मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल रायपुर के एक निजी होटल में एनडीटीवी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया थीम पर सवालों के जवाब देते हुए उन्होंने कहा की-
1. हमारी नयी औद्योगिक नीति कृषि और वनोपज आधारित उद्योगों को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। बड़े-बड़े उद्योगों के बजाय हमने छोटे-छोटे उद्योगों को प्राथमिकता दी है। हमने हर गांव को उत्पादक इकाइयों के रूप में विकसित करने का काम किया है, जहां कृषि और वनोत्पादों के वैल्यू एडीशन पर सबसे ज्यादा जोर दिया जा रहा है।
2. पशुपालन को पुनर्जीवित करने के लिए हमने गोधन न्याय योजना की शुरुआत की, जिसमें 2 रुपए किलो में गोबर खरीदकर उससे जैविक खाद बना रहे हैं। इस यह काम स्व सहायता समूहों की लाखों महिलाओं द्वारा किया जा रहा है। इस खाद का उपयोग खेतों में किया जा रहा है, जिससे महंगी रासायनिक खाद के उपयोग में कमी आई है। कृषि लागत कम हुई है और किसानों का लाभ बढ़ा है। जमीन की उर्वरा शक्ति भी लौट रही है।
3. मुख्यमंत्री ने कहा की इसी तरह वन उत्पापदों के वैल्यू एडीशन से भी लाखों की संख्या में रोजगार के अवसर निर्मित हुए हैं। हमने तेंदूपत्ता संग्रहण दर को 2500 रुपए मानक बोरा से बढ़ाकर 4000 रुपए मानक बोरा कर दिया है। छत्तीसगढ़ में दर्जनों किस्म के लघु वनोपज होते हैं, दुर्लभ जड़ी-बूटियां होती हैं। हमने इनके संग्रहण को प्रोत्साहित किया। समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाले लघु वनोपजों की संख्या 07 से बढ़ाकर 65 कर दी। इनकी खरीदी के लिए एक व्यवस्था सुनिश्चित की। आज हमारे यहां देश में सबसे ज्यादा लघु वनोपज इकट्ठा हो रहा है।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल रायपुर के एक निजी होटल में एनडीटीवी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया थीम पर सवालों के जवाब देते हुए उन्होंने कहा की-
1. हमारी नयी औद्योगिक नीति कृषि और वनोपज आधारित उद्योगों को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। बड़े-बड़े उद्योगों के बजाय हमने छोटे-छोटे उद्योगों को प्राथमिकता दी है। हमने हर गांव को उत्पादक इकाइयों के रूप में विकसित करने का काम किया है, जहां कृषि और वनोत्पादों के वैल्यू एडीशन पर सबसे ज्यादा जोर दिया जा रहा है।
2. पशुपालन को पुनर्जीवित करने के लिए हमने गोधन न्याय योजना की शुरुआत की, जिसमें 2 रुपए किलो में गोबर खरीदकर उससे जैविक खाद बना रहे हैं। इस यह काम स्व सहायता समूहों की लाखों महिलाओं द्वारा किया जा रहा है। इस खाद का उपयोग खेतों में किया जा रहा है, जिससे महंगी रासायनिक खाद के उपयोग में कमी आई है। कृषि लागत कम हुई है और किसानों का लाभ बढ़ा है। जमीन की उर्वरा शक्ति भी लौट रही है।
3. मुख्यमंत्री ने कहा की इसी तरह वन उत्पापदों के वैल्यू एडीशन से भी लाखों की संख्या में रोजगार के अवसर निर्मित हुए हैं। हमने तेंदूपत्ता संग्रहण दर को 2500 रुपए मानक बोरा से बढ़ाकर 4000 रुपए मानक बोरा कर दिया है। छत्तीसगढ़ में दर्जनों किस्म के लघु वनोपज होते हैं, दुर्लभ जड़ी-बूटियां होती हैं। हमने इनके संग्रहण को प्रोत्साहित किया। समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाले लघु वनोपजों की संख्या 07 से बढ़ाकर 65 कर दी। इनकी खरीदी के लिए एक व्यवस्था सुनिश्चित की। आज हमारे यहां देश में सबसे ज्यादा लघु वनोपज इकट्ठा हो रहा है।