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जानिए कहां है दुनिया का Happiest Zone... क्या है फिनलैंड जैसे देशों के लोगों की जिंदगी में अलग?:

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'फिनलैंड में पैदा होना जैकपॉट जीतने के समान है'... दुनिया के सबसे
खुशहाल देश फिनलैंड में ये कहावत बहुत मशहूर है. दुनिया का कौन सा देश किस
हाल में है इससे तय होता है कि वहां के लोगों की जिंदगी में किस हद तक
खुशहाली है. इस साल की World Happiness Report 2022 के अनुसार फिनलैंड
लगातार पांचवें साल दुनिया का सबसे खुशहाल देश चुना गया है. जबकि 146 देशों
की इस लिस्ट में अफगानिस्तान सबसे पीछे है. खुशहाल देशों की इस लिस्ट में
अमेरिका को 16वां स्थान मिला है. जबकि, भारत इस लिस्ट में पाकिस्तान और
बांग्लादेश से भी पीछे है.

इस साल की वर्ल्ड हैपीनेस रिपोर्ट में पाकिस्तान को 121वें पायदान पर
रखा गया है. जबकि भारत को 136वां स्थान मिला है. बांग्लादेश इस लिस्ट में
94वें और पड़ोसी देश चीन 72वें स्थान पर है. सबसे कम खुशहाली वाले देश
हैं. अफगानिस्तान(146वां स्थान), लेबनान(145वां), जिम्बाब्वे (144वां),
रवांडा (143वां), बोत्सवाना(142वां) और लेसोथो का (141वां) स्थान है.





कौन सा इलाका है दुनिया का Happiest Zone?



World Happiness Index में खुशहाली के लिहाज से टॉप 10 देशों में
अधिकांश जगह मिली है पूर्वी यूरोप यानी स्कैंडिनेविया क्षेत्र और नॉर्डिक
इलाके के देशों को. इस इलाके से फिनलैंड ने जहां टॉप स्थान हासिल किया है
वहीं डेनमार्क दूसरे स्थान पर है. उसके बाद आइसलैंड, स्विट्जरलैंड,
नीदरलैंड, नॉर्वे और लग्जमबर्ग ने जगह बनाई है. अब दुनियाभर के लोग ये
जानना चाहते हैं कि आखिर स्कैंडिनेवियन देशों के सिस्टम में ऐसी क्या खास
बात है जिससे लोगों की जिंदगी में खुशहाली बढ़ती है. रोजमर्रा की समस्याओं
से जूझते भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान जैसे मध्यम और कम आय वाले लोगों और
समाजों से आखिर क्या अलग है इन देशों के लोगों की जिंदगी में जो उनके जीवन
स्तर को अलग बनाता है और वहां लोगों की Life expectancy के हालात को
दुरुस्त करता है.




आखिर क्या है वहां के लोगों की जिंदगी में अलग?



दुनिया के अधिकांश गरीब और मध्यम आय वाले देशों में आम लोगों की सबसे
बड़ी समस्या महंगी शिक्षा, महंगा इलाज, परिवहन के महंगे साधन और रोज महंगी
होती खान-पान की चीजों का इंतजाम करना होता है. लेकिन फिनलैंड जैसे
स्कैंडिनेवियन-नॉर्डिक क्षेत्र के देशों में सिस्टम काफी अलग है. यहां
शिक्षा, हेल्थकेयर जैसी चीजें लोगों के लिए सरकार की ओर से या तो एकदम फ्री
हैं या फिर बिल्कुल ही कम कीमतों पर उपलब्ध कराई जाती हैं. इसके अलावा
सुरक्षा के बेहतर इंतजाम, अच्छी पुलिसिंग सिस्टम, मानवाधिकार की बेहतर
निगरानी, उच्च इनकम लेवल, कम करप्शन जैसी चीजें कड़े कानून और मजबूत सिस्टम
के साथ सुनिश्चित की जाती हैं. जिससे आम लोगों की जिंदगी काफी आसान हो
जाती है. फिनलैंड की 90 फीसदी से अधिक आबादी की जिंदगी हर नजरिए से संतुलित
मानी जाती है. ये किसी भी समाज के लिए काफी बेहतर हालात कहे जा सकते हैं.

