साल में चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. चैत्र माह में आने
वाले नवरात्रि का विशेष महत्व है. इस बार चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल से शुरु
हो रहे हैं. इन दिनों मां के 9 स्वरूपों की पूजा होती है.
हिंदू धर्म में साल में चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. चैत्र
माह में आने वाले नवरात्रि का विशेष महत्व है. इस बार चैत्र नवरात्रि 2
अप्रैल से शुरु हो रहे हैं. नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की
पूजा की जाती है. आइए जानते हैं इन नौ दिनों में मां के किस रूप का पूजन
करना होगा शुभ.
चैत्र नवरात्रि शुभ मुहूर्त 2022-
चैत्र नवरात्रि आरंभ- 2 अप्रैल
नवरात्रि समाप्त- 10 अप्रैल
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ- 1 अप्रैल सुबह 11:53 मिनट पर
प्रतिपदा तिथि समाप्त- 2 अप्रैल सुबह 11:58 मिनट पर
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त- 2 अप्रैल सुबह 6:10 मिनट से 8:31 मिनट तक
नवरात्रि में होगी मां दुर्गा के इन रूपों की पूजा
पहले दिन- मां शैलपुत्री
नवरात्रि की शुरुआत मां शैलपुत्री के पूजन से होती है. ये राजा हिमालय
यानी शैल की पुत्री हैं और इसी कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है.
दूसरे दिन- मां ब्रम्हाचारिणी
मां ब्रह्मचारिणी अर्थात् तप का आचरण करने वाली. मां ब्रम्हाचारिणी ने
भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. इसलिए इन्हें
ब्रम्हाचारिणी कहा जाता है.
तीसरे दिन- मां चंद्रघंटा
ऐसा माना जाता है कि मां चंद्रघंटा में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों
की शक्तियां हैं. इनके मस्तक पर अर्द्ध चंद्र सुशोभित है, इसी वजह से ये
चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है.
चौथे दिन- मां कुष्मांडा
नवरात्रि का चौथा दिन मां कुष्मांडा को समर्पित है. इस दिन विधान के साथ
इनका पूजन किया जाता है. इनकी मंद हंसी से ब्रम्ह्मांड का निर्माण होने के
कारण इनका नाम कुष्मांडा पड़ा.
पांचवें दिन- मां स्कंदमाता
बता दें कि नवरात्रि के पांचवां दिन मां स्कंदमाता को समर्पित है.
इन्होंने अपनी गोद में कुमार कार्तिकेय को लिया हुआ है और कार्तिकेय का
नाम स्कंद है. बस, इसी वजह से इन्हें स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है.
छठे दिन- मां कात्यायनी
कात्यायन ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर मां कात्यायनी ने उनके घर
पुत्री रूप में जन्म लिया था. इसलिए उन्हें कात्यायनी कहा जाने लगा.
सातवें दिन- कालरात्रि माता
नवरात्रि का सांतवा दिन मां कालरात्रि की पूजा का विधान है. देखने में
प्रचंड स्वरूप, मां अपने भक्तों को सदैव शुभ फल प्रदान करती हैं इसलिए
इन्हें शुभड्करी भी कहा जाता है.
आठवें दिन- महागौरी माता
नवरात्रि के आठवें दिन दुर्गा अष्टमी होती है और इस दिन मां महागौरी का
पूजन किया जाता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव को पति रूप में
पाने के लिए इन्होंने कठिन तपस्या की थी. इस वजह से इनका शरीर काला पड़
गया था. शिव जी ने प्रसन्न होकर इन्हें गौरवर्ण प्रदान किया इसलिए ये
महागौरी कहलाई.
नौवें दिन- मां सिद्धिरात्रि
भक्तों को सर्व सिद्धियां प्रदान करने वाली मां को सिद्धिरात्री के नाम
से जाना जाता है और नवरात्रि के आखिरी दिन मां सिद्धिरात्रि की पूजा की
जाती है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और
जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी
तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या
मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
साल में चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. चैत्र माह में आने
वाले नवरात्रि का विशेष महत्व है. इस बार चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल से शुरु
हो रहे हैं. इन दिनों मां के 9 स्वरूपों की पूजा होती है.
