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News Raipur :: विजय कला यात्रा - का विमोचन। संघर्ष प्रेमी होते हैं कला पथिक-संस्कृति मंत्री श्री भगत:

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में चार दशक से लोक कला, हिंदी नाट्य जगत में सक्रिय श्री विजय मिश्रा 'अमित' पर केंद्रित "विजय कला यात्रा" पुस्तिका का विमोचन छत्तीसगढ़ शासन के संस्कृति मंत्री एवं राजनादगांव प्रभारी मंत्री श्री अमरजीत भगत ने किया।पुस्तिका के अवलोकनोपरांत उन्होंने कहा कि हरेक क्षेत्र के कला पथिक संघर्ष प्रेमी होते है। छत्तीसगढ़ विविध कलाओं का गढ़ है। यहां की कला को प्रतिष्ठित करने में श्री मिश्रा ने  उम्दा योगदान दिया है।   

विदित हो कि कलाओं का गढ़ दुर्ग से विजय मिश्रा की कला यात्रा वर्ष 1976 से आरंभ हुई। स्व.रामचंद्र देशमुख, स्व.महासिंह चंद्राकर की संस्था चंदैनी गोंदा, लोकनाट्य कारी, सोनहा बिहान,लोरिक चंदा में अभिनेता,उद्घोषक की भूमिका में आप चर्चित रहे हैं।क्षितिज रंग शिविर दुर्ग के मंच से प्रेम साईमन रचित, राम हृदय तिवारी द्वारा निर्देशित नाटकों से आपको खास पहचान मिली। हिमाचल प्रदेश में बलराज साहनी अवार्ड सहित अनेक राष्ट्रीय स्पर्धा में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता, निर्देशक के पुरस्कार से आप अलंकृत है। दूरदर्शन,रेडियो,छत्तीसगढ़ी फिल्मों में भीआपने प्रभावी भागीदारी दी है।


विजय कला यात्रा पुस्तिका विमोचन पर राजगामी सम्पदा के अध्यक्ष श्री विवेक वासनिक, शाहिद खान,राजीव डागा, महन्त नरेंद्र दास ,इंजी.संदीप पुराणिक,

डा.विलास दीवान, डा.मधुलिका शर्मा सहित अनेक कला,साहित्य समाजसेवियों,पर्यावरणविद ने श्री मिश्रा को बधाई दी ।


इस अवसर श्री मिश्रा ने बताया वर्ष 1984 में लोकनाट्य कारी की प्रस्तुति उपरांत अनेक रात रायपुर गुढ़ियारी बस स्टैंड पर सोया ताकि सुबह चार बजे की बस पकड़ कर महासमुंद स्कूल में शिक्षक की ड्यूटी करने जा सकुं।कलाजगत में आगे बढ़ना है तो त्याग, समर्पण,और निष्ठा बेहद जरूरी है।



रायपुर। छत्तीसगढ़ में चार दशक से लोक कला, हिंदी नाट्य जगत में सक्रिय श्री विजय मिश्रा 'अमित' पर केंद्रित "विजय कला यात्रा" पुस्तिका का विमोचन छत्तीसगढ़ शासन के संस्कृति मंत्री एवं राजनादगांव प्रभारी मंत्री श्री अमरजीत भगत ने किया।पुस्तिका के अवलोकनोपरांत उन्होंने कहा कि हरेक क्षेत्र के कला पथिक संघर्ष प्रेमी होते है। छत्तीसगढ़ विविध कलाओं का गढ़ है। यहां की कला को प्रतिष्ठित करने में श्री मिश्रा ने  उम्दा योगदान दिया है।   

विदित हो कि कलाओं का गढ़ दुर्ग से विजय मिश्रा की कला यात्रा वर्ष 1976 से आरंभ हुई। स्व.रामचंद्र देशमुख, स्व.महासिंह चंद्राकर की संस्था चंदैनी गोंदा, लोकनाट्य कारी, सोनहा बिहान,लोरिक चंदा में अभिनेता,उद्घोषक की भूमिका में आप चर्चित रहे हैं।क्षितिज रंग शिविर दुर्ग के मंच से प्रेम साईमन रचित, राम हृदय तिवारी द्वारा निर्देशित नाटकों से आपको खास पहचान मिली। हिमाचल प्रदेश में बलराज साहनी अवार्ड सहित अनेक राष्ट्रीय स्पर्धा में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता, निर्देशक के पुरस्कार से आप अलंकृत है। दूरदर्शन,रेडियो,छत्तीसगढ़ी फिल्मों में भीआपने प्रभावी भागीदारी दी है।


विजय कला यात्रा पुस्तिका विमोचन पर राजगामी सम्पदा के अध्यक्ष श्री विवेक वासनिक, शाहिद खान,राजीव डागा, महन्त नरेंद्र दास ,इंजी.संदीप पुराणिक,

डा.विलास दीवान, डा.मधुलिका शर्मा सहित अनेक कला,साहित्य समाजसेवियों,पर्यावरणविद ने श्री मिश्रा को बधाई दी ।


इस अवसर श्री मिश्रा ने बताया वर्ष 1984 में लोकनाट्य कारी की प्रस्तुति उपरांत अनेक रात रायपुर गुढ़ियारी बस स्टैंड पर सोया ताकि सुबह चार बजे की बस पकड़ कर महासमुंद स्कूल में शिक्षक की ड्यूटी करने जा सकुं।कलाजगत में आगे बढ़ना है तो त्याग, समर्पण,और निष्ठा बेहद जरूरी है।



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