यहां का मौसम भी कम खुशगवार नहीं



खूबसूरत पहाड़, झीलों और नदियों के किनारे बसे शहर, बर्फ की सफेदी से
सजी प्राकृतिक खूबसूरती के बीच बसा फिनलैंड पूर्वी यूरोप का वो हिस्सा है
जहां का वातावरण काफी ठंडा है, जहां छह महीने सर्दी का मौसम रहता है,
आकर्टिक सर्किल में होने के कारण इस देश के कई हिस्सों में छह महीने रात ही
रहता है. हमारे यहां से काफी अलग प्राकृतिक हालात होने के बाद भी फिनलैंड
के लोगों ने खुशहाली के साथ जीना सीख लिया है. बारिश, बर्फ और कड़ाके की
सर्दी के बीच भी यहां के लोग जिंदगी को पूरी तरह एंजॉय करते हैं. बर्फबारी
के बीच भी जॉगिंग, राइडिंग, साइक्लिंग का यहां के लोगों को खूब शौक है. साल
के गर्म महीनों में यहां लोगों में आउटडोर सॉना, साइक्लिंग, कायकिंग,
हाइकिंग, कैम्पिंग जैसी आउटडोर एक्टिविटी का तो खास ही शौक दिखता है. बर्फ
से लिपटे यहां के खूबसूरत पहाड़, घने और सुंदर जंगल और टूरिस्ट प्लेस,
प्रदूषण मुक्त वातावरण लोगों की जिंदगी में एक अलग ही ताजगी भर देती हैं.




सरकारें क्या कुछ नहीं करतीं?



हमारे यहां मदर-चिल्ड्रेन केयर के तमाम नारे और योजनाओं की अक्सर
चर्चाएं सुनने में आती हैं. लेकिन स्कैंडिनेवियन देशों में सिस्टम काफी अलग
है. फिनलैंड में जो महिला मां बनती है उसे सरकार की ओर से एक 'न्यू बेबी
बॉक्स' गिफ्ट किया जाता है. जिसमें एक साल तक बच्चे के काम आने वाली 63
प्रोडक्ट होती हैं. इस गिफ्ट बॉक्स के बारे में लोग कहते हैं कि आपको अपने
बच्चे के लिए डायपर के अलावा पहले दो-तीन महीने तक कुछ भी खरीदने की जरूरत
नहीं होती.



इतना ही नहीं फिनलैंड और अन्य नॉर्डिक देशों में डिलिवरी के वक्त 10
महीने की पेरेंट्स लीव मिलती है. पिता बनने पर पुरूषों को भी 9 हफ्ते की
पैटरनिटी लीव मिलती है. बच्चे के जन्म के बाद उसके दोनों पेरेंट्स को पहले
तीन हफ्ते की छुट्टी अनिवार्य रूप से मिलती है जबकि इसके बाद भी बच्चे के 9
महीने के होने तक माता-पिता में से किसी एक को जरूरी तौर पर छुट्टी मिलनी
सुनिश्चित कराई जाती है. बच्चे के तीन साल का होने तक मां-बाप के पास बिना
नौकरी खोए स्टे होम फैसिलिटी का लाभ उठाने का विकल्प होता है. ये सब वहां
के सोशल सिक्योरिटी सिस्टम का हिस्सा है.



सोशल सिक्योरिटी के मजबूत उपाय देती हैं टेंशन फ्री जिंदगी



यहां जो लोग बेरोजगार हैं या अच्छी नौकरियां नहीं कर रहे हैं उनके लिए
भी सरकार का सिस्टम है. डेनमार्क में नौकरी नहीं होने की स्थिति में सरकार
की ओर से हर महीने 2000 डॉलर तक का स्टाइपेंड देने की व्यवस्था है. इसके
अलावा फिनलैंड और डेनमार्क में हर नागरिक को फ्री एजुकेशन और फ्री
हेल्थकेयर की सुविधा सरकार मुहैया कराती है. अब सोचिए वहां के लोग बच्चों
की शिक्षा और मेडिकल के तमाम खर्चों से पूरी तरह फ्री हैं. ये किसी भी
इंसान की जिंदगी में कितनी बड़ी राहत की चीज हो सकती है.







