रायपुर । ऐसे
सेक्टर जो आज देश की अर्थव्यवस्था में अपना अहम योगदान दे रहे हैं, वैसे
सेक्टर में भारत सरकार अब रोजगार के अवसर नहीं देख रही है। इन सेक्टर में
टेलीकम्यूनिकेशन, बैंकिंग फाइनेंस, एनिमेशन और मल्टीमीडिया ट्रेड, आइटी,
एग्रीकल्चर, आटोमोबाइल, रिटेल, ब्यूटी वेलनेस और इलेक्ट्रानिक्स एंड
हार्डवेयर इत्यादि प्रमुख हैं। चार साल पहले स्कूली शिक्षा में इन्हें
हेल्थ केयर व्यावसायिक पाठ्यक्रम (वोकेशनल कोर्स) के रूप में शुरू किया गया
था।
546 स्कूलों मे कोर्स, प्रशिक्षकों का छिनेगा रोजगार
अकेले छत्तीसगढ़ के 546 स्कूलों में ये कोर्स चलाए जा रहे थे। नौवीं से 12
वीं तक के डेढ़ लाख से अधिक बच्चे पढ़ाई के साथ व्यावसायिक दक्षता प्राप्त कर
रहे थे। 300 से अधिक प्रशिक्षक इन पाठ्यक्रमों की पढ़ाई करा रहे थे। अब सरकार के आदेश के बाद इन शिक्षकों के हाथों से रोजगार तो छिनेगा
ही, पढ़ाई के साथ बच्चों को व्यवसायिक दक्षता देने का माता-पिता का सपना भी
चूर-चूर हो जाएगा।
जिस सेक्टर में रोजगार की संभावनाएं कम उसे बंद किया जाता है
स्कूल
शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिस सेक्टर में रोजगार की
संभावनाएं कम हैं उस पाठ्यक्रम को बंद किया जाता है। बता दें कि स्कूल
शिक्षा विभाग के समग्र शिक्षा के अंतर्गत प्रदेश के 546 स्कूलों में पिछले
पांच साल से हेल्थ केयर की पढ़ाई कराई जा रही थी। कक्षा नौवीं से 12वीं तक
के बच्चों को हेल्थ केयर समेत टेलीकम्यूनिकेशन, बैंकिंग फाइनेंस, एनिमेशन
और मल्टीमीडिया ट्रेड, आइटी, एग्रीकल्चर, आटोमोबाइल, रिटेल, ब्यूटी वेलनेस
और इलेक्ट्रानिक्स एंड हार्डवेयर पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है। इन ट्रेडस में
डेढ़ लाख से अधिक बच्चे पढ़ रहे हैं।
अकेले हेल्थ केयर में 30 हजार बच्चे
जानकारी
के अनुसार 30 हजार बच्चे अकेले हेल्थ केयर में पढ़ रहे हैं। इन बच्चों को
दूसरे ट्रेड में मर्ज करने के लिए कहा जा रहा है। वहीं बताया जाता है कि
केंद्र सरकार ने स्कूल छोड़ चुके बच्चों और युवाओं को रोजगारपरक शिक्षा से
जोड़ने के लिए पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में छत्तीसगढ़ के 86 स्कूलों में नए
सत्र से स्किल हब इनिशिएटिव कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा की है। हेल्थ
केयर पाठ्यक्रम स्किल हब इनिशिएटिव कार्यक्रम के तहत शुरू किया जा सकता है।
प्रदेश के 300 हाई-हायर सेकेंडरी स्कूल में चल रहा था कोर्स
प्रदेश
के 300 हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों में हर कक्षा में 40 सीटों के लिए
हेल्थ केयर की पढ़ाई कराई जा रही है। इनमें करीब सीधे 30 हजार छात्र
प्रभावित होंगे। इन स्कूलों में इन पाठ्यक्रमों को पढ़ाने के लिए व्यावसायिक
प्रशिक्षकों को आउटसोर्सिंग कंपनी के माध्यम से नियुक्त किया गया है।
छह महीने पहले से ही नहीं मिल रही सैलरी
इधर,
प्रशिक्षकों ने बताया कि पिछले छह महीने से कुछ प्रशिक्षकों को वेतन नहीं
मिल रहा है। छत्तीसगढ़ नवीन व्यवसायिक प्रशिक्षक कल्याण संघ के पदाधिकारियों
ने कहा है कि सैलरी नहीं मिलने पर उग्र आंदोलन किया जाएगा।
किसी प्रशिक्षक की सरकारी नौकरी नही थी
व्यावसायिक पाठ्यक्रम में किसी प्रशिक्षक को सरकारी नौकरी नहीं दी गई
है। ये कंपनियों के माध्यम से बच्चों को पढ़ा रहे थे। हेल्थकेयर को फिलहाल
बंद करने को कहा जा रहा है। प्रदेश में जिस सेक्टर में रोजगार की संभावनाएं
हैं ,राज्य सरकार ने 12वीं के साथ-साथ आइटीआइ भी करने की रोजगारमूलक
कार्यक्रम की शुरूआत की है। माध्यमिक शिक्षा मंडल के माध्यम से आइटीआइ व
12वीं का प्रमाणपत्र एक साथ दिया जाएगा।
- डा. आलोक शुक्ला, प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा , छत्तीसगढ़
रायपुर । ऐसे
सेक्टर जो आज देश की अर्थव्यवस्था में अपना अहम योगदान दे रहे हैं, वैसे
सेक्टर में भारत सरकार अब रोजगार के अवसर नहीं देख रही है। इन सेक्टर में
टेलीकम्यूनिकेशन, बैंकिंग फाइनेंस, एनिमेशन और मल्टीमीडिया ट्रेड, आइटी,
एग्रीकल्चर, आटोमोबाइल, रिटेल, ब्यूटी वेलनेस और इलेक्ट्रानिक्स एंड
हार्डवेयर इत्यादि प्रमुख हैं। चार साल पहले स्कूली शिक्षा में इन्हें
हेल्थ केयर व्यावसायिक पाठ्यक्रम (वोकेशनल कोर्स) के रूप में शुरू किया गया
था।
546 स्कूलों मे कोर्स, प्रशिक्षकों का छिनेगा रोजगार
अकेले छत्तीसगढ़ के 546 स्कूलों में ये कोर्स चलाए जा रहे थे। नौवीं से 12
वीं तक के डेढ़ लाख से अधिक बच्चे पढ़ाई के साथ व्यावसायिक दक्षता प्राप्त कर
रहे थे। 300 से अधिक प्रशिक्षक इन पाठ्यक्रमों की पढ़ाई करा रहे थे। अब सरकार के आदेश के बाद इन शिक्षकों के हाथों से रोजगार तो छिनेगा
ही, पढ़ाई के साथ बच्चों को व्यवसायिक दक्षता देने का माता-पिता का सपना भी
चूर-चूर हो जाएगा।
जिस सेक्टर में रोजगार की संभावनाएं कम उसे बंद किया जाता है
स्कूल
शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिस सेक्टर में रोजगार की
संभावनाएं कम हैं उस पाठ्यक्रम को बंद किया जाता है। बता दें कि स्कूल
शिक्षा विभाग के समग्र शिक्षा के अंतर्गत प्रदेश के 546 स्कूलों में पिछले
पांच साल से हेल्थ केयर की पढ़ाई कराई जा रही थी। कक्षा नौवीं से 12वीं तक
के बच्चों को हेल्थ केयर समेत टेलीकम्यूनिकेशन, बैंकिंग फाइनेंस, एनिमेशन
और मल्टीमीडिया ट्रेड, आइटी, एग्रीकल्चर, आटोमोबाइल, रिटेल, ब्यूटी वेलनेस
और इलेक्ट्रानिक्स एंड हार्डवेयर पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है। इन ट्रेडस में
डेढ़ लाख से अधिक बच्चे पढ़ रहे हैं।
अकेले हेल्थ केयर में 30 हजार बच्चे
जानकारी
के अनुसार 30 हजार बच्चे अकेले हेल्थ केयर में पढ़ रहे हैं। इन बच्चों को
दूसरे ट्रेड में मर्ज करने के लिए कहा जा रहा है। वहीं बताया जाता है कि
केंद्र सरकार ने स्कूल छोड़ चुके बच्चों और युवाओं को रोजगारपरक शिक्षा से
जोड़ने के लिए पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में छत्तीसगढ़ के 86 स्कूलों में नए
सत्र से स्किल हब इनिशिएटिव कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा की है। हेल्थ
केयर पाठ्यक्रम स्किल हब इनिशिएटिव कार्यक्रम के तहत शुरू किया जा सकता है।
प्रदेश के 300 हाई-हायर सेकेंडरी स्कूल में चल रहा था कोर्स
प्रदेश
के 300 हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों में हर कक्षा में 40 सीटों के लिए
हेल्थ केयर की पढ़ाई कराई जा रही है। इनमें करीब सीधे 30 हजार छात्र
प्रभावित होंगे। इन स्कूलों में इन पाठ्यक्रमों को पढ़ाने के लिए व्यावसायिक
प्रशिक्षकों को आउटसोर्सिंग कंपनी के माध्यम से नियुक्त किया गया है।
छह महीने पहले से ही नहीं मिल रही सैलरी
इधर,
प्रशिक्षकों ने बताया कि पिछले छह महीने से कुछ प्रशिक्षकों को वेतन नहीं
मिल रहा है। छत्तीसगढ़ नवीन व्यवसायिक प्रशिक्षक कल्याण संघ के पदाधिकारियों
ने कहा है कि सैलरी नहीं मिलने पर उग्र आंदोलन किया जाएगा।
किसी प्रशिक्षक की सरकारी नौकरी नही थी
व्यावसायिक पाठ्यक्रम में किसी प्रशिक्षक को सरकारी नौकरी नहीं दी गई
है। ये कंपनियों के माध्यम से बच्चों को पढ़ा रहे थे। हेल्थकेयर को फिलहाल
बंद करने को कहा जा रहा है। प्रदेश में जिस सेक्टर में रोजगार की संभावनाएं
हैं ,राज्य सरकार ने 12वीं के साथ-साथ आइटीआइ भी करने की रोजगारमूलक
कार्यक्रम की शुरूआत की है। माध्यमिक शिक्षा मंडल के माध्यम से आइटीआइ व
12वीं का प्रमाणपत्र एक साथ दिया जाएगा।
- डा. आलोक शुक्ला, प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा , छत्तीसगढ़