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news raipur:: मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने ’कोसा’ सिल्क की यात्रा पर प्रकाशित पुस्तक का किया विमोचन:

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रायपुर, मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल बघेल ने आज यहां विधानसभा परिसर स्थित अपने कार्यालय कक्ष में वरिष्ठ पत्रकार श्री के. एन. किशोर एवं डॉ. राजेन्द्र मोहंती द्वारा कोसा सिल्क की पौराणिक काल से लेकर अब तक की यात्रा, कोसे की साड़ियों और पोशाक सामग्री पर सम्पादित पुस्तक ’दि इनक्रेडिबल जर्नी ऑफ कोसा’ का विमोचन किया। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार श्री बाबूलाल शर्मा भी उपस्थित थे।


यह पुस्तक ‘कोसा’ रेशम के पीछे की पौराणिक कथाओं, इसकी ऐतिहासिक उत्पत्ति, भारत में रेशम के आगमन और विकास के बारे में बताने वाले साहित्यिक साक्ष्य और छत्तीसगढ़ में इसके आगमन के बारे में चर्चा करती है। इसके अलावा यह रेशम के उत्पादन की पारंपरिक प्रक्रिया, धागा बनाने की प्रक्रिया के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के रेशमी कपड़ों जैसे साड़ी, ड्रेस सामग्री, फर्निशिंग आदि की प्रक्रिया पर भी चर्चा करता है। साथ ही यह पुस्तक छत्तीसगढ़ के बेशकीमती हाथकरघा कोसा उत्पाद पर एक संक्षिप्त जानकारी देगी और नई पीढ़ियों के लिए ज्ञान के भंडार के रूप में उपयोगी होगी। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने पुस्तक के प्रकाशन पर इससे जुड़े सभी लोगों को बधाई और शुभकामनाएं दीं।
श्री किशोर ने बताया कि यह पुस्तक रेशम की बुनाई के पारंपरिक रूपों के साथ-साथ कोसा की यात्रा, रूपांकनों, रंगों और बुनावट के दस्तावेजीकरण और कोसा के इतिहास को संरक्षित करने का एक प्रयास है।



रायपुर, मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल बघेल ने आज यहां विधानसभा परिसर स्थित अपने कार्यालय कक्ष में वरिष्ठ पत्रकार श्री के. एन. किशोर एवं डॉ. राजेन्द्र मोहंती द्वारा कोसा सिल्क की पौराणिक काल से लेकर अब तक की यात्रा, कोसे की साड़ियों और पोशाक सामग्री पर सम्पादित पुस्तक ’दि इनक्रेडिबल जर्नी ऑफ कोसा’ का विमोचन किया। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार श्री बाबूलाल शर्मा भी उपस्थित थे।


यह पुस्तक ‘कोसा’ रेशम के पीछे की पौराणिक कथाओं, इसकी ऐतिहासिक उत्पत्ति, भारत में रेशम के आगमन और विकास के बारे में बताने वाले साहित्यिक साक्ष्य और छत्तीसगढ़ में इसके आगमन के बारे में चर्चा करती है। इसके अलावा यह रेशम के उत्पादन की पारंपरिक प्रक्रिया, धागा बनाने की प्रक्रिया के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के रेशमी कपड़ों जैसे साड़ी, ड्रेस सामग्री, फर्निशिंग आदि की प्रक्रिया पर भी चर्चा करता है। साथ ही यह पुस्तक छत्तीसगढ़ के बेशकीमती हाथकरघा कोसा उत्पाद पर एक संक्षिप्त जानकारी देगी और नई पीढ़ियों के लिए ज्ञान के भंडार के रूप में उपयोगी होगी। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने पुस्तक के प्रकाशन पर इससे जुड़े सभी लोगों को बधाई और शुभकामनाएं दीं।
श्री किशोर ने बताया कि यह पुस्तक रेशम की बुनाई के पारंपरिक रूपों के साथ-साथ कोसा की यात्रा, रूपांकनों, रंगों और बुनावट के दस्तावेजीकरण और कोसा के इतिहास को संरक्षित करने का एक प्रयास है।



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