सिस्टम कम करता है लोगों की परेशानियां



फिनलैंड दुनिया के सबसे कम क्राइम रेट वाले देशों में शामिल है.
टूरिस्टों के लिए काफी सेफ आंका गया है इस देश को. फिनलैंड ने अपनी शिक्षा
व्यवस्था में भी पिछले कुछ सालों में तेजी से सुधार किए हैं. केवल किताबी
पढ़ाई की जगह यहां के स्कूल-कॉलेजों में प्रोफेशनल पढ़ाई और स्टूडेंट्स की
लर्निंग पर खासा जोर दिया जाता है. देश के सभी लोगों के लिए एक यूनिवर्सल
हेल्थकेयर सिस्टम है यानी सबको सरकार की ओर से बेहतर और एक जैसी मेडिकल
सुविधाएं मिलती हैं. रोजगार के अवसरों की समानता के लिए भी ये देश काफी हद
तक जाना जाता है.



यहां के समाज में मिडिल क्लास आबादी काफी ज्यादा है जबकि गरीबी रेखा के
नीचे रह रहे लोगों की तादाद बहुत ही कम है. यहां तक कि फिनिश समाज में अमीर
लोगों में धनबल के प्रदर्शन की परंपरा भी नहीं दिखती. जबकि वहां का सिस्टम
लोगों को एक जैसी शिक्षा, मेडिकल सुविधा फ्री में प्रदान करता है जिससे आम
घरों के बच्चे भी अच्छी जगहों पर पहुंचने में आसानी से सफलता पा सकते हैं.
दुरुस्त सिस्टम, करप्शन फ्री समाज, सेफ्टी के उपाय और अवसरों की समानता
जैसे इन्हीं सब कारणों से फिनलैंड, डेनमार्क, नॉर्वे जैसे देशों को दुनिया
का 'खुशहाल जोन' कहा जाए तो कुछ ज्यादा न होगा.





'फिनलैंड में पैदा होना जैकपॉट जीतने के समान है'... दुनिया के सबसे
खुशहाल देश फिनलैंड में ये कहावत बहुत मशहूर है. दुनिया का कौन सा देश किस
हाल में है इससे तय होता है कि वहां के लोगों की जिंदगी में किस हद तक
खुशहाली है. इस साल की World Happiness Report 2022 के अनुसार फिनलैंड
लगातार पांचवें साल दुनिया का सबसे खुशहाल देश चुना गया है. जबकि 146 देशों
की इस लिस्ट में अफगानिस्तान सबसे पीछे है. खुशहाल देशों की इस लिस्ट में
अमेरिका को 16वां स्थान मिला है. जबकि, भारत इस लिस्ट में पाकिस्तान और
बांग्लादेश से भी पीछे है.

इस साल की वर्ल्ड हैपीनेस रिपोर्ट में पाकिस्तान को 121वें पायदान पर
रखा गया है. जबकि भारत को 136वां स्थान मिला है. बांग्लादेश इस लिस्ट में
94वें और पड़ोसी देश चीन 72वें स्थान पर है. सबसे कम खुशहाली वाले देश
हैं. अफगानिस्तान(146वां स्थान), लेबनान(145वां), जिम्बाब्वे (144वां),
रवांडा (143वां), बोत्सवाना(142वां) और लेसोथो का (141वां) स्थान है.





कौन सा इलाका है दुनिया का Happiest Zone?



