भारतीय थाली इतनी विविधता से भरी है कि ये बताना मुश्किल है कौन सी चीज़
कहां से आई. कुछ चीज़ें हम ब्रिटिश साम्राज्य से लेकर खाने लगे, कुछ मुग़लों
से सीखे और कुछ फ्रेंच-डच-तुर्क से. एक बात तो तय है कि हिंदुस्तानी खाने
की जड़ें दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में है.
ये लिस्ट है उन भारतीय चीज़ों की, जिन्हें हम आज तक भारतीय समझ कर खा रहे
थे, लेकिन वो असल में भारतीय हैं नहीं!
1. समोसा (Samosa)
जेब में पैसे कम हो और दोस्तों को ट्रीट देनी हो. ऐसी सिचुएशन में सबसे
पहले जिस चीज़ का ख़्याल आता है, उसमें समोसा ज़रूर होता है. यह भारतीय
लोगों से कुछ इस तरह से जुड़ गया कि लोग अब इसे भारतीय ही मानते हैं. जबकि
समोसा कभी भारत का था ही नहीं. यह भारत में मध्य पूर्व के व्यापारियों
द्वारा 13वीं और 14वीं शताब्दी के बीच प्रचलन में आया. ग़ज़ब की बात तो ये
है कि सदियों लंबी अपनी यात्रा के बाद भी इसका स्वाद लोगों की ज़ुबां पर
बना हुआ है. समय-समय पर इसके साथ कई तरह के प्रयोग होते रहते हैं.
हैदराबाद में प्रचलित मीट वाले समोसे और दक्षिण भारत के सब्ज़ी वाले समोसे इसके कुछ बड़े उदाहरण हैं.
2. राजमा (Rajma)
राजमा आज हमारी और आपकी रसोई का हिस्सा बन चुकी है. इसके लिए लोग कितने
दीवाने हैं, यह देखना है, तो निकलिए दिल्ली की सड़कों पर. वहां लगे ठेलों
पर आपको लोग इसका आनंद लेते दिख जाएंगे. अब आप कहेंगे कि लोग इसके दीवाने
क्यों न हो. आखिर यह इंडियन जो है. मगर आप ग़लत हैं. क्योंकि यह मेक्सिको
और ग्वाटेमाला से भारत पहुंची.आज भी यह मैक्सिकन Cuisine में प्रमुखता से
यूज़ किया जाता है. इसे किडनी बीन्स के नाम से भी जाना जाता है. राजमा की
सबसे ख़ास बात यह है कि यह बहुत हेल्थी है. यह पूरे शरीर का पोषण करने में
सक्षम माना जाता है.
3. जलेबी (Jalebi), ईरान
जलेबी! नाम सुनकर ही मुंह में पानी आ जाए. फिर कहीं यह खाने की प्लेट
में मिल जाए, तो क्या कहना. यदा-कदा जब भी आप इसे किसी हलवाई की दुकान में
बनते देखते होंगे, तो सीना चौड़ा करके बोलते होंगे.
''यह इंडियन जलेबी है. यह विदेशी कैसे हो सकती है. किन्तु, ऐसा नहीं
है. जलेबी वास्तव में मध्य पूर्व से आई है. मूल रूप से इसे ज़ालबिया (अरबी)
या ज़ालिबिया (फ़ारसी) कहा जाता है. माना जाता है कि यह फ़ारसी
आक्रमणकारियों द्वारा भारत तक पहुंची. आज, इसके विभिन्न रूप देश भर में
पॉपुलर है. जहां नॉर्थ इंडिया में पतली जलेबियों का प्रचलन है. वहीं साऊथ
इंडिया में लोग थोड़ी सी मोटी जलेबियों को लोग खाना पसंद करते हैं.
