रायपुर। गर्मी के दिनों में
जंगल सफारी की तस्वीर बदल गई है। जंगल सफारी के जानवर जमकर मौज कर रहे हैं।
यहां भालू खीरा और ककड़ी खा रहा है। दिन में तीन बार शरबत भी पी रहा है।
शेर-बाघ और तेंदुआ, कूलर की ठंडी-ठंडी हवा में सो रहे हैं। चीतल और सांभर
के ऊपर सुबह-शाम पानी का छिड़काव किया जा रहा है। बाड़े को चारों ओर से खस और
घास से ढंक दिया गया है। यानी जब चहुंओर सब गर्मी से परेशान हैं, तब जंगल
सफारी के वन्य प्राणी, 'ठंडा-ठंडा, कूल-कूल" का अनुभव कर रहे हैं। गर्मी
से बचाने के साथ इनके भोजन को भी संतुलित कर दिया गया है। जैसे, सामान्य
दिनों में शेर और बाघ 11-11 किलो मांस खाते थे। अब इन्हें तीन किलो कम यानी
आठ-आठ किलो मांस दिया जा रहा है। तेंदुए के भोजन की मात्रा में एक किलो
कटौती कर तीन किलो मांस दिया जा रहा है। शाकाहारी वन्य प्राणियों के लिए
बड़ी मात्रा में खीरा-ककड़ी, सब्जी, भाजी, पपीता, कलिंदर लाए जा रहे हैं।
इन्हें सबसे अधिक चाव से खाने का काम भालू कर रहे हैं। गर्मी से बचाने के
लिए सभी बाड़ों में सुबह-शाम पानी का छिड़काव किया जा रहा है। चीतल और सांभर
के लिए विशेष रूप से पोखर बनाए गए हैं।
रायपुर। गर्मी के दिनों में
जंगल सफारी की तस्वीर बदल गई है। जंगल सफारी के जानवर जमकर मौज कर रहे हैं।
यहां भालू खीरा और ककड़ी खा रहा है। दिन में तीन बार शरबत भी पी रहा है।
शेर-बाघ और तेंदुआ, कूलर की ठंडी-ठंडी हवा में सो रहे हैं। चीतल और सांभर
के ऊपर सुबह-शाम पानी का छिड़काव किया जा रहा है। बाड़े को चारों ओर से खस और
घास से ढंक दिया गया है। यानी जब चहुंओर सब गर्मी से परेशान हैं, तब जंगल
सफारी के वन्य प्राणी, 'ठंडा-ठंडा, कूल-कूल" का अनुभव कर रहे हैं। गर्मी
से बचाने के साथ इनके भोजन को भी संतुलित कर दिया गया है। जैसे, सामान्य
दिनों में शेर और बाघ 11-11 किलो मांस खाते थे। अब इन्हें तीन किलो कम यानी
आठ-आठ किलो मांस दिया जा रहा है। तेंदुए के भोजन की मात्रा में एक किलो
कटौती कर तीन किलो मांस दिया जा रहा है। शाकाहारी वन्य प्राणियों के लिए
बड़ी मात्रा में खीरा-ककड़ी, सब्जी, भाजी, पपीता, कलिंदर लाए जा रहे हैं।
इन्हें सबसे अधिक चाव से खाने का काम भालू कर रहे हैं। गर्मी से बचाने के
लिए सभी बाड़ों में सुबह-शाम पानी का छिड़काव किया जा रहा है। चीतल और सांभर
के लिए विशेष रूप से पोखर बनाए गए हैं।