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3 विशेष ग्रहों में होने जा रहा बदलाव हर किसी को करेगा प्रभावित, राहु केतु भी बदलेंगे राशि:

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इस माह यानि अप्रैल 2022 में अन्य ग्रहों के अलावा तीन ऐसे ग्रह जिन्हें
दुख का कारक माना जाता है, वे भी अपनी राशियों में परिवर्तन करने जा रहे
हैं। ऐसे में इन ग्रहों का बदलाव हर राशि के जातक को अपने असर का प्रभाव
दिखाएगा। इस दौरान जहां हमेशा वक्रगति से चलने वाले राहु-केतु दोनों ही
अपनी-अपनी राशि एक साथ बदलेंगे।

वहीं
इसी माह शनि भी अपनी राशि में वक्री गति के साथ परिवर्तन करेंगे।
राहु-केतु में जहां यह बदलाव मंगलवार,12 अप्रैल को होने जा रहा है। वहीं
शनि शुक्रवार, 29 अप्रैल के दिन मकर राशि को छोड़कर कुंभ राशि में प्रवेश
कर जाएंगे। ज्योतिष के जानकारों की माने तो इन ग्रहों के बदलाव से जो
परिवर्तन होंगे, वह भी अलग-अलग प्रकार से देखने को मिलेंगे।

ज्योतिष
के जानकार एके शुक्ला के अनुसार हिंदू पंचांग की गणना और ग्रह गोचर के
सिद्धांत के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष 12 अप्रैल 2022 को एकादशी तिथि पर
मंगलवार के दिन राहु व केतु का राशि परिवर्तन होगा।

Rashiyo ka Parivartan

साथ
ही 29 अप्रैल को वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर शनि का भी
राशि परिवर्तन होगा। इन तीन प्रबल ग्रहों का एक ही माह में राशि परिवर्तन
करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, यह संसार की गति और परिस्थितियों को बदलने में
सक्षम रहते हैं।

राहु केतु बदलेंगे 12 अप्रैल को राशि
हमेशा
वक्र गति से चलने वाले राहु केतु दोनों ही अपनी राशि एक साथ बदलते हैं,
वर्तमान में राहु वृषभ तथा केतु वृश्चिक राशि में गोचरस्थ है, मंगलवार, 12
अप्रैल के दिन में 12:20 पर राहु का वृषभ राशि छोड़कर मेष राशि में प्रवेश
होगा वहीं केतु का वृश्चिक राशि को छोडकर तुला राशि में प्रवेश होगा।

तुला राशि के केतु का प्रभाव
केतु
का तुला राशि में प्रवेश भी 18 माह का रहेगा तुला राशि का स्वामी शुक्र
है। शुक्र की राशि में केतु का गोचर करना अच्छा माना जाता है, क्योंकि
नैसर्गिक दृष्टिकोण से शुक्र केतु का मित्र है, इस दृष्टि से बहुत से
क्षेत्रों में अनुकूलता के साथ सांस्कृतिक तथा ऐतिहासिकता का भी दबदबा
रहेगा। कला और निर्देशन के क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन तथा श्रेष्ठ
जनों के आगमन की स्थिति बनेगी।

किस राशि पर क्या होगा प्रभाव
भारतीय
ज्योतिष शास्त्र में अलग-अलग राशि पर ग्रहों के अलग-अलग प्रभाव का गोचर
अनुक्रम होता है। मेष राशि पर राहु का परिभ्रमण 18 माह का रहेगा मेष राशि
का स्वामी मंगल है और नैसर्गिक दृष्टिकोण से राहु मंगल की शत्रुता रहती है
ऐसी स्थिति में शासन प्रशासन तथा राजनीति में उठापटक की स्थिति बनेगी।

वहीं
भूमि, भवन से संबंधित निर्माण कार्य करें, अभिवृद्धि का भी संकेत मिलेगा
यही नहीं राहु के मेष राशि पर गोचर करने से तापमान में वृद्धि तथा
प्राकृतिक परिवर्तन दिखाई देगा।

शनि का मकर से कुंभ राशि में 29 अप्रैल को प्रवेश
ग्रह
गोचर की गणना का आधार पर देखें तो वर्तमान में शनि मकर राशि में गोचर कर
रहे हैं, यहां ये जान लें कि शनि का एक राशि पर गोचर तकरीबन ढाई वर्ष का
होता है। वहीं शुक्रवार, 29 अप्रैल को दिन में शनि का मकर राशि को छोड़कर
कुंभ राशि में प्रवेश होगा। कुंभ राशि का यह प्रवेश काल शुक्रवार, 29
अप्रैल से लेकर मंगलवार, 12 जुलाई तक रहेगा यानि तकरीबन 72 दिन के इस
प्रवेश काल का शुभ प्रभाव जनमानस और सांसारिक दृष्टिकोण से दिखाई देगा। 12
जुलाई के बाद शनि पुनः वक्री होंगे और मकर राशि पर गोचर करेंगे। गोचर का यह
समय रविवार, 23 अक्टूबर तक विशेष रूप से दिखाई देगा।

वहीं 12
जुलाई के बाद वक्री गति का शनि पुनः मकर राशि में होकर अलग- अलग प्रकार के
रोगों की स्थिति उत्पन्न कर सकता है। संभवतः यह संक्रमण को पुनर्स्थापित
करें, इस दृष्टिकोण से जनता को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना होगा।


