Breaking News

news bilaspur:: सिम्स में बढ़ रहा दबाव, तो प्रबंधन ने लिखा पत्र— सामान्य मरीज न भेजे स्वास्थ्य केंद्र:

post

 बिलासपुर। जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य
केंद्र
के साथ अन्य सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ चिकित्सक मरीजों के इलाज
में रुचि नहीं ले रहे हैं। यह कहना सिम्स प्रबंधन का है। इसी को लेकर
स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखकर आग्रह किया गया है कि विभाग अपने चिकित्सकों
से काम लें, क्योंकि जब भी इन केंद्रों में मरीज पहुंच रहे हैं तो
ज्यादातर मामलों में बिना इलाज किए ही उन्हें सिम्स रेफर कर दिया जा रहा
है। जबकि मरीज पूरी तरह से सामान्य रहता है। जिसका घर बैठे आसानी से
इलाज हो सकता हैं। लेकिन बेवजह सिम्स भेज देने से मरीज का दबाव भी बढ़ता जा
रहा है। जिससे मरीज़ो को स्तरीय इलाज देने में दिक्कतों का सामना भी करना पड़
रहा है। सिम्स की प्रतिदिन की ओपीडी 1200 से 1500 तक है। इसमे
रोजाना कम से कम 50 से 60 मरीज ऐसे होते हैं, जिन्हें भर्ती करने की
आवश्यकता पड़ती है। इसी तरह रोजाना आपातकालीन में आने वाले मामलो में भी 15
से 20 मरीज को भर्ती करना पड़ता है। ऐसे में अक्सर मेडिकल वार्ड, आइसोलेशन
वार्ड,


गायनिक वार्ड, एआइसीयू मरीज़ों से भरा रहता है। ऐसे हालत में जिले के
सरकारी अस्पताल के चिकित्सक भी मरीजों को रेफर करने का खेल खेलते हैं। जब
मरीज सिम्स पहुंचता है तो ज्यादातर मामलों में यह पता चलता है कि मरीज
सामान्य बीमारी से ग्रसित है, इसे भर्ती करने की जरूरत ही नहीं थी,
जबरदस्ती इलाज न करने के चक्कर में मरीज को सिम्स भेजा जा रहा है। रेफर केस
होने की वजह से नियमानुसार भर्ती करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इसकी
वजह से अक्सर कई वार्ड फुल हो जाते हैं और पहुंचने वाले गंभीर मरीज का इलाज
करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वहीं अब सरकारी चिकित्सकों के
मरीज के इलाज के प्रति अरुचि और रेफर करने
के खेल को सिम्स प्रबंधन ने गंभीरता से लिया है। इसी को लेकर स्वास्थ्य
विभाग को पत्र लिखकर साफ किया गया है, अपने चिकित्सकों के टाइट करें और
बेवजह रेफर के खेल को बंद कराया जाए, ताकि सिम्स में अनावश्यक मरीज का दबाव
न बढ़े और सभी को इलाज मिल सके।

उल्टी-दस्त, फूड पायजनिंग, बुखार जैसे सामान्य मरीज भी कर देते हैं रेफर 

यह बात भी सामने आई है कि सबसे ज्यादा रेफर कोटा व रतनपुर क्षेत्र से
किया जाता है। जबकि दोनों जगह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का संचालन हो रहा
है। जहां पर अच्छी चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराई गई है। चिकित्सक भी पदस्थ
है। लेकिन कामचोरी की वजह से इन दोनों केंद्रों से सबसे ज्यादा मरीज रेफर
किया जाता है।

मेडिसीन वार्ड फुल होने से झेल रहे परेशानी 

पिछले दो दिनों से सिम्स का 150 बिस्तर का मेडिकल वार्ड फुल चल रहा है।
जिसमें 50 से ज्यादा रेफर केस हैं। जिसमें से ज्यादातर को भर्ती करने की
आवश्यकता भी नहीं है। वहीं वार्ड फुल होने की वजह से सिर्फ गंभीर मरीज को
ही भर्ती कर उपचार किया जा रहा है। जिससे चिकित्सकों को भी मरीज के इलाज
में परेशानी का सामना करना पड़ रहा।


मातृ शिशु अस्पताल से भी रेफर

100
बेड के मातृ शिशु अस्पताल को सुरक्षित प्रसव कराने के साथ ही महिला व
बच्चों से संबंधित बीमारी के इलाज के लिए तैयार किया गया है। यहां सभी
चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध है। विशेषज्ञ चिकित्सक भी है। इसके बाद भी
ज्यादातर प्रसव के मामलों को हाई रिस्क बताकर सिम्स भेज दिया जाता है।
अक्सर इस तरह के मामले रात में होते हैं। जहां दुइटी करने वाले चिकित्सक
काम नहीं करना चाहते हैं और सिर्फ रेफर का खेल खेलते हैं।

इन्होंने कहा— सिम्स
में लगातार मरीजो का दबाव बढ़ता जा रहा है। ऐसे में अक्सर कई वार्ड फूल
चलते हैं। इस दौरान बेवजह का रेफर मामले स्तिथि को और भी बिगाड़ देते हैं।
ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखकर बेवजह किए जाने वाले रेफर पर लगाम
लगाने को कहा गया है।

डा. नीरज शिंदे, एमएस सिम्स

पदस्थ चिकित्सकों को कहा गया है कि वे मरीजो का स्तरीय उपचार करें। बेवजह मरीज रेफर नहीं किया जाए। अन्यथा कार्रवाई की जाएगी।