हिंदू धर्म में साल में चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. चैत्र
माह में आने वाले नवरात्रि का विशेष महत्व है. इस बार चैत्र नवरात्रि 2
अप्रैल से शुरु हो रहे हैं. नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की
पूजा की जाती है. आइए जानते हैं इन नौ दिनों में मां के किस रूप का पूजन
करना होगा शुभ.
चैत्र नवरात्रि शुभ मुहूर्त 2022-
चैत्र नवरात्रि आरंभ- 2 अप्रैल
नवरात्रि समाप्त- 10 अप्रैल
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ- 1 अप्रैल सुबह 11:53 मिनट पर
प्रतिपदा तिथि समाप्त- 2 अप्रैल सुबह 11:58 मिनट पर
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त- 2 अप्रैल सुबह 6:10 मिनट से 8:31 मिनट तक
नवरात्रि में होगी मां दुर्गा के इन रूपों की पूजा
पहले दिन- मां शैलपुत्री
नवरात्रि की शुरुआत मां शैलपुत्री के पूजन से होती है. ये राजा हिमालय
यानी शैल की पुत्री हैं और इसी कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है.
दूसरे दिन- मां ब्रम्हाचारिणी
मां ब्रह्मचारिणी अर्थात् तप का आचरण करने वाली. मां ब्रम्हाचारिणी ने
भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. इसलिए इन्हें
ब्रम्हाचारिणी कहा जाता है.
तीसरे दिन- मां चंद्रघंटा
ऐसा माना जाता है कि मां चंद्रघंटा में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों
की शक्तियां हैं. इनके मस्तक पर अर्द्ध चंद्र सुशोभित है, इसी वजह से ये
चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है.
चौथे दिन- मां कुष्मांडा
नवरात्रि का चौथा दिन मां कुष्मांडा को समर्पित है. इस दिन विधान के साथ
इनका पूजन किया जाता है. इनकी मंद हंसी से ब्रम्ह्मांड का निर्माण होने के
कारण इनका नाम कुष्मांडा पड़ा.
पांचवें दिन- मां स्कंदमाता
बता दें कि नवरात्रि के पांचवां दिन मां स्कंदमाता को समर्पित है.
इन्होंने अपनी गोद में कुमार कार्तिकेय को लिया हुआ है और कार्तिकेय का
नाम स्कंद है. बस, इसी वजह से इन्हें स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है.
छठे दिन- मां कात्यायनी
कात्यायन ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर मां कात्यायनी ने उनके घर
पुत्री रूप में जन्म लिया था. इसलिए उन्हें कात्यायनी कहा जाने लगा.
सातवें दिन- कालरात्रि माता
नवरात्रि का सांतवा दिन मां कालरात्रि की पूजा का विधान है. देखने में
प्रचंड स्वरूप, मां अपने भक्तों को सदैव शुभ फल प्रदान करती हैं इसलिए
इन्हें शुभड्करी भी कहा जाता है.
आठवें दिन- महागौरी माता
नवरात्रि के आठवें दिन दुर्गा अष्टमी होती है और इस दिन मां महागौरी का
पूजन किया जाता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव को पति रूप में
पाने के लिए इन्होंने कठिन तपस्या की थी. इस वजह से इनका शरीर काला पड़
गया था. शिव जी ने प्रसन्न होकर इन्हें गौरवर्ण प्रदान किया इसलिए ये
महागौरी कहलाई.
नौवें दिन- मां सिद्धिरात्रि
भक्तों को सर्व सिद्धियां प्रदान करने वाली मां को सिद्धिरात्री के नाम
से जाना जाता है और नवरात्रि के आखिरी दिन मां सिद्धिरात्रि की पूजा की
जाती है.
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