अंबिकापुर । जंगली हाथियों के प्रबंधन और इससे होने वाले जानमाल के
नुकसान को कम करने उत्तर छत्तीसगढ़ में कई सफल प्रयोग कर चुके सेवानिवृत्त
मुख्य वन संरक्षक केके बिसेन को भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु
परिवर्तन मंत्रालय (परियोजना हाथी प्रभाग) द्वारा केंद्रीय परियोजना हाथी
निगरानी समिति का सदस्य नियुक्त किया गया है।समिति में देशभर से 12 लोगों
को शामिल किया गया है जिसमें भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून के निदेशक
भी शामिल है।केंद्रीय हाथी निगरानी समिति में केके बिसेन को शामिल करना
छत्तीसगढ़ के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।सेवानिवृत्त मुख्य वन संरक्षक
केके बिसेन हाथी-मानव द्वंद को कम करने उत्तरी छत्तीसगढ़ में कार्य कर चुके
है।
वे एक ऐसे अधिकारी के रूप में आज भी हाथी प्रभावित क्षेत्र में
चर्चित है जो जंगली हाथियों से होने वाले नुकसान को कम करने 24 घण्टे फील्ड
में रहना पसंद करते थे।हाथी प्रभावित क्षेत्र के लोगों,वन कर्मचारियों के
बीच नजदीक से जंगली हाथियों के कारण होने वाली परेशानियों को देख चुके
बिसेन को कर्नाटक से प्रशिक्षित कुमकी हाथियों को सुरक्षित तरीके से
छत्तीसगढ़ लाने, जंगली हाथियों पर कालर आइडी लगाने की शुरुआत करने का जनक
माना जाता है।उन्हीं के कार्यकाल में जंगली हाथियों से बचाव के लिए
सर्वाधिक नवाचार और सफल प्रयोग हुए जिस पर सरगुजांचल में आज भी कार्य चलता
है।
अंबिकापुर । जंगली हाथियों के प्रबंधन और इससे होने वाले जानमाल के
नुकसान को कम करने उत्तर छत्तीसगढ़ में कई सफल प्रयोग कर चुके सेवानिवृत्त
मुख्य वन संरक्षक केके बिसेन को भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु
परिवर्तन मंत्रालय (परियोजना हाथी प्रभाग) द्वारा केंद्रीय परियोजना हाथी
निगरानी समिति का सदस्य नियुक्त किया गया है।समिति में देशभर से 12 लोगों
को शामिल किया गया है जिसमें भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून के निदेशक
भी शामिल है।केंद्रीय हाथी निगरानी समिति में केके बिसेन को शामिल करना
छत्तीसगढ़ के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।सेवानिवृत्त मुख्य वन संरक्षक
केके बिसेन हाथी-मानव द्वंद को कम करने उत्तरी छत्तीसगढ़ में कार्य कर चुके
है।
वे एक ऐसे अधिकारी के रूप में आज भी हाथी प्रभावित क्षेत्र में
चर्चित है जो जंगली हाथियों से होने वाले नुकसान को कम करने 24 घण्टे फील्ड
में रहना पसंद करते थे।हाथी प्रभावित क्षेत्र के लोगों,वन कर्मचारियों के
बीच नजदीक से जंगली हाथियों के कारण होने वाली परेशानियों को देख चुके
बिसेन को कर्नाटक से प्रशिक्षित कुमकी हाथियों को सुरक्षित तरीके से
छत्तीसगढ़ लाने, जंगली हाथियों पर कालर आइडी लगाने की शुरुआत करने का जनक
माना जाता है।उन्हीं के कार्यकाल में जंगली हाथियों से बचाव के लिए
सर्वाधिक नवाचार और सफल प्रयोग हुए जिस पर सरगुजांचल में आज भी कार्य चलता
है।