 

 

 


 बिलासपुर। जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य
केंद्र
के साथ अन्य सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ चिकित्सक मरीजों के इलाज
में रुचि नहीं ले रहे हैं। यह कहना सिम्स प्रबंधन का है। इसी को लेकर
स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखकर आग्रह किया गया है कि विभाग अपने चिकित्सकों
से काम लें, क्योंकि जब भी इन केंद्रों में मरीज पहुंच रहे हैं तो
ज्यादातर मामलों में बिना इलाज किए ही उन्हें सिम्स रेफर कर दिया जा रहा
है। जबकि मरीज पूरी तरह से सामान्य रहता है। जिसका घर बैठे आसानी से
इलाज हो सकता हैं। लेकिन बेवजह सिम्स भेज देने से मरीज का दबाव भी बढ़ता जा
रहा है। जिससे मरीज़ो को स्तरीय इलाज देने में दिक्कतों का सामना भी करना पड़
रहा है। सिम्स की प्रतिदिन की ओपीडी 1200 से 1500 तक है। इसमे
रोजाना कम से कम 50 से 60 मरीज ऐसे होते हैं, जिन्हें भर्ती करने की
आवश्यकता पड़ती है। इसी तरह रोजाना आपातकालीन में आने वाले मामलो में भी 15
से 20 मरीज को भर्ती करना पड़ता है। ऐसे में अक्सर मेडिकल वार्ड, आइसोलेशन
वार्ड,


गायनिक वार्ड, एआइसीयू मरीज़ों से भरा रहता है। ऐसे हालत में जिले के
सरकारी अस्पताल के चिकित्सक भी मरीजों को रेफर करने का खेल खेलते हैं। जब
मरीज सिम्स पहुंचता है तो ज्यादातर मामलों में यह पता चलता है कि मरीज
सामान्य बीमारी से ग्रसित है, इसे भर्ती करने की जरूरत ही नहीं थी,
जबरदस्ती इलाज न करने के चक्कर में मरीज को सिम्स भेजा जा रहा है। रेफर केस
होने की वजह से नियमानुसार भर्ती करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इसकी
वजह से अक्सर कई वार्ड फुल हो जाते हैं और पहुंचने वाले गंभीर मरीज का इलाज
करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वहीं अब सरकारी चिकित्सकों के
मरीज के इलाज के प्रति अरुचि और रेफर करने
के खेल को सिम्स प्रबंधन ने गंभीरता से लिया है। इसी को लेकर स्वास्थ्य
विभाग को पत्र लिखकर साफ किया गया है, अपने चिकित्सकों के टाइट करें और
बेवजह रेफर के खेल को बंद कराया जाए, ताकि सिम्स में अनावश्यक मरीज का दबाव
न बढ़े और सभी को इलाज मिल सके।

उल्टी-दस्त, फूड पायजनिंग, बुखार जैसे सामान्य मरीज भी कर देते हैं रेफर 

यह बात भी सामने आई है कि सबसे ज्यादा रेफर कोटा व रतनपुर क्षेत्र से
किया जाता है। जबकि दोनों जगह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का संचालन हो रहा
है। जहां पर अच्छी चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराई गई है। चिकित्सक भी पदस्थ
है। लेकिन कामचोरी की वजह से इन दोनों केंद्रों से सबसे ज्यादा मरीज रेफर
किया जाता है।

मेडिसीन वार्ड फुल होने से झेल रहे परेशानी 

पिछले दो दिनों से सिम्स का 150 बिस्तर का मेडिकल वार्ड फुल चल रहा है।
जिसमें 50 से ज्यादा रेफर केस हैं। जिसमें से ज्यादातर को भर्ती करने की
आवश्यकता भी नहीं है। वहीं वार्ड फुल होने की वजह से सिर्फ गंभीर मरीज को
ही भर्ती कर उपचार किया जा रहा है। जिससे चिकित्सकों को भी मरीज के इलाज
में परेशानी का सामना करना पड़ रहा।


मातृ शिशु अस्पताल से भी रेफर

100
बेड के मातृ शिशु अस्पताल को सुरक्षित प्रसव कराने के साथ ही महिला व
बच्चों से संबंधित बीमारी के इलाज के लिए तैयार किया गया है। यहां सभी
चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध है। विशेषज्ञ चिकित्सक भी है। इसके बाद भी
ज्यादातर प्रसव के मामलों को हाई रिस्क बताकर सिम्स भेज दिया जाता है।
अक्सर इस तरह के मामले रात में होते हैं। जहां दुइटी करने वाले चिकित्सक
काम नहीं करना चाहते हैं और सिर्फ रेफर का खेल खेलते हैं।

इन्होंने कहा— सिम्स
में लगातार मरीजो का दबाव बढ़ता जा रहा है। ऐसे में अक्सर कई वार्ड फूल
चलते हैं। इस दौरान बेवजह का रेफर मामले स्तिथि को और भी बिगाड़ देते हैं।
ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखकर बेवजह किए जाने वाले रेफर पर लगाम
लगाने को कहा गया है।

डा. नीरज शिंदे, एमएस सिम्स

पदस्थ चिकित्सकों को कहा गया है कि वे मरीजो का स्तरीय उपचार करें। बेवजह मरीज रेफर नहीं किया जाए। अन्यथा कार्रवाई की जाएगी।


 

 

 


...
...
...
...
...
...
...
...
...
...
...
...
...