान एंबुलेंस और शादी से जुड़े वाहनों को छोड़कर बाकी सब वाहन बंद रहेंगे।

    इस दौरान दूध और सब्जियों की गाड़ियों भी रोकी जाएंगी।

   इसके अलावा दिनभर विरोध प्रदर्शन जारी रहेंगे।

केंद्र को चिंता सता रही है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा न भड़क जाए, क्योंकि शिवसेना ने सामना में ऐसी ही धमकी दी है। लिखा है कि यह विरोध प्रदर्शन किसी भी समय विस्फोटक हो सकता है। शिवसेना का आरोप है कि केंद्र सरकार से अब हालात नहीं संभल रहे हैं। वह बातचीत के नाम पर टाइमपास कर रही है। किसानों की एकता में फूट डालने की कोशिश हो रही है।



मायावती का ट्वीट: 'कृषि से सम्बंधित तीन नये कानूनों की वापसी को लेकर पूरे देश भर में किसान आन्दोलित हैं व उनके संगठनों ने दिनांक 8 दिसम्बर को ’’भारत बंद’’ का जो एलान किया है, बी.एस.पी उसका समर्थन करती है। साथ ही, केन्द्र से किसानों की माँगों को मानने की भी पुनः अपील।'।



कृषि कानून के खिलाफ किसान संगठनों ने 8 दिसंबर, मंगलवार को भारत बंद का ऐलान किया है। इस भारत बंद को समूचे विपक्ष का समर्थन मिल रहा है और राजनीति भी खूब हो रही है। सोमवार को सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री रविशंकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और किसान के मुद्दे पर विपक्ष के दोहरे रुख का पर्दाफाश किया। रविशंकर ने बताया कि किस तरह कांग्रेस पार्टी, राहुल गांधी, शरद पवार और अखिलेश यादव पहले इसी तरह के सुधानों की वकालत कर चुके हैं। रविशंकर का आरोप है कि ये विपक्षी दल अपने वजूद बचाने के लिए किसान आंदोलन में कूद हैं।



रविशंकर प्रसाद ने कहा, किसानों से संबंधित सुधारों को लेकर जो कानून बने हैं, उसको लेकर कुछ किसान संगठनों ने जो शंका उठायी है उसके लिए चर्चा हो रही है, वो चर्चा की अपनी प्रक्रिया है जो सरकार कर रही है। लेकिन अचानक तमाम विपक्षी या गैर भाजपाई दल कूद गए हैं। आज जब कांग्रेस का राजनीतिक वजूद खत्म हो रहा है, ये बार-बार चुनाव में हारते हैं चाहे वो लोकसभा हो, विधानसभा हो या नगर निगम चुनाव हो। ये अपना अस्तित्व बचाने के लिए किसी भी विरोधी आंदोलन में शामिल हो जाते हैं। किसान आंदोलन के नेताओं ने साफ-साफ कहा है कि राजनीतिक लोग हमारे मंच पर नहीं आएंगे। हम उनकी भावनाओं का सम्मान करते हैं। लेकिन ये सभी कूद रहे हैं, क्योंकि इन्हें भाजपा और नरेन्द्र मोदी जी का विरोध करने का एक और मौका मिल रहा है।


कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी, शिवसेना, टीएमसी, आरजेडी, टीआरएस, वाम दल बंद को समर्थन देने का ऐलान कर चुके हैं। इन राजनीतिक दलों ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा है कि वे 8 दिसंबर को सड़कों पर उतर कर किसानों के प्रति समर्थन व्यक्त करें। इस बीच, सोमवार को दिन भी भारी गहमागहमी वाला रहने वाला है। अखिलेश यादव ने रैली निकालते हुए लखनऊ से कन्नौज जाने का ऐलान किया है। पुलिस प्रसाशन इसे रोकने में लगा है। वहीं मायावती ने भी ट्वीट कर तीनों कानूनों को किसानों के खिलाफ बताते हुए वापस लेने की मांग कर दी है। इधर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल थोड़ी देर में सिंधु बॉर्डर पहुंचे। उन्होंने किसानों का समर्थन किया और कहा कि यहां एक मुख्यमंत्री के नाते नहीं बल्कि सेवादार के नाते आए हैं।

किसान आंदोलन पर केजरीवाल की किरकिरी: दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार को अजीब स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, अरविंंद केजरीवाल अब किसानों के साथ खड़े होने की बात कह रहे हैं, अपने कार्यकर्ताओं से कहा है कि वे भारत बंद के दौरान सड़कों पर उतरें, लेकिन इसी साल 23 नवंबर को तीनों कृषि कानूनों के समर्थन में गजट नोटिफिकेशन जारी किया था। अब केजरीवाल पलट गए हैं और कानूनों का विरोध कर रहे हैं। आरोप है कि पूरे मामले में आप सरकार राजनीति कर रही है।



जानिए भारत बंद के दौरान क्या क्या होगा

    किसानों ने 3 बजे तक चक्काजाम करने की बात कही है।

    इस दौरान एंबुलेंस और शादी से जुड़े वाहनों को छोड़कर बाकी सब वाहन बंद रहेंगे।

    इस दौरान दूध और सब्जियों की गाड़ियों भी रोकी जाएंगी।

   इसके अलावा दिनभर विरोध प्रदर्शन जारी रहेंगे।

केंद्र को चिंता सता रही है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा न भड़क जाए, क्योंकि शिवसेना ने सामना में ऐसी ही धमकी दी है। लिखा है कि यह विरोध प्रदर्शन किसी भी समय विस्फोटक हो सकता है। शिवसेना का आरोप है कि केंद्र सरकार से अब हालात नहीं संभल रहे हैं। वह बातचीत के नाम पर टाइमपास कर रही है। किसानों की एकता में फूट डालने की कोशिश हो रही है।



मायावती का ट्वीट: 'कृषि से सम्बंधित तीन नये कानूनों की वापसी को लेकर पूरे देश भर में किसान आन्दोलित हैं व उनके संगठनों ने दिनांक 8 दिसम्बर को ’’भारत बंद’’ का जो एलान किया है, बी.एस.पी उसका समर्थन करती है। साथ ही, केन्द्र से किसानों की माँगों को मानने की भी पुनः अपील।'।



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