बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण
फैसले में कहा कि बिना किसी ठोस आधार के पति पर अवैध संबंध का आरोप लगाना
और उसे साबित ना कर पाना। समाज में छवि खराब करना क्रूरता की श्रेणी में
आता है। हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने रिटायर्ड रेलवे गार्ड की याचिका पर
सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता रेलवे कर्मी को राहत देते हुए विवाह विच्छेद
की डिक्री की मंजूरी दी है। डिवीजन बेंच ने इसके लिए हिंदू विवाह अधिनियम
की धारा 13(1) का हवाला दिया है। याचिकाकर्ता पति ने पत्नी पर आरोप
लगाया है कि नौकरी के दौरान अपने वेतन से पैसा जमा कर बेटी की शादी के लिए
जेवर खरीदा था। इसी बीच वर्ष 2011 में उनके और पत्नी के बीच विवाद की
स्थिति बनी और वह अलग रहने लगी। उनकी बगैर जानकारी के पूरे जेवर को गिरवी
रख दिया और 12 लाख स्र्पये का लोन ले लिया। मामले की सुनवाई जस्टिस गौतम
भादुड़ी और जस्टिस एनके चंद्रवंशी के डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। डिवीजन
बेंच ने पत्नी के इस व्यवहार को पति के साथ क्रूरता की श्रेणी में माना है
और तलाक की डिक्री को मंजूर कर लिया है।
क्या है मामला
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर में एस राजू रेलवे गार्ड एस राजू का
विवाह 31 जनवरी 1986 को शहडोल की एस रानी से हुआ। शादी के बाद एक बेटी और
एक बेटा हुआ। वर्ष 2011 में एस रानी अपने मायके चली गई। पत्नी इसके बाद
मायके से नहीं आई। याचिका के अनुसार इस बीच उसने पत्नी को वापस लाने काफी
प्रयास भी किया। स्वजनों ने भी समझाइश दी। इसके बाद भी नहीं आई। याचिका के
अनुसार इसी बीच उनको पता चला कि बेटी की शादी के लिए खरीदे गए जेवर को उसकी
बगैर जानकारी के पत्नी ने गिरवी रख दिया है और उसके एवज में 12 लाख रुपये
का लोन ले लिया है।
परिवार न्यायालय ने खारिज कर दिया था मामला
याचिकाकर्ता
रिटायर्ड रेलवे कर्मचारी ने बिलासपुर के परिवार न्यायालय में विवाह
विच्छेद के लिए मामला दायर किया था। मामले की सुनवाई के बाद छह जुलाई 2017
को परिवार न्यायालय ने याचिका खारिज कर दिया था। परिवार न्यायालय के फैसले
को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
पत्नी ने लगाए थे आरोप
चिकित्सक के साथ अवैध संबंध का आरोप लगाया था। कोर्ट के सामने अपने आरोप
को साबित नहीं कर पाई।
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण
फैसले में कहा कि बिना किसी ठोस आधार के पति पर अवैध संबंध का आरोप लगाना
और उसे साबित ना कर पाना। समाज में छवि खराब करना क्रूरता की श्रेणी में
आता है। हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने रिटायर्ड रेलवे गार्ड की याचिका पर
सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता रेलवे कर्मी को राहत देते हुए विवाह विच्छेद
की डिक्री की मंजूरी दी है। डिवीजन बेंच ने इसके लिए हिंदू विवाह अधिनियम
की धारा 13(1) का हवाला दिया है। याचिकाकर्ता पति ने पत्नी पर आरोप
लगाया है कि नौकरी के दौरान अपने वेतन से पैसा जमा कर बेटी की शादी के लिए
जेवर खरीदा था। इसी बीच वर्ष 2011 में उनके और पत्नी के बीच विवाद की
स्थिति बनी और वह अलग रहने लगी। उनकी बगैर जानकारी के पूरे जेवर को गिरवी
रख दिया और 12 लाख स्र्पये का लोन ले लिया। मामले की सुनवाई जस्टिस गौतम
भादुड़ी और जस्टिस एनके चंद्रवंशी के डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। डिवीजन
बेंच ने पत्नी के इस व्यवहार को पति के साथ क्रूरता की श्रेणी में माना है
और तलाक की डिक्री को मंजूर कर लिया है।
क्या है मामला
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर में एस राजू रेलवे गार्ड एस राजू का
विवाह 31 जनवरी 1986 को शहडोल की एस रानी से हुआ। शादी के बाद एक बेटी और
एक बेटा हुआ। वर्ष 2011 में एस रानी अपने मायके चली गई। पत्नी इसके बाद
मायके से नहीं आई। याचिका के अनुसार इस बीच उसने पत्नी को वापस लाने काफी
प्रयास भी किया। स्वजनों ने भी समझाइश दी। इसके बाद भी नहीं आई। याचिका के
अनुसार इसी बीच उनको पता चला कि बेटी की शादी के लिए खरीदे गए जेवर को उसकी
बगैर जानकारी के पत्नी ने गिरवी रख दिया है और उसके एवज में 12 लाख रुपये
का लोन ले लिया है।
परिवार न्यायालय ने खारिज कर दिया था मामला
याचिकाकर्ता
रिटायर्ड रेलवे कर्मचारी ने बिलासपुर के परिवार न्यायालय में विवाह
विच्छेद के लिए मामला दायर किया था। मामले की सुनवाई के बाद छह जुलाई 2017
को परिवार न्यायालय ने याचिका खारिज कर दिया था। परिवार न्यायालय के फैसले
को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
पत्नी ने लगाए थे आरोप
चिकित्सक के साथ अवैध संबंध का आरोप लगाया था। कोर्ट के सामने अपने आरोप
को साबित नहीं कर पाई।