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आज से शुरु हो रहा है वैशाख का महीना, जानें इसका धार्मिक महत्व, नियम और दान:

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सनातन परंपरा में वैशाख मास (Vaishakh Month) का बहुत ज्यादा धार्मिक
महत्व है. भगवान श्रीहरि विष्णु की कृपा बरसाने वाले इस पावन वैशाख मास की
पूजा विधि, पर्व आदि के बारे में विस्तार से जानने के लिए जरूर पढ़ें ये
लेख.



भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की कृपा दिलाने वाले
पावन वैशाख मास की आज से शुरुआत हो रही है. आज दिनांक 17 अप्रैल 2022,
रविवार से शुरु होकर यह पावन मास 30 मई 2022, सोमवार तक चलेगा. हिंदू (Hindu) धर्म में वैशाख मास का न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी बहुत ज्यादा महत्व है. आइए वैशाख मास (Vaishakh Month) से जुड़े तीज-त्योहार, पावन तिथियों और पूजा, दान (Daan)
आदि से जुड़े उन जरूरी नियमों के बारे में विस्तार से जानते हैं, जिनका
पालन करने पर व्यक्ति को कई गुना पुण्यफल की प्राप्ति होती है.


वैशाख मास का धार्मिक-आध्यात्मिक महत्व


हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख साल का दूसरा मास या फिर कहें महीना होता
है, जिसे माधव मास भी कहते हैं. भगवान श्री विष्णु की कृपा दिलाने वाले
वैशाख मास में कई तीज-त्योहार और तिथियां आती हैं, जिनमें श्री हरि की
विधि-विधान से पूजा करने पर शीघ्र ही सभी मनोकामना पूरी होती है. मान्यता
है कि पावन वैशाख मास के दिन से त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी.


वैशाख मास का दान


सनातन परंपरा में किसी भी देवी-देवता, तीज-त्योहार, दिन अथवा माह विशेष
में साधना-आराधना के साथ दान का भी महत्व है. मान्यता है कि यदि तिथि, दिन
या मास के अनुसार दान किया जाए तो व्यक्ति को कई गुना ज्यादा फल की
प्राप्ति होती है और उसके जीवन से जुड़े सभी कष्ट दूर होते हैं. वैशाख मास
में चूंंकि भारत के तमाम हिस्सों में बहुत गर्मी पड़ती है, इसलिए इस मास
में प्रकृति और आम लोगों की जरूरतों को देखते हुए जल, मटका, छाता, पंखा,
चप्पल आदि का दान करना शुभ प्रदान करता है.


वैशाख माह की पूजा का उपाय


  1. वैशाख मास में भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने पर जीवन
    से जुड़े सभी दु:ख दूर होते हैं और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
  2. वैशाख मास में पुण्य सलिला गंगा नदी में स्नान और उनका पूजन करने पर विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है.
  3. वैशाख मास में पीपल और तुलसी की सेवा और उसकी पूजा करने पर साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

वैशाख मास के तीज-त्योहार


पंचांग के अनुसार अत्यंत ही पावन और पुण्य प्रदान करने वाले वैशाख मास
में भगवान श्री हरि की कृपा दिलाने वाले कई पर्व पड़ते हैं. इस मास में
परशुराम जयंती, बुद्ध पूर्णिमा, वरुथिनी और मोहिनी एकादशी और वैशाख
शुक्लपक्ष में पड़ने वाली नरसिंह जयंती पड़ती है तो वहीं मां गंगा और सीता
से जुड़े पावन पर्व गंगा सप्तमी और सीता नवमी भी पड़ती है. आइए जानते हैं
कि वैशाख मास में कब कौन सा पड़ेगा पर्व –


17 अप्रैल 2022 – ईस्टर


19 अप्रैल 2022 – संकष्टी चतुर्थी व्रत


23 अप्रैल 2022 – कालाष्टमी व्रत


26 अप्रैल 2022 – वरुथिनी एकादशी व्रत


28 अप्रैल 2022 – प्रदोष व्रत


29 अप्रैल 2022 – मासिक शिवरात्रि


30 अप्रैल2022 – अमावस्या


01 मई 2022 – सूर्य ग्रहण


03 मई 2022 – अक्षय तृतीया, परशुराम जयंती


08 मई 2022 – गंगा सप्तमी


10 मई 2022 – सीता नवमी


12 मई 2022 – मोहिनी एकादशी


13 मई 2022 – प्रदोष व्रत


14 मई 2022 – नरसिंह जयंती


(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं,
इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में
रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)





सनातन परंपरा में वैशाख मास (Vaishakh Month) का बहुत ज्यादा धार्मिक
महत्व है. भगवान श्रीहरि विष्णु की कृपा बरसाने वाले इस पावन वैशाख मास की
पूजा विधि, पर्व आदि के बारे में विस्तार से जानने के लिए जरूर पढ़ें ये
लेख.



भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की कृपा दिलाने वाले
पावन वैशाख मास की आज से शुरुआत हो रही है. आज दिनांक 17 अप्रैल 2022,
रविवार से शुरु होकर यह पावन मास 30 मई 2022, सोमवार तक चलेगा. हिंदू (Hindu) धर्म में वैशाख मास का न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी बहुत ज्यादा महत्व है. आइए वैशाख मास (Vaishakh Month) से जुड़े तीज-त्योहार, पावन तिथियों और पूजा, दान (Daan)
आदि से जुड़े उन जरूरी नियमों के बारे में विस्तार से जानते हैं, जिनका
पालन करने पर व्यक्ति को कई गुना पुण्यफल की प्राप्ति होती है.


वैशाख मास का धार्मिक-आध्यात्मिक महत्व


हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख साल का दूसरा मास या फिर कहें महीना होता
है, जिसे माधव मास भी कहते हैं. भगवान श्री विष्णु की कृपा दिलाने वाले
वैशाख मास में कई तीज-त्योहार और तिथियां आती हैं, जिनमें श्री हरि की
विधि-विधान से पूजा करने पर शीघ्र ही सभी मनोकामना पूरी होती है. मान्यता
है कि पावन वैशाख मास के दिन से त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी.


वैशाख मास का दान


सनातन परंपरा में किसी भी देवी-देवता, तीज-त्योहार, दिन अथवा माह विशेष
में साधना-आराधना के साथ दान का भी महत्व है. मान्यता है कि यदि तिथि, दिन
या मास के अनुसार दान किया जाए तो व्यक्ति को कई गुना ज्यादा फल की
प्राप्ति होती है और उसके जीवन से जुड़े सभी कष्ट दूर होते हैं. वैशाख मास
में चूंंकि भारत के तमाम हिस्सों में बहुत गर्मी पड़ती है, इसलिए इस मास
में प्रकृति और आम लोगों की जरूरतों को देखते हुए जल, मटका, छाता, पंखा,
चप्पल आदि का दान करना शुभ प्रदान करता है.


वैशाख माह की पूजा का उपाय


  1. वैशाख मास में भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने पर जीवन
    से जुड़े सभी दु:ख दूर होते हैं और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
  2. वैशाख मास में पुण्य सलिला गंगा नदी में स्नान और उनका पूजन करने पर विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है.
  3. वैशाख मास में पीपल और तुलसी की सेवा और उसकी पूजा करने पर साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

वैशाख मास के तीज-त्योहार


पंचांग के अनुसार अत्यंत ही पावन और पुण्य प्रदान करने वाले वैशाख मास
में भगवान श्री हरि की कृपा दिलाने वाले कई पर्व पड़ते हैं. इस मास में
परशुराम जयंती, बुद्ध पूर्णिमा, वरुथिनी और मोहिनी एकादशी और वैशाख
शुक्लपक्ष में पड़ने वाली नरसिंह जयंती पड़ती है तो वहीं मां गंगा और सीता
से जुड़े पावन पर्व गंगा सप्तमी और सीता नवमी भी पड़ती है. आइए जानते हैं
कि वैशाख मास में कब कौन सा पड़ेगा पर्व –


17 अप्रैल 2022 – ईस्टर


19 अप्रैल 2022 – संकष्टी चतुर्थी व्रत


23 अप्रैल 2022 – कालाष्टमी व्रत


26 अप्रैल 2022 – वरुथिनी एकादशी व्रत


28 अप्रैल 2022 – प्रदोष व्रत


29 अप्रैल 2022 – मासिक शिवरात्रि


30 अप्रैल2022 – अमावस्या


01 मई 2022 – सूर्य ग्रहण


03 मई 2022 – अक्षय तृतीया, परशुराम जयंती


08 मई 2022 – गंगा सप्तमी


10 मई 2022 – सीता नवमी


12 मई 2022 – मोहिनी एकादशी


13 मई 2022 – प्रदोष व्रत


14 मई 2022 – नरसिंह जयंती


(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं,
इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में
रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)





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