4. गुलाब जामुन (Gulab Jamun), ईरान
भले ही आपने कितनी ही मिठाईयां खाईं हों, लेकिन गुलाब जामुन की बात ही
कुछ और है. इसकी मिठास में इंसान ख़ुद-ब-ख़ुद घुल जाता है. रूठों को मनाना
हो. अपनों को रिझाना हो. या फिर किसी जश्न का मौका. गुलाम जामुन हर जगह
देखने को मिलता है! यही कारण है कि हम इसे भारतीय मान लेते हैं. जबकि यह
भूमध्य और फ़ारस की खोज माना जाता है. इसके स्वरूपों में आज कितने भी
परिवर्तन क्यों न आ गए हो. इसकी मिठास ज्यों की त्यों बनी हुई है. इसकी
बिक्री में लगातार बढ़ोतरी ही देखने को मिली है.
मतलब इडियंस की पसंदीदा अगर कोई मिठाई है, तो वो है रस और मिठास से भरा गुलाब जामुन.
5. दाल चावल (Dal Chawal), नेपाल
ज़रा सोचिए भूख से आपका सिर फट रहा हो. पेट के अंदर चूहों ने भूचाल मचा
रखा हो. आप झट से अपने हाथ का बना फूड खाना चाहते हो. मगर आपको रोटियां
बनानी न आती हो. ऐसे में आप क्या करेंगे? मेरी तरह शायद आप भी दाल-चावल की
तरफ जाएंगे. ऐसा हो भी क्यों न! मैगी के अलावा दाल-चावल ही तो है, जो पलक
झपकते ही बनकर तैयार हो जाता है. इसे दाल-भात जैसे दूसरे क्षेत्रीय नामों
से भी जाना जाता है.
आपको यह एक सरल और भारतीय डिश लग सकती है. मगर यह भारतीय है नहीं है. यह
वास्तव में नेपाली मूल का है. उत्तर भारत के रास्ते यह भारत आया और यहां
के पूरे क्षेत्र में फैल गया. यकीनन अगली बार जब आपसे कोई कहेगा कि
दाल-चावल देशी और इंडियन है. तो आप उसको करेक्ट कर पाएंगें.
6. नान (Naan), मिडिल ईस्ट
भैया, तवा रोटी है क्या? नहीं! यह जवाब मिलते ही हम तुरंत कहते हैं नान
तो होगा. फिर हां, का जवाब मिलते ही हम तुरंत कहते हैं. लगा दीजिए फिर दो
गरमा-गरम. अगर आप बाहर का खाना पसंद करते हैं, तो आपने यह अनुभव ज़रूर किया
होगा. असल में नान एक ऐसा व्यंजन बन चुका है, जिसे पूरी दुनिया में पसंद
किया जाता है. भारत की बात करें तो यह कुछ ऐसा है, जैसे यहीं की खोज हो.
मगर ऐसा है नहीं. मुगल काल में यह भारतीय व्यंजन का हिस्सा बना. इसके कई
सारे स्वरूप आपको बाजार में मिल जाएंगे. वैसे नान को आप घर पर भी बना सकते
है. कैसे बनाएंगे? इस पर बात फिर कभी.
7. आलू (Potato), पेरू
आलू के बिना शायद ही कोई अपनी रसोई की कल्पना कर पाएं. सर्दी हो. गर्मी
हो, या बरसात. आलू हर मौसम में, सालभर बाज़ार में उपलब्ध रहता है. अधिकांश
भारतीय रोज़ आलू खाते हैं.
लिहाज़ा आलू हम भारतीयों के खान-पान का अहम हिस्सा बन गया है. इसके बिना
हमारा कम से कम एक वक्त का भोजन अधूरा रहता है. बावजूद इसके कोई कह दे कि
यह इंडियन फूड नहीं है, तो दिमाग की नसें तन जाती हैं.
आपकी नाराज़गी ज़ायज़ है मगर सच नहीं बदलेगा. और सच यह है कि आलू पेरू
और बोलिविया की देन है. वहां से ही निकलकर इसने पूरी दुनिया को अपनी जद में
लिया. आज यह कई देशों में एक प्रधान फ़सल बन गया है.
