- सभी धर्मों से जुुड़े व्यक्ति जो ईश्वर (God) पर आस्था रखते हैं, वे प्रतिदिन उनकी साधना-आरााधना जरूर करते हैं. ईश्वर की साधना के लिए कोई सुबह का समय चुनता है तो कोई शाम के समय तसल्ली के साथ उनके लिए पूजा-पाठ करता है. यदि आप भी शाम के समय अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा करते हैं तो उससे जुड़े जरूरी नियम जानने के लिए पढ़ें ये लेख.
सनातन परंपरा समेत सभी धर्मों में ईश्वर की आराधना को बहुत शुभ और पुण्यदायी माना जाता है. हालांकि, हर धर्म में ईश्वर की आराधना के अलग-अलग नियम और तौर तरीके होते हैं. सनातन परंपरा या फिर कहें हिंदू धर्म में अपने आराध्य को प्रसन्न करने के लिए कई तरीके अपनाएं जाते हैं, जिनमें से सबसे प्रमुख पूजा-पाठ है. हिंदू धर्म में पूजा-पाठका एक अलग ही महत्व है. मनोकामनाओं की पूर्ति और जीवन में सुख-सौभाग्य को पाने के लिए श्रद्धालु पूजा-पाठ के अलावा हवन, मंत्रों का जाप, व्रत आदि रखते हैं. मान्यता है कि देवी-देवