श्रीकांत जायसवाल/कोरिया / होली यानी रंगों का त्यौहार, रंगों का विशेष महत्व रखने वाले इस त्यौहार में केमिकल रंगों ने त्यौहार की चमक कम की है। इन केमिकलयुक्त रंगों से नुकसान होने के साथ ही त्वचा संबंधी कई बीमारियों के होने की भी आशंका रहती है। इस नुकसान से बचने और त्यौहार की रंगत को फिर जीवित करने कोरिया जिले की महिलाओं ने हर्बल रंगों से गुलाल बनाने का काम शुरू किया है। ’इस तरह बनाया जा रहा ग़ुलाल -’
विकासखण्ड बैकुण्ठपुर के ग्राम डकईपारा में चार महिला स्व सहायता समूह माँ महामाया, उजाला, महिला एवं दुर्गे स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के अंतर्गत प्रशिक्षण प्राप्त कर हर्बल ग़ुलाल बनाया जा रहा है। समूह की महिलाओं ने गुलाल बनाने की प्रक्रिया की जानकारी देते हुए बताया कि इस प्रक्रिया में प्राकृतिक रंग के अर्क को अरारोट के साथ मिलाया जाता है। फिर इसे सुखाकर पीसते हैं। और अंत मे प्राकृतिक सुगंध का प्रयोग कर गुलाल तैयार किया गया है। हर्बल ग़ुलाल से केमिकल रंगों से होने वाले साइड इफेक्ट से बचाव होगा, इसके साथ ही समूह को स्वरोजगार की भी प्राप्ति हो रही है।।
’सभी विकासखण्डों में लगाए जाएंगे स्टॉल-’
स्वसहायता समूहों द्वारा निर्मित हर्बल गुलाल अब जिले के बाज़ारो में केमिकल रंगों को टक्कर देने के लिए तैयार हैं। जिला कलेक्टोरेट परिसर एवं सभी विकासखण्डों के बाजारों में स्टॉल लगाकर महिलाओं द्वारा गुलाल का विक्रय किया जाएगा।
श्रीकांत जायसवाल/कोरिया / होली यानी रंगों का त्यौहार, रंगों का विशेष महत्व रखने वाले इस त्यौहार में केमिकल रंगों ने त्यौहार की चमक कम की है। इन केमिकलयुक्त रंगों से नुकसान होने के साथ ही त्वचा संबंधी कई बीमारियों के होने की भी आशंका रहती है। इस नुकसान से बचने और त्यौहार की रंगत को फिर जीवित करने कोरिया जिले की महिलाओं ने हर्बल रंगों से गुलाल बनाने का काम शुरू किया है। ’इस तरह बनाया जा रहा ग़ुलाल -’
विकासखण्ड बैकुण्ठपुर के ग्राम डकईपारा में चार महिला स्व सहायता समूह माँ महामाया, उजाला, महिला एवं दुर्गे स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के अंतर्गत प्रशिक्षण प्राप्त कर हर्बल ग़ुलाल बनाया जा रहा है। समूह की महिलाओं ने गुलाल बनाने की प्रक्रिया की जानकारी देते हुए बताया कि इस प्रक्रिया में प्राकृतिक रंग के अर्क को अरारोट के साथ मिलाया जाता है। फिर इसे सुखाकर पीसते हैं। और अंत मे प्राकृतिक सुगंध का प्रयोग कर गुलाल तैयार किया गया है। हर्बल ग़ुलाल से केमिकल रंगों से होने वाले साइड इफेक्ट से बचाव होगा, इसके साथ ही समूह को स्वरोजगार की भी प्राप्ति हो रही है।।
’सभी विकासखण्डों में लगाए जाएंगे स्टॉल-’
स्वसहायता समूहों द्वारा निर्मित हर्बल गुलाल अब जिले के बाज़ारो में केमिकल रंगों को टक्कर देने के लिए तैयार हैं। जिला कलेक्टोरेट परिसर एवं सभी विकासखण्डों के बाजारों में स्टॉल लगाकर महिलाओं द्वारा गुलाल का विक्रय किया जाएगा।