8. चाय (Tea), चीन
एक कप गरम चाय की प्याली हो जाए! कल्पना भर से हम तरोताज़ा महसूस करने
लगते हैं. सच तो यह है कि चाय की प्याली के बिना हमारी सुबह नहीं होती. घर
आए मेहमान की कितनी भी खातिरदारी कर लें. लेकिन चाय बिना सब अधूरा लगता
है.
चाय की यह आदत भारत में सालों पुरानी. किंतु इसके साथ, सच यह भी है कि
भारतीय नहीं है. यह चीन की खोज बताई जाती है. ख़ैर, खोज कहीं की भी हो,
लेकिन सच तो यह है कि आज पूरी दुनिया भारतीय चाय की दीवानी है. यहां चाय की
50 से ज़्यादा किस्में और दर्जनों रेसिपी हैं.
इससे बने पाउडर का इस्तेमाल दवाओं में भी होने लगा है. तो अगली बार जब
भी चाय की चुस्की लें, तो याद रखें कि यह सिर्फ़ स्वाद की चीज़ नहीं है.
बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है.
9. चिकन टिक्का मसाला (Chicken Tikka Masala), स्कॉटलैंड
मलाईदार नारंगी करी. सॉस में डूबा रसीला चिकन. मतलब चिकन टिक्का मसाला. खाने में स्वाद.
मगर आया कहां से?
अगर आप सोचते हैं, यह इंडियन है, तो आपको इसका इतिहास जानना चाहिए.
क्योंकि यह इंडियन तो बिल्कुल नहीं है. वह इसलिए, क्योंकि इसकी जड़ें
स्कॉटलैंड से जुड़ी बताई जाती हैं. इसे ब्रिटेन का एक राष्ट्रीय व्यंजन भी
बताया जाता है. ख़ैर, यह कहीं का भी हो. इसको पसंद करने वालों के लिए यह
किसी अमृत से कम नहीं.
भारतीय थाली इतनी विविधता से भरी है कि ये बताना मुश्किल है कौन सी चीज़
कहां से आई. कुछ चीज़ें हम ब्रिटिश साम्राज्य से लेकर खाने लगे, कुछ मुग़लों
से सीखे और कुछ फ्रेंच-डच-तुर्क से. एक बात तो तय है कि हिंदुस्तानी खाने
की जड़ें दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में है.
ये लिस्ट है उन भारतीय चीज़ों की, जिन्हें हम आज तक भारतीय समझ कर खा रहे
थे, लेकिन वो असल में भारतीय हैं नहीं!
1. समोसा (Samosa)
जेब में पैसे कम हो और दोस्तों को ट्रीट देनी हो. ऐसी सिचुएशन में सबसे
पहले जिस चीज़ का ख़्याल आता है, उसमें समोसा ज़रूर होता है. यह भारतीय
लोगों से कुछ इस तरह से जुड़ गया कि लोग अब इसे भारतीय ही मानते हैं. जबकि
समोसा कभी भारत का था ही नहीं. यह भारत में मध्य पूर्व के व्यापारियों
द्वारा 13वीं और 14वीं शताब्दी के बीच प्रचलन में आया. ग़ज़ब की बात तो ये
है कि सदियों लंबी अपनी यात्रा के बाद भी इसका स्वाद लोगों की ज़ुबां पर
बना हुआ है. समय-समय पर इसके साथ कई तरह के प्रयोग होते रहते हैं.
हैदराबाद में प्रचलित मीट वाले समोसे और दक्षिण भारत के सब्ज़ी वाले समोसे इसके कुछ बड़े उदाहरण हैं.