World Happiness Index में खुशहाली के लिहाज से टॉप 10 देशों में
अधिकांश जगह मिली है पूर्वी यूरोप यानी स्कैंडिनेविया क्षेत्र और नॉर्डिक
इलाके के देशों को. इस इलाके से फिनलैंड ने जहां टॉप स्थान हासिल किया है
वहीं डेनमार्क दूसरे स्थान पर है. उसके बाद आइसलैंड, स्विट्जरलैंड,
नीदरलैंड, नॉर्वे और लग्जमबर्ग ने जगह बनाई है. अब दुनियाभर के लोग ये
जानना चाहते हैं कि आखिर स्कैंडिनेवियन देशों के सिस्टम में ऐसी क्या खास
बात है जिससे लोगों की जिंदगी में खुशहाली बढ़ती है. रोजमर्रा की समस्याओं
से जूझते भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान जैसे मध्यम और कम आय वाले लोगों और
समाजों से आखिर क्या अलग है इन देशों के लोगों की जिंदगी में जो उनके जीवन
स्तर को अलग बनाता है और वहां लोगों की Life expectancy के हालात को
दुरुस्त करता है.




आखिर क्या है वहां के लोगों की जिंदगी में अलग?



दुनिया के अधिकांश गरीब और मध्यम आय वाले देशों में आम लोगों की सबसे
बड़ी समस्या महंगी शिक्षा, महंगा इलाज, परिवहन के महंगे साधन और रोज महंगी
होती खान-पान की चीजों का इंतजाम करना होता है. लेकिन फिनलैंड जैसे
स्कैंडिनेवियन-नॉर्डिक क्षेत्र के देशों में सिस्टम काफी अलग है. यहां
शिक्षा, हेल्थकेयर जैसी चीजें लोगों के लिए सरकार की ओर से या तो एकदम फ्री
हैं या फिर बिल्कुल ही कम कीमतों पर उपलब्ध कराई जाती हैं. इसके अलावा
सुरक्षा के बेहतर इंतजाम, अच्छी पुलिसिंग सिस्टम, मानवाधिकार की बेहतर
निगरानी, उच्च इनकम लेवल, कम करप्शन जैसी चीजें कड़े कानून और मजबूत सिस्टम
के साथ सुनिश्चित की जाती हैं. जिससे आम लोगों की जिंदगी काफी आसान हो
जाती है. फिनलैंड की 90 फीसदी से अधिक आबादी की जिंदगी हर नजरिए से संतुलित
मानी जाती है. ये किसी भी समाज के लिए काफी बेहतर हालात कहे जा सकते हैं.

यहां का मौसम भी कम खुशगवार नहीं



खूबसूरत पहाड़, झीलों और नदियों के किनारे बसे शहर, बर्फ की सफेदी से
सजी प्राकृतिक खूबसूरती के बीच बसा फिनलैंड पूर्वी यूरोप का वो हिस्सा है
जहां का वातावरण काफी ठंडा है, जहां छह महीने सर्दी का मौसम रहता है,
आकर्टिक सर्किल में होने के कारण इस देश के कई हिस्सों में छह महीने रात ही
रहता है. हमारे यहां से काफी अलग प्राकृतिक हालात होने के बाद भी फिनलैंड
के लोगों ने खुशहाली के साथ जीना सीख लिया है. बारिश, बर्फ और कड़ाके की
सर्दी के बीच भी यहां के लोग जिंदगी को पूरी तरह एंजॉय करते हैं. बर्फबारी
के बीच भी जॉगिंग, राइडिंग, साइक्लिंग का यहां के लोगों को खूब शौक है. साल
के गर्म महीनों में यहां लोगों में आउटडोर सॉना, साइक्लिंग, कायकिंग,
हाइकिंग, कैम्पिंग जैसी आउटडोर एक्टिविटी का तो खास ही शौक दिखता है. बर्फ
से लिपटे यहां के खूबसूरत पहाड़, घने और सुंदर जंगल और टूरिस्ट प्लेस,
प्रदूषण मुक्त वातावरण लोगों की जिंदगी में एक अलग ही ताजगी भर देती हैं.




सरकारें क्या कुछ नहीं करतीं?



हमारे यहां मदर-चिल्ड्रेन केयर के तमाम नारे और योजनाओं की अक्सर
चर्चाएं सुनने में आती हैं. लेकिन स्कैंडिनेवियन देशों में सिस्टम काफी अलग
है. फिनलैंड में जो महिला मां बनती है उसे सरकार की ओर से एक 'न्यू बेबी
बॉक्स' गिफ्ट किया जाता है. जिसमें एक साल तक बच्चे के काम आने वाली 63
प्रोडक्ट होती हैं. इस गिफ्ट बॉक्स के बारे में लोग कहते हैं कि आपको अपने
बच्चे के लिए डायपर के अलावा पहले दो-तीन महीने तक कुछ भी खरीदने की जरूरत
नहीं होती.



