रायपुर। निलंबित आइपीएस जीपी सिंह की जमानत याचिका की
अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ राज्य
सरकार से जवाब मांगा है। यह सुनवाई चीफ जस्टिस आफ इंडिया एन.व्ही. रमन्ना
और जस्टिस कृष्णा मुरारी की डिवीजन बेंच में हुई। जमानत याचिका की अर्जी
स्वीकार कर सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को नोटिस भेजा। जीपी सिंह की
तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, आशुतोष पांडेय और हिमांशु सिंहा ने
पैरवी की।
यह है पूरा घटना क्रम
आइपीएस
जीपी सिंह के ठिकाने में एक जुलाई को एसीबी और ईओडब्ल्यू की टीमों ने
रायपुर, राजनांदगांव और ओडिशा में एक साथ छापा मारा था। जीपी सिंह पर
एफआइआर दर्ज की गई। दिन भर की जांच के बाद पांच करोड़ की चल-अचल संपत्ति का
राजफाश हुआ। 10 करोड़ की संपत्ति मिलने और इसके बढ़ने की आधिकारिक जानकारी दी
गई। रायपुर में एक युवक से मारपीट, भिलाई में सरेंडर करने वाले नक्सल
कमांडर से रुपयों का लेन-देन, रायपुर में एक केस में आरोपित की मदद का आरोप
भी जीपी सिंह पर लगा है। इन पुराने केस की फिर से जांच की जा रही है।
पांच जुलाई को राज्य सरकार ने एडीजी जीपी सिंह को एक आदेश पत्र जारी कर
निलंबित कर दिया। जुलाई के महीने से जीपी की लीगल टीम पुलिसिया कार्रवाई को
रोकने की दलीलें हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में पेश कर रहे थी। मगर राहत
नहीं मिली। हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक राहत नहीं मिली। जीपी सिंह
को 11 जनवरी 2022 को नोएडा से गिरफ्तार किया था। पुलिस रिमांड के बाद 18
जनवरी को उन्हें विशेष अदालत में पेश किया गया। जहां से 14 दिन की न्यायिक
अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया।
इसके बाद से जेल में हैं। इस दौरान कोर्ट ने जमानत खारिज कर दी थी।
निचली अदालत से जमानत अर्जी खारिज होने के बाद उनके वकील आशुतोष पांडेय ने
हाईकोर्ट में जमानत याचिका पेश की थी। 25 जनवरी 2022 को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
ने जीपी सिंह की जमानत याचिका को खारिज कर दी थी।
माता पिता और पत्नी को बनाया गया है आरोपित
कोर्ट
में पेश चालान में जीपी सिंह और उनके स्वजनों की संपत्ति का विवरण दिया
गया है। वहीं उनके द्वारा कहां-कहां संपत्ति खरीदी गई इसके बारे में भी
जानकारी दी गई है। माता-पिता और पत्नी को आरोपित बनाने के संबंध में चालान
में जानकारी दी गई। चालान में बताया गया कि जीपी सिंह माता-पिता और पत्नी
के नाम से संपत्ति खरीदे थे। इनका कोई भी इनकम को सोर्स नहीं है। संपत्ति
के अलावा करोड़ों रुपये की अलग-अलग बीमा पालिसी और कई जगह पर पैसे लगाए गए।
रायपुर। निलंबित आइपीएस जीपी सिंह की जमानत याचिका की
अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ राज्य
सरकार से जवाब मांगा है। यह सुनवाई चीफ जस्टिस आफ इंडिया एन.व्ही. रमन्ना
और जस्टिस कृष्णा मुरारी की डिवीजन बेंच में हुई। जमानत याचिका की अर्जी
स्वीकार कर सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को नोटिस भेजा। जीपी सिंह की
तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, आशुतोष पांडेय और हिमांशु सिंहा ने
पैरवी की।
यह है पूरा घटना क्रम
आइपीएस
जीपी सिंह के ठिकाने में एक जुलाई को एसीबी और ईओडब्ल्यू की टीमों ने
रायपुर, राजनांदगांव और ओडिशा में एक साथ छापा मारा था। जीपी सिंह पर
एफआइआर दर्ज की गई। दिन भर की जांच के बाद पांच करोड़ की चल-अचल संपत्ति का
राजफाश हुआ। 10 करोड़ की संपत्ति मिलने और इसके बढ़ने की आधिकारिक जानकारी दी
गई। रायपुर में एक युवक से मारपीट, भिलाई में सरेंडर करने वाले नक्सल
कमांडर से रुपयों का लेन-देन, रायपुर में एक केस में आरोपित की मदद का आरोप
भी जीपी सिंह पर लगा है। इन पुराने केस की फिर से जांच की जा रही है।
पांच जुलाई को राज्य सरकार ने एडीजी जीपी सिंह को एक आदेश पत्र जारी कर
निलंबित कर दिया। जुलाई के महीने से जीपी की लीगल टीम पुलिसिया कार्रवाई को
रोकने की दलीलें हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में पेश कर रहे थी। मगर राहत
नहीं मिली। हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक राहत नहीं मिली। जीपी सिंह
को 11 जनवरी 2022 को नोएडा से गिरफ्तार किया था। पुलिस रिमांड के बाद 18
जनवरी को उन्हें विशेष अदालत में पेश किया गया। जहां से 14 दिन की न्यायिक
अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया।
इसके बाद से जेल में हैं। इस दौरान कोर्ट ने जमानत खारिज कर दी थी।
निचली अदालत से जमानत अर्जी खारिज होने के बाद उनके वकील आशुतोष पांडेय ने
हाईकोर्ट में जमानत याचिका पेश की थी। 25 जनवरी 2022 को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
ने जीपी सिंह की जमानत याचिका को खारिज कर दी थी।
माता पिता और पत्नी को बनाया गया है आरोपित
कोर्ट
में पेश चालान में जीपी सिंह और उनके स्वजनों की संपत्ति का विवरण दिया
गया है। वहीं उनके द्वारा कहां-कहां संपत्ति खरीदी गई इसके बारे में भी
जानकारी दी गई है। माता-पिता और पत्नी को आरोपित बनाने के संबंध में चालान
में जानकारी दी गई। चालान में बताया गया कि जीपी सिंह माता-पिता और पत्नी
के नाम से संपत्ति खरीदे थे। इनका कोई भी इनकम को सोर्स नहीं है। संपत्ति
के अलावा करोड़ों रुपये की अलग-अलग बीमा पालिसी और कई जगह पर पैसे लगाए गए।