2. राजमा (Rajma)
राजमा आज हमारी और आपकी रसोई का हिस्सा बन चुकी है. इसके लिए लोग कितने
दीवाने हैं, यह देखना है, तो निकलिए दिल्ली की सड़कों पर. वहां लगे ठेलों
पर आपको लोग इसका आनंद लेते दिख जाएंगे. अब आप कहेंगे कि लोग इसके दीवाने
क्यों न हो. आखिर यह इंडियन जो है. मगर आप ग़लत हैं. क्योंकि यह मेक्सिको
और ग्वाटेमाला से भारत पहुंची.आज भी यह मैक्सिकन Cuisine में प्रमुखता से
यूज़ किया जाता है. इसे किडनी बीन्स के नाम से भी जाना जाता है. राजमा की
सबसे ख़ास बात यह है कि यह बहुत हेल्थी है. यह पूरे शरीर का पोषण करने में
सक्षम माना जाता है.
3. जलेबी (Jalebi), ईरान
जलेबी! नाम सुनकर ही मुंह में पानी आ जाए. फिर कहीं यह खाने की प्लेट
में मिल जाए, तो क्या कहना. यदा-कदा जब भी आप इसे किसी हलवाई की दुकान में
बनते देखते होंगे, तो सीना चौड़ा करके बोलते होंगे.
''यह इंडियन जलेबी है. यह विदेशी कैसे हो सकती है. किन्तु, ऐसा नहीं
है. जलेबी वास्तव में मध्य पूर्व से आई है. मूल रूप से इसे ज़ालबिया (अरबी)
या ज़ालिबिया (फ़ारसी) कहा जाता है. माना जाता है कि यह फ़ारसी
आक्रमणकारियों द्वारा भारत तक पहुंची. आज, इसके विभिन्न रूप देश भर में
पॉपुलर है. जहां नॉर्थ इंडिया में पतली जलेबियों का प्रचलन है. वहीं साऊथ
इंडिया में लोग थोड़ी सी मोटी जलेबियों को लोग खाना पसंद करते हैं.
4. गुलाब जामुन (Gulab Jamun), ईरान
भले ही आपने कितनी ही मिठाईयां खाईं हों, लेकिन गुलाब जामुन की बात ही
कुछ और है. इसकी मिठास में इंसान ख़ुद-ब-ख़ुद घुल जाता है. रूठों को मनाना
हो. अपनों को रिझाना हो. या फिर किसी जश्न का मौका. गुलाम जामुन हर जगह
देखने को मिलता है! यही कारण है कि हम इसे भारतीय मान लेते हैं. जबकि यह
भूमध्य और फ़ारस की खोज माना जाता है. इसके स्वरूपों में आज कितने भी
परिवर्तन क्यों न आ गए हो. इसकी मिठास ज्यों की त्यों बनी हुई है. इसकी
बिक्री में लगातार बढ़ोतरी ही देखने को मिली है.
मतलब इडियंस की पसंदीदा अगर कोई मिठाई है, तो वो है रस और मिठास से भरा गुलाब जामुन.
5. दाल चावल (Dal Chawal), नेपाल
ज़रा सोचिए भूख से आपका सिर फट रहा हो. पेट के अंदर चूहों ने भूचाल मचा
रखा हो. आप झट से अपने हाथ का बना फूड खाना चाहते हो. मगर आपको रोटियां
बनानी न आती हो. ऐसे में आप क्या करेंगे? मेरी तरह शायद आप भी दाल-चावल की
तरफ जाएंगे. ऐसा हो भी क्यों न! मैगी के अलावा दाल-चावल ही तो है, जो पलक
झपकते ही बनकर तैयार हो जाता है. इसे दाल-भात जैसे दूसरे क्षेत्रीय नामों
से भी जाना जाता है.
आपको यह एक सरल और भारतीय डिश लग सकती है. मगर यह भारतीय है नहीं है. यह
वास्तव में नेपाली मूल का है. उत्तर भारत के रास्ते यह भारत आया और यहां
के पूरे क्षेत्र में फैल गया. यकीनन अगली बार जब आपसे कोई कहेगा कि
दाल-चावल देशी और इंडियन है. तो आप उसको करेक्ट कर पाएंगें.
