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यूक्रेन संकट को खत्म कराने के लिए भारत को अपनी भूमिका निभानी चाहिए:

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विपक्षी सदस्यों ने सरकार को यूक्रेन संकट के भू-राजनीतिक एवं आर्थिक
प्रभाव को लेकर सचेत करते हुए मंगलवार को लोकसभा में कहा कि सरकार को इस
युद्ध को खत्म कराने और शांति की बहाली में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।
निचले सदन में नियम 193 के तहत यूक्रेन की स्थिति पर चर्चा में भाग लेते
हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने सरकार से यह आग्रह भी किया कि उसे
मौजूदा समय में गुटनिरपेक्षता से जुड़े नेहरूवादी सिद्धांत का अनुसरण करना
चाहिए जो समय की कसौटी पर खरा उतरा है।



तिवारी ने रूस के साथ भारत के संबंधों का हवाला देते हुए कहा कहा कि रूस
भारत का विश्वसनीय मित्र रहा है और बहुत मुश्किल समय में उसने हमारी मदद
की। कांग्रेस नेता ने 1971 के भारत-पाक युद्ध के समय का उल्लेख करते हुए
कहा कि उस वक्त भारत की सेना के पराक्रम और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा
गांधी की दक्ष कूटनीति के चलते बांग्लादेश को आजादी मिली।


उन्होंने कहा, ‘‘यूक्रेन की स्थिति के लिए क्या रूस अकेले जिम्मेदार है?
मुझे लगता है कि अमेरिका और उसके साथी इसके लिए समान रूप से जिम्मेदार
हैं।’’ तिवारी ने कहा कि आज पाकिस्तान में रातनीतिक अस्थिरता है, श्रीलंका
में आर्थिक बदहाली है। अब तक सरकार बहुत सतर्क रही है, इसके लिए इसकी
सराहना होनी चाहिए।



उन्होंने कहा कि पिछले तीन दशकों में भारत और अमेरिका के संबंध प्रगाढ़
बन गए हैं। ऐसी स्थिति ने भारत को पक्ष लेने को मजबूर किया और यह स्थिति
कहीं न कहीं हमें पश्चिम के ज्यादा नजदीक ले गई। उन्होंने कहा कि वह सरकार
से कहना चाहते हैं कि गुटनिरपेक्षता के नेहरूवादी सिद्धांत की तरफ जाने का
समय है। इस सिद्धांत ने भारत को 1947 से 1989 तक बेहतर स्थिति में रखा।


कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘ यह सिद्धांत समय की कसौटी पर खरा उतरा।
सत्तापक्ष के लोग देश के प्रथम प्रधानमंत्री की भले ही आलोचना करें, लेकिन
यह उनके सिद्धांतों की तरफ जाने का समय है।’’ उन्होंने कहा कि दूसरे देशों
में फंसे होने के भारतीय नागरिकों को बाहर निकालने का सफल अभियान चलाया
गया, लेकिन इस तरह से कभी पीठ नहीं थपथपाई गई। इस तरह के बच्चों से नारे
नहीं लगवाए गए है… यह सब गैरजरूरी था।


चर्चा में हिस्सा लेते हुए आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि
यूक्रेन की स्थिति को लेकर सरकार ने सदन में जो बयान दिया था, उसका हम
स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘रूस की सैन्य कार्रवाई के 40 दिनों बाद
स्थिति बहुत बदल गई है। हम जानना चाहते हैं कि मौजूदा समय में इस संकट का
भू-राजनीतिक असर क्या होगा और भारत सरकार अब रुख क्या है?’’ उन्होंने कहा
कि 20 हजार से अधिक छात्रों को वापस लोने में सरकार ने अच्छा काम किया।


प्रेचमंद्रन ने कहा कि ‘आॅपरेशन गंगा’ के तहत छात्रों को वापस निकालने का काम और बेहतर ढंग से किया जा सकता था।

उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से शुरू में जो परामर्श जारी किए गए उसमें
स्थिति पूरी तरह स्पष्टता नहीं थी। जबकि अमेरिका ने शुरू में ही अपने
नागरिकों से कहा दिया था कि वे यूक्रेन तत्काल छोड़ दें।


उन्होंने कहा कि यूक्रेन से लौटे छात्रों के मुद्दों को तत्काल हल करना
चाहिए। सरकार को संबंधित विभागों से बातचीत करके कदम उठाना चाहिए।
प्रेमचंद्रन ने कहा कि ‘आॅपरेशन गंगा’ का आलोचनात्मक ढंग से गौर करना चाहिए
ताकि आगे के लिए सबक लिया जा सके।

उन्होंने कहा कि भारत को बहुत सावधानी के साथ कूटनीतिक कदम उठाने की जरूरत है।


प्रेमचंद्रन ने कहा, ‘‘ भारत गांधी जी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस का देश
है। वह ंिहसा और अंिहसा के बीच संतुलन बनाना जानता है। हमें अपने कूटनीतिक
रुख को स्पष्ट करते हुए कह कि इस संकट का समाधान करने में अपनी भूमिका
निभानी चाहिए…भारत को मध्यस्थ की भूमिका निभाते हुए इस संकट का समाधान करना
चाहिए।’’









विपक्षी सदस्यों ने सरकार को यूक्रेन संकट के भू-राजनीतिक एवं आर्थिक
प्रभाव को लेकर सचेत करते हुए मंगलवार को लोकसभा में कहा कि सरकार को इस
युद्ध को खत्म कराने और शांति की बहाली में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।
निचले सदन में नियम 193 के तहत यूक्रेन की स्थिति पर चर्चा में भाग लेते
हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने सरकार से यह आग्रह भी किया कि उसे
मौजूदा समय में गुटनिरपेक्षता से जुड़े नेहरूवादी सिद्धांत का अनुसरण करना
चाहिए जो समय की कसौटी पर खरा उतरा है।



तिवारी ने रूस के साथ भारत के संबंधों का हवाला देते हुए कहा कहा कि रूस
भारत का विश्वसनीय मित्र रहा है और बहुत मुश्किल समय में उसने हमारी मदद
की। कांग्रेस नेता ने 1971 के भारत-पाक युद्ध के समय का उल्लेख करते हुए
कहा कि उस वक्त भारत की सेना के पराक्रम और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा
गांधी की दक्ष कूटनीति के चलते बांग्लादेश को आजादी मिली।


उन्होंने कहा, ‘‘यूक्रेन की स्थिति के लिए क्या रूस अकेले जिम्मेदार है?
मुझे लगता है कि अमेरिका और उसके साथी इसके लिए समान रूप से जिम्मेदार
हैं।’’ तिवारी ने कहा कि आज पाकिस्तान में रातनीतिक अस्थिरता है, श्रीलंका
में आर्थिक बदहाली है। अब तक सरकार बहुत सतर्क रही है, इसके लिए इसकी
सराहना होनी चाहिए।



उन्होंने कहा कि पिछले तीन दशकों में भारत और अमेरिका के संबंध प्रगाढ़
बन गए हैं। ऐसी स्थिति ने भारत को पक्ष लेने को मजबूर किया और यह स्थिति
कहीं न कहीं हमें पश्चिम के ज्यादा नजदीक ले गई। उन्होंने कहा कि वह सरकार
से कहना चाहते हैं कि गुटनिरपेक्षता के नेहरूवादी सिद्धांत की तरफ जाने का
समय है। इस सिद्धांत ने भारत को 1947 से 1989 तक बेहतर स्थिति में रखा।


कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘ यह सिद्धांत समय की कसौटी पर खरा उतरा।
सत्तापक्ष के लोग देश के प्रथम प्रधानमंत्री की भले ही आलोचना करें, लेकिन
यह उनके सिद्धांतों की तरफ जाने का समय है।’’ उन्होंने कहा कि दूसरे देशों
में फंसे होने के भारतीय नागरिकों को बाहर निकालने का सफल अभियान चलाया
गया, लेकिन इस तरह से कभी पीठ नहीं थपथपाई गई। इस तरह के बच्चों से नारे
नहीं लगवाए गए है… यह सब गैरजरूरी था।


चर्चा में हिस्सा लेते हुए आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि
यूक्रेन की स्थिति को लेकर सरकार ने सदन में जो बयान दिया था, उसका हम
स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘रूस की सैन्य कार्रवाई के 40 दिनों बाद
स्थिति बहुत बदल गई है। हम जानना चाहते हैं कि मौजूदा समय में इस संकट का
भू-राजनीतिक असर क्या होगा और भारत सरकार अब रुख क्या है?’’ उन्होंने कहा
कि 20 हजार से अधिक छात्रों को वापस लोने में सरकार ने अच्छा काम किया।


प्रेचमंद्रन ने कहा कि ‘आॅपरेशन गंगा’ के तहत छात्रों को वापस निकालने का काम और बेहतर ढंग से किया जा सकता था।

उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से शुरू में जो परामर्श जारी किए गए उसमें
स्थिति पूरी तरह स्पष्टता नहीं थी। जबकि अमेरिका ने शुरू में ही अपने
नागरिकों से कहा दिया था कि वे यूक्रेन तत्काल छोड़ दें।


उन्होंने कहा कि यूक्रेन से लौटे छात्रों के मुद्दों को तत्काल हल करना
चाहिए। सरकार को संबंधित विभागों से बातचीत करके कदम उठाना चाहिए।
प्रेमचंद्रन ने कहा कि ‘आॅपरेशन गंगा’ का आलोचनात्मक ढंग से गौर करना चाहिए
ताकि आगे के लिए सबक लिया जा सके।

उन्होंने कहा कि भारत को बहुत सावधानी के साथ कूटनीतिक कदम उठाने की जरूरत है।


प्रेमचंद्रन ने कहा, ‘‘ भारत गांधी जी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस का देश
है। वह ंिहसा और अंिहसा के बीच संतुलन बनाना जानता है। हमें अपने कूटनीतिक
रुख को स्पष्ट करते हुए कह कि इस संकट का समाधान करने में अपनी भूमिका
निभानी चाहिए…भारत को मध्यस्थ की भूमिका निभाते हुए इस संकट का समाधान करना
चाहिए।’’






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