इस माह यानि अप्रैल 2022 में अन्य ग्रहों के अलावा तीन ऐसे ग्रह जिन्हें
दुख का कारक माना जाता है, वे भी अपनी राशियों में परिवर्तन करने जा रहे
हैं। ऐसे में इन ग्रहों का बदलाव हर राशि के जातक को अपने असर का प्रभाव
दिखाएगा। इस दौरान जहां हमेशा वक्रगति से चलने वाले राहु-केतु दोनों ही
अपनी-अपनी राशि एक साथ बदलेंगे।

वहीं
इसी माह शनि भी अपनी राशि में वक्री गति के साथ परिवर्तन करेंगे।
राहु-केतु में जहां यह बदलाव मंगलवार,12 अप्रैल को होने जा रहा है। वहीं
शनि शुक्रवार, 29 अप्रैल के दिन मकर राशि को छोड़कर कुंभ राशि में प्रवेश
कर जाएंगे। ज्योतिष के जानकारों की माने तो इन ग्रहों के बदलाव से जो
परिवर्तन होंगे, वह भी अलग-अलग प्रकार से देखने को मिलेंगे।

ज्योतिष
के जानकार एके शुक्ला के अनुसार हिंदू पंचांग की गणना और ग्रह गोचर के
सिद्धांत के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष 12 अप्रैल 2022 को एकादशी तिथि पर
मंगलवार के दिन राहु व केतु का राशि परिवर्तन होगा।

Rashiyo ka Parivartan

साथ
ही 29 अप्रैल को वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर शनि का भी
राशि परिवर्तन होगा। इन तीन प्रबल ग्रहों का एक ही माह में राशि परिवर्तन
करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, यह संसार की गति और परिस्थितियों को बदलने में
सक्षम रहते हैं।

राहु केतु बदलेंगे 12 अप्रैल को राशि
हमेशा
वक्र गति से चलने वाले राहु केतु दोनों ही अपनी राशि एक साथ बदलते हैं,
वर्तमान में राहु वृषभ तथा केतु वृश्चिक राशि में गोचरस्थ है, मंगलवार, 12
अप्रैल के दिन में 12:20 पर राहु का वृषभ राशि छोड़कर मेष राशि में प्रवेश
होगा वहीं केतु का वृश्चिक राशि को छोडकर तुला राशि में प्रवेश होगा।

तुला राशि के केतु का प्रभाव
केतु
का तुला राशि में प्रवेश भी 18 माह का रहेगा तुला राशि का स्वामी शुक्र
है। शुक्र की राशि में केतु का गोचर करना अच्छा माना जाता है, क्योंकि
नैसर्गिक दृष्टिकोण से शुक्र केतु का मित्र है, इस दृष्टि से बहुत से
क्षेत्रों में अनुकूलता के साथ सांस्कृतिक तथा ऐतिहासिकता का भी दबदबा
रहेगा। कला और निर्देशन के क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन तथा श्रेष्ठ
जनों के आगमन की स्थिति बनेगी।

किस राशि पर क्या होगा प्रभाव
भारतीय
ज्योतिष शास्त्र में अलग-अलग राशि पर ग्रहों के अलग-अलग प्रभाव का गोचर
अनुक्रम होता है। मेष राशि पर राहु का परिभ्रमण 18 माह का रहेगा मेष राशि
का स्वामी मंगल है और नैसर्गिक दृष्टिकोण से राहु मंगल की शत्रुता रहती है
ऐसी स्थिति में शासन प्रशासन तथा राजनीति में उठापटक की स्थिति बनेगी।

वहीं
भूमि, भवन से संबंधित निर्माण कार्य करें, अभिवृद्धि का भी संकेत मिलेगा
यही नहीं राहु के मेष राशि पर गोचर करने से तापमान में वृद्धि तथा
प्राकृतिक परिवर्तन दिखाई देगा।

शनि का मकर से कुंभ राशि में 29 अप्रैल को प्रवेश
ग्रह
गोचर की गणना का आधार पर देखें तो वर्तमान में शनि मकर राशि में गोचर कर
रहे हैं, यहां ये जान लें कि शनि का एक राशि पर गोचर तकरीबन ढाई वर्ष का
होता है। वहीं शुक्रवार, 29 अप्रैल को दिन में शनि का मकर राशि को छोड़कर
कुंभ राशि में प्रवेश होगा। कुंभ राशि का यह प्रवेश काल शुक्रवार, 29
अप्रैल से लेकर मंगलवार, 12 जुलाई तक रहेगा यानि तकरीबन 72 दिन के इस
प्रवेश काल का शुभ प्रभाव जनमानस और सांसारिक दृष्टिकोण से दिखाई देगा। 12
जुलाई के बाद शनि पुनः वक्री होंगे और मकर राशि पर गोचर करेंगे। गोचर का यह
समय रविवार, 23 अक्टूबर तक विशेष रूप से दिखाई देगा।

वहीं 12
जुलाई के बाद वक्री गति का शनि पुनः मकर राशि में होकर अलग- अलग प्रकार के
रोगों की स्थिति उत्पन्न कर सकता है। संभवतः यह संक्रमण को पुनर्स्थापित
करें, इस दृष्टिकोण से जनता को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना होगा।


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