6. नान (Naan), मिडिल ईस्ट
भैया, तवा रोटी है क्या? नहीं! यह जवाब मिलते ही हम तुरंत कहते हैं नान
तो होगा. फिर हां, का जवाब मिलते ही हम तुरंत कहते हैं. लगा दीजिए फिर दो
गरमा-गरम. अगर आप बाहर का खाना पसंद करते हैं, तो आपने यह अनुभव ज़रूर किया
होगा. असल में नान एक ऐसा व्यंजन बन चुका है, जिसे पूरी दुनिया में पसंद
किया जाता है. भारत की बात करें तो यह कुछ ऐसा है, जैसे यहीं की खोज हो.
मगर ऐसा है नहीं. मुगल काल में यह भारतीय व्यंजन का हिस्सा बना. इसके कई
सारे स्वरूप आपको बाजार में मिल जाएंगे. वैसे नान को आप घर पर भी बना सकते
है. कैसे बनाएंगे? इस पर बात फिर कभी.
7. आलू (Potato), पेरू
आलू के बिना शायद ही कोई अपनी रसोई की कल्पना कर पाएं. सर्दी हो. गर्मी
हो, या बरसात. आलू हर मौसम में, सालभर बाज़ार में उपलब्ध रहता है. अधिकांश
भारतीय रोज़ आलू खाते हैं.
लिहाज़ा आलू हम भारतीयों के खान-पान का अहम हिस्सा बन गया है. इसके बिना
हमारा कम से कम एक वक्त का भोजन अधूरा रहता है. बावजूद इसके कोई कह दे कि
यह इंडियन फूड नहीं है, तो दिमाग की नसें तन जाती हैं.
आपकी नाराज़गी ज़ायज़ है मगर सच नहीं बदलेगा. और सच यह है कि आलू पेरू
और बोलिविया की देन है. वहां से ही निकलकर इसने पूरी दुनिया को अपनी जद में
लिया. आज यह कई देशों में एक प्रधान फ़सल बन गया है.
8. चाय (Tea), चीन
एक कप गरम चाय की प्याली हो जाए! कल्पना भर से हम तरोताज़ा महसूस करने
लगते हैं. सच तो यह है कि चाय की प्याली के बिना हमारी सुबह नहीं होती. घर
आए मेहमान की कितनी भी खातिरदारी कर लें. लेकिन चाय बिना सब अधूरा लगता
है.
चाय की यह आदत भारत में सालों पुरानी. किंतु इसके साथ, सच यह भी है कि
भारतीय नहीं है. यह चीन की खोज बताई जाती है. ख़ैर, खोज कहीं की भी हो,
लेकिन सच तो यह है कि आज पूरी दुनिया भारतीय चाय की दीवानी है. यहां चाय की
50 से ज़्यादा किस्में और दर्जनों रेसिपी हैं.
इससे बने पाउडर का इस्तेमाल दवाओं में भी होने लगा है. तो अगली बार जब
भी चाय की चुस्की लें, तो याद रखें कि यह सिर्फ़ स्वाद की चीज़ नहीं है.
बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है.
9. चिकन टिक्का मसाला (Chicken Tikka Masala), स्कॉटलैंड
मलाईदार नारंगी करी. सॉस में डूबा रसीला चिकन. मतलब चिकन टिक्का मसाला. खाने में स्वाद.
मगर आया कहां से?
अगर आप सोचते हैं, यह इंडियन है, तो आपको इसका इतिहास जानना चाहिए.
क्योंकि यह इंडियन तो बिल्कुल नहीं है. वह इसलिए, क्योंकि इसकी जड़ें
स्कॉटलैंड से जुड़ी बताई जाती हैं. इसे ब्रिटेन का एक राष्ट्रीय व्यंजन भी
बताया जाता है. ख़ैर, यह कहीं का भी हो. इसको पसंद करने वालों के लिए यह
किसी अमृत से कम नहीं.