हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी आती है। इसे एकादशी तिथि को आंवला और रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है। इस साल आमलकी एकादशी व्रत 14 मार्च यानी आज है। इस साल रंगभरी एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग जैसे शुभ योग का निर्माण हो रहा है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है, लेकिन यह एक मात्र एकादशी है जिसका संबंध माता पार्वती व भगवान शंकर से भी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रंगभरनी या आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु, भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है। भक्त को संकटों से मुक्ति मिलती है और जीवन में खुशहाली आती है।
आमलकी एकादशी 2022 शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- 04:56 ए एम से 05:44 ए एम।
अभिजित मुहूर्त- 12:07 पी एम से 12:54 पी एम।
विजय मुहूर्त- 02:30 पी एम से 03:18 पी एम।
गोधूलि मुहूर्त- 06:17 पी एम से 06:41 पी एम।
अमृत काल- 03:11 पी एम से 04:56 पी एम।
सर्वार्थ सिद्धि योग- 06:32 ए एम से 10:08 पी एम।
आमलकी एकादशी व्रत कथा-
प्राचीन काल में चित्रसेन नामक राजा राज्य करता था। उसके राज्य में एकादशी व्रत का बहुत महत्व था और सभी प्रजाजन एकादशी का व्रत करते थे। वहीं राजा की आमलकी एकादशी के प्रति बहुत श्रद्धा थी। एक दिन राजा शिकार करते हुए जंगल में बहुत दूर निकल गये। तभी कुछ जंगली और पहाड़ी डाकुओं ने राजा को घेर लिया। इसके बाद डाकुओं ने शस्त्रों से राजा पर हमला कर दिया। मगर देव कृपा से राजा पर जो भी शस्त्र चलाए जाते वो पुष्प में बदल जाते। डाकुओं की संख्या अधिक होने से राजा संज्ञाहीन होकर धरती पर गिर गए। तभी राजा के शरीर से एक दिव्य शक्ति प्रकट हुई और समस्त राक्षसों को मारकर अदृश्य हो गई। जब राजा की चेतना लौटी तो, उसने सभी राक्षसों का मरा हुआ पाया। यह देख राजा को आश्चर्य हुआ कि इन डाकुओं को किसने मारा? तभी आकाशवाणी हुई- हे राजन! यह सब राक्षस तुम्हारे आमलकी एकादशी का व्रत करने के प्रभाव से मारे गए हैं। तुम्हारी देह से उत्पन्न आमलकी एकादशी की वैष्णवी शक्ति ने इनका संहार किया है। इन्हें मारकर वहां पुन: तुम्हारे शरीर में प्रवेश कर गई। यह सुनकर राजा प्रसन्न हुआ और वापस लौटकर राज्य में सबको एकादशी का महत्व बतलाया।
(इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी आती है। इसे एकादशी तिथि को आंवला और रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है। इस साल आमलकी एकादशी व्रत 14 मार्च यानी आज है। इस साल रंगभरी एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग जैसे शुभ योग का निर्माण हो रहा है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है, लेकिन यह एक मात्र एकादशी है जिसका संबंध माता पार्वती व भगवान शंकर से भी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रंगभरनी या आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु, भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है। भक्त को संकटों से मुक्ति मिलती है और जीवन में खुशहाली आती है।
आमलकी एकादशी 2022 शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- 04:56 ए एम से 05:44 ए एम।
अभिजित मुहूर्त- 12:07 पी एम से 12:54 पी एम।
विजय मुहूर्त- 02:30 पी एम से 03:18 पी एम।
गोधूलि मुहूर्त- 06:17 पी एम से 06:41 पी एम।
अमृत काल- 03:11 पी एम से 04:56 पी एम।
सर्वार्थ सिद्धि योग- 06:32 ए एम से 10:08 पी एम।
आमलकी एकादशी व्रत कथा-
प्राचीन काल में चित्रसेन नामक राजा राज्य करता था। उसके राज्य में एकादशी व्रत का बहुत महत्व था और सभी प्रजाजन एकादशी का व्रत करते थे। वहीं राजा की आमलकी एकादशी के प्रति बहुत श्रद्धा थी। एक दिन राजा शिकार करते हुए जंगल में बहुत दूर निकल गये। तभी कुछ जंगली और पहाड़ी डाकुओं ने राजा को घेर लिया। इसके बाद डाकुओं ने शस्त्रों से राजा पर हमला कर दिया। मगर देव कृपा से राजा पर जो भी शस्त्र चलाए जाते वो पुष्प में बदल जाते। डाकुओं की संख्या अधिक होने से राजा संज्ञाहीन होकर धरती पर गिर गए। तभी राजा के शरीर से एक दिव्य शक्ति प्रकट हुई और समस्त राक्षसों को मारकर अदृश्य हो गई। जब राजा की चेतना लौटी तो, उसने सभी राक्षसों का मरा हुआ पाया। यह देख राजा को आश्चर्य हुआ कि इन डाकुओं को किसने मारा? तभी आकाशवाणी हुई- हे राजन! यह सब राक्षस तुम्हारे आमलकी एकादशी का व्रत करने के प्रभाव से मारे गए हैं। तुम्हारी देह से उत्पन्न आमलकी एकादशी की वैष्णवी शक्ति ने इनका संहार किया है। इन्हें मारकर वहां पुन: तुम्हारे शरीर में प्रवेश कर गई। यह सुनकर राजा प्रसन्न हुआ और वापस लौटकर राज्य में सबको एकादशी का महत्व बतलाया।
(इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)