नयी दिल्ली. उपभोक्ता, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण
मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को लोकसभा में स्पष्ट किया कि एक राष्ट्र, एक
राशन कार्ड योजना का लाभ उठाने के लिये लाभार्थियों को वास्तविक रूप में
अपने साथ राशन कार्ड रखने की जरूरत नहीं है और उन्हें देश में कहीं भी अपनी
पसंद की उचित दर की दुकान पर अपने राशन कार्ड का नंबर अथवा आधार संख्या
दर्ज कराना होता है।
लोकसभा में मालूक नागर, हेमा मालिनी, महुआ मोइत्रा और फारूक अब्दुल्ला
के पूरक प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने यह बात कही।
गोयल ने बताया कि प्रौद्योगिकी का उपयोग करके व्यवस्था में सुधार किया जा
रहा है और इसी के तहत एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना शुरू की गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘ वर्तमान में एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना देश के
लगभग 77 करोड़ लाभार्थियों (लगभग 96.8 प्रतिशत) को कवर करते हुए देश के 35
राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों में लागू की गई है। ’’केंद्रीय मंत्री ने कहा
कि देश में कहीं भी अपनी पसंद की उचित दर की दुकान पर अपने राशन कार्ड का
नंबर अथवा आधार संख्या दर्ज करायें और अपना राशन उठायें । उन्होंने कहा कि
अगर कोई पूरा राशन एक साथ नहीं उठाना चाहता है तब वह बारी बारी से राशन उठा
सकता है।
उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था से प्रौद्योगिकी के जुड़ने के बाद कोई नये
कार्ड की जरूरत नहीं है । उपभोक्ता, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री
ने कहा कि एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा
अधिनियम के लाभार्थियों को नया राशन कार्ड जारी करने के संबंध में राज्य
या संघ राज्य प्रशासनों को कोई निर्देश नहीं दिये गए हैं ।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली
उन्होंने कहा कि फिर भी लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सुधारों
के रूप में अगर समग्र भारत में एकरूपता लाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय
खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभार्थियों को जब भी नया राशन कार्ड जारी करने
के संबंध में राज्य/संघ राज्य क्षेत्र कोई निर्णय करते हैं तब उन्हें राशन
कार्डो का मानक प्रारूप अपनाने का सुझाव दिया गया है।
मंत्री ने कहा कि राशन कार्ड योजना की राष्ट्रव्यापी सुगम उपयोगिता के
लिये तकनीक आधारित ‘‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना’’ देश के सभी
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभार्थियों को सशक्त बनाती है ताकि वे
देश में किसी भी स्थान पर पसंद की किसी उचित दर की दुकान पर अपनी पात्रता
के अनुसार खाद्यान्न उठा सकें ।
गोयल ने कहा, ‘‘ एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना का लाभ उठाने के लिये
लाभार्थियों को वास्तविक रूप में अपने साथ राशन कार्ड रखने की जरूरत नहीं
है और उन्हें देश में कहीं भी अपनी पसंद की उचित दर की दुकान पर अपने राशन
कार्ड का नंबर अथवा आधार संख्या दर्ज कराना होता है। ’’
हेमा मालिनी ने सवाल किया
प्रश्नकाल के दौरान भाजपा की हेमा मालिनी ने सवाल किया कि उचित मूल्य की
दूकान पर अनियमितता की शिकायतों को देखते हुए क्या सरकार खाद्यान्न योजना
को लेकर प्रत्यक्ष नकद अंतरण (डीबीटी) लागू करने पर विचार कर रही है? इस
पर पीयूष गोयल ने कहा कि इस बारे में कई बार विचार हुआ और इसके दो पहलू भी
हैं।
इसमें एक विचार यह है कि सीधा लाभार्थियों के खाते में पैसा जाए और इससे
सरकार का अनाज पहुंचाने का खर्च भी बचेगा । दूसरा विचार यह आया कि अगर
पैसा गृहणी तक नहीं पहुंचा और किसी अन्य ने खर्च कर दिया तब इसका मकसद पूरा
नहीं होगा ।
गोयल ने कहा, ‘‘ऐसे में यह तय हुआ है कि इस योजना को वर्तमान रूप में ही
चलाया जाए।’’ उन्होंने कहा कि हमने इसके जमीनी स्तर पर आॅडिट की व्यवस्था
की है। पश्चिम बंगाल में योजना को लेकर मंत्री ने कहा कि राज्य लम्बे समय
तक इस योजना में शामिल नहीं हुआ था और बाद में इससे जुड़ा ।
नयी दिल्ली. उपभोक्ता, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण
मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को लोकसभा में स्पष्ट किया कि एक राष्ट्र, एक
राशन कार्ड योजना का लाभ उठाने के लिये लाभार्थियों को वास्तविक रूप में
अपने साथ राशन कार्ड रखने की जरूरत नहीं है और उन्हें देश में कहीं भी अपनी
पसंद की उचित दर की दुकान पर अपने राशन कार्ड का नंबर अथवा आधार संख्या
दर्ज कराना होता है।
लोकसभा में मालूक नागर, हेमा मालिनी, महुआ मोइत्रा और फारूक अब्दुल्ला
के पूरक प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने यह बात कही।
गोयल ने बताया कि प्रौद्योगिकी का उपयोग करके व्यवस्था में सुधार किया जा
रहा है और इसी के तहत एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना शुरू की गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘ वर्तमान में एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना देश के
लगभग 77 करोड़ लाभार्थियों (लगभग 96.8 प्रतिशत) को कवर करते हुए देश के 35
राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों में लागू की गई है। ’’केंद्रीय मंत्री ने कहा
कि देश में कहीं भी अपनी पसंद की उचित दर की दुकान पर अपने राशन कार्ड का
नंबर अथवा आधार संख्या दर्ज करायें और अपना राशन उठायें । उन्होंने कहा कि
अगर कोई पूरा राशन एक साथ नहीं उठाना चाहता है तब वह बारी बारी से राशन उठा
सकता है।
उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था से प्रौद्योगिकी के जुड़ने के बाद कोई नये
कार्ड की जरूरत नहीं है । उपभोक्ता, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री
ने कहा कि एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा
अधिनियम के लाभार्थियों को नया राशन कार्ड जारी करने के संबंध में राज्य
या संघ राज्य प्रशासनों को कोई निर्देश नहीं दिये गए हैं ।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली
उन्होंने कहा कि फिर भी लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सुधारों
के रूप में अगर समग्र भारत में एकरूपता लाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय
खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभार्थियों को जब भी नया राशन कार्ड जारी करने
के संबंध में राज्य/संघ राज्य क्षेत्र कोई निर्णय करते हैं तब उन्हें राशन
कार्डो का मानक प्रारूप अपनाने का सुझाव दिया गया है।
मंत्री ने कहा कि राशन कार्ड योजना की राष्ट्रव्यापी सुगम उपयोगिता के
लिये तकनीक आधारित ‘‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना’’ देश के सभी
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभार्थियों को सशक्त बनाती है ताकि वे
देश में किसी भी स्थान पर पसंद की किसी उचित दर की दुकान पर अपनी पात्रता
के अनुसार खाद्यान्न उठा सकें ।
गोयल ने कहा, ‘‘ एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना का लाभ उठाने के लिये
लाभार्थियों को वास्तविक रूप में अपने साथ राशन कार्ड रखने की जरूरत नहीं
है और उन्हें देश में कहीं भी अपनी पसंद की उचित दर की दुकान पर अपने राशन
कार्ड का नंबर अथवा आधार संख्या दर्ज कराना होता है। ’’
हेमा मालिनी ने सवाल किया
प्रश्नकाल के दौरान भाजपा की हेमा मालिनी ने सवाल किया कि उचित मूल्य की
दूकान पर अनियमितता की शिकायतों को देखते हुए क्या सरकार खाद्यान्न योजना
को लेकर प्रत्यक्ष नकद अंतरण (डीबीटी) लागू करने पर विचार कर रही है? इस
पर पीयूष गोयल ने कहा कि इस बारे में कई बार विचार हुआ और इसके दो पहलू भी
हैं।
इसमें एक विचार यह है कि सीधा लाभार्थियों के खाते में पैसा जाए और इससे
सरकार का अनाज पहुंचाने का खर्च भी बचेगा । दूसरा विचार यह आया कि अगर
पैसा गृहणी तक नहीं पहुंचा और किसी अन्य ने खर्च कर दिया तब इसका मकसद पूरा
नहीं होगा ।
गोयल ने कहा, ‘‘ऐसे में यह तय हुआ है कि इस योजना को वर्तमान रूप में ही
चलाया जाए।’’ उन्होंने कहा कि हमने इसके जमीनी स्तर पर आॅडिट की व्यवस्था
की है। पश्चिम बंगाल में योजना को लेकर मंत्री ने कहा कि राज्य लम्बे समय
तक इस योजना में शामिल नहीं हुआ था और बाद में इससे जुड़ा ।