इतना ही नहीं फिनलैंड और अन्य नॉर्डिक देशों में डिलिवरी के वक्त 10
महीने की पेरेंट्स लीव मिलती है. पिता बनने पर पुरूषों को भी 9 हफ्ते की
पैटरनिटी लीव मिलती है. बच्चे के जन्म के बाद उसके दोनों पेरेंट्स को पहले
तीन हफ्ते की छुट्टी अनिवार्य रूप से मिलती है जबकि इसके बाद भी बच्चे के 9
महीने के होने तक माता-पिता में से किसी एक को जरूरी तौर पर छुट्टी मिलनी
सुनिश्चित कराई जाती है. बच्चे के तीन साल का होने तक मां-बाप के पास बिना
नौकरी खोए स्टे होम फैसिलिटी का लाभ उठाने का विकल्प होता है. ये सब वहां
के सोशल सिक्योरिटी सिस्टम का हिस्सा है.



सोशल सिक्योरिटी के मजबूत उपाय देती हैं टेंशन फ्री जिंदगी



यहां जो लोग बेरोजगार हैं या अच्छी नौकरियां नहीं कर रहे हैं उनके लिए
भी सरकार का सिस्टम है. डेनमार्क में नौकरी नहीं होने की स्थिति में सरकार
की ओर से हर महीने 2000 डॉलर तक का स्टाइपेंड देने की व्यवस्था है. इसके
अलावा फिनलैंड और डेनमार्क में हर नागरिक को फ्री एजुकेशन और फ्री
हेल्थकेयर की सुविधा सरकार मुहैया कराती है. अब सोचिए वहां के लोग बच्चों
की शिक्षा और मेडिकल के तमाम खर्चों से पूरी तरह फ्री हैं. ये किसी भी
इंसान की जिंदगी में कितनी बड़ी राहत की चीज हो सकती है.







सिस्टम कम करता है लोगों की परेशानियां



फिनलैंड दुनिया के सबसे कम क्राइम रेट वाले देशों में शामिल है.
टूरिस्टों के लिए काफी सेफ आंका गया है इस देश को. फिनलैंड ने अपनी शिक्षा
व्यवस्था में भी पिछले कुछ सालों में तेजी से सुधार किए हैं. केवल किताबी
पढ़ाई की जगह यहां के स्कूल-कॉलेजों में प्रोफेशनल पढ़ाई और स्टूडेंट्स की
लर्निंग पर खासा जोर दिया जाता है. देश के सभी लोगों के लिए एक यूनिवर्सल
हेल्थकेयर सिस्टम है यानी सबको सरकार की ओर से बेहतर और एक जैसी मेडिकल
सुविधाएं मिलती हैं. रोजगार के अवसरों की समानता के लिए भी ये देश काफी हद
तक जाना जाता है.



यहां के समाज में मिडिल क्लास आबादी काफी ज्यादा है जबकि गरीबी रेखा के
नीचे रह रहे लोगों की तादाद बहुत ही कम है. यहां तक कि फिनिश समाज में अमीर
लोगों में धनबल के प्रदर्शन की परंपरा भी नहीं दिखती. जबकि वहां का सिस्टम
लोगों को एक जैसी शिक्षा, मेडिकल सुविधा फ्री में प्रदान करता है जिससे आम
घरों के बच्चे भी अच्छी जगहों पर पहुंचने में आसानी से सफलता पा सकते हैं.
दुरुस्त सिस्टम, करप्शन फ्री समाज, सेफ्टी के उपाय और अवसरों की समानता
जैसे इन्हीं सब कारणों से फिनलैंड, डेनमार्क, नॉर्वे जैसे देशों को दुनिया
का 'खुशहाल जोन' कहा जाए तो कुछ ज्यादा न होगा.



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