बिलासपुर। गर्मी का सबसे स्वादिष्ट चेंज भाजी बिलासपुर
के चिल्हर बाजार में पहुंच गई है। वनस्पति विशेषज्ञों के मुताबिक यह भाजी
पेट साफ करने के साथ भूख बढ़ाने में सक्षम है। रेलवे मार्केट बुधवारी,
बृहस्पति और शनिचरी बाजार में 60 रुपये प्रतिकिलो भाव बिक रही है। इसके
अलावा लाल, बर्रे(कुसुम), पालक, चौलाई, बथुआ व पालक भाजी बाजार में उपलब्ध
है। गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के वनस्पति शास्त्र विभाग के
विभागाध्यक्ष डा. अश्विनी शुक्ला के मुताबिक चेच झाड़ीदार पौधों की श्रेणी
में आता है।
गर्मी के दिनों में सब्जी के रूप में इसे बड़े चाव से
खाया जाता है। दाल, चावल और चेज भाजी मिल जाए तो स्वाद का क्या कहना। औषधि
के रूप में भी इसे खूब पसंद किया जाता है। यह अपने कई विशिष्ट गुणों के
कारण घरों में सबकी पसंद है। इसकी मुलायम एवं चिकनी पत्तियों को तोड़कर
सब्जी भाजी के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसकी पत्तियों को सलाद, सूप और
अन्य सब्जियों के साथ मिलाकर भी बनाया जाता है। छत्तीसगढ़ में चेच भाजी अब
मार्च से लेकर सितंबर तक मिलती है। जबकि पहले जून से सितंबर-अक्टूबर तक ही
बिकती थी। अब यहां किसान अपनी बाड़ी में आसानी से उगाने लगे हैं।
ओडिशा, झारखंड व बिहार में भी मांग
इस भाजी की
डिमांड छत्तीसगढ़ के अलावा ओडिशा, झारखंड व बिहार में भी है। यहां के किसान
अपनी बाड़ी में इसे उगाते हैं। आदिवासियों के भोजन का मुख्य स्त्रोत माना
जाता है। यह जंगली इलाकों में अधिकतर मिलती है। इसकी प्रति 100 ग्राम खाने
योग्य पत्तियों में 81.4 ग्राम पानी, खनिज 2.7 ग्राम, 5.1 ग्राम प्रोटीन,
कैल्शियम 241 मिग्रा. एवं फॉस्फोरस 83 मिग्रा.आदि पाई जाती है। औषधीय
महत्व में इसकी पत्तियां मूत्र वर्धक होती हैं तथा पेट साफ करने के लिए
उपयोगी पाई गई है। इसकी पत्तियों का प्रयोग भूख और शक्ति बढ़ाने के लिए अहम
माना जाता है। हालांकि कोई भी भाजी का सेवन करने से पूर्व अपने चिकित्सक
से परामर्श जरूर लेना चाहिए।
बिलासपुर। गर्मी का सबसे स्वादिष्ट चेंज भाजी बिलासपुर
के चिल्हर बाजार में पहुंच गई है। वनस्पति विशेषज्ञों के मुताबिक यह भाजी
पेट साफ करने के साथ भूख बढ़ाने में सक्षम है। रेलवे मार्केट बुधवारी,
बृहस्पति और शनिचरी बाजार में 60 रुपये प्रतिकिलो भाव बिक रही है। इसके
अलावा लाल, बर्रे(कुसुम), पालक, चौलाई, बथुआ व पालक भाजी बाजार में उपलब्ध
है। गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के वनस्पति शास्त्र विभाग के
विभागाध्यक्ष डा. अश्विनी शुक्ला के मुताबिक चेच झाड़ीदार पौधों की श्रेणी
में आता है।
गर्मी के दिनों में सब्जी के रूप में इसे बड़े चाव से
खाया जाता है। दाल, चावल और चेज भाजी मिल जाए तो स्वाद का क्या कहना। औषधि
के रूप में भी इसे खूब पसंद किया जाता है। यह अपने कई विशिष्ट गुणों के
कारण घरों में सबकी पसंद है। इसकी मुलायम एवं चिकनी पत्तियों को तोड़कर
सब्जी भाजी के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसकी पत्तियों को सलाद, सूप और
अन्य सब्जियों के साथ मिलाकर भी बनाया जाता है। छत्तीसगढ़ में चेच भाजी अब
मार्च से लेकर सितंबर तक मिलती है। जबकि पहले जून से सितंबर-अक्टूबर तक ही
बिकती थी। अब यहां किसान अपनी बाड़ी में आसानी से उगाने लगे हैं।
ओडिशा, झारखंड व बिहार में भी मांग
इस भाजी की
डिमांड छत्तीसगढ़ के अलावा ओडिशा, झारखंड व बिहार में भी है। यहां के किसान
अपनी बाड़ी में इसे उगाते हैं। आदिवासियों के भोजन का मुख्य स्त्रोत माना
जाता है। यह जंगली इलाकों में अधिकतर मिलती है। इसकी प्रति 100 ग्राम खाने
योग्य पत्तियों में 81.4 ग्राम पानी, खनिज 2.7 ग्राम, 5.1 ग्राम प्रोटीन,
कैल्शियम 241 मिग्रा. एवं फॉस्फोरस 83 मिग्रा.आदि पाई जाती है। औषधीय
महत्व में इसकी पत्तियां मूत्र वर्धक होती हैं तथा पेट साफ करने के लिए
उपयोगी पाई गई है। इसकी पत्तियों का प्रयोग भूख और शक्ति बढ़ाने के लिए अहम
माना जाता है। हालांकि कोई भी भाजी का सेवन करने से पूर्व अपने चिकित्सक
से परामर्श जरूर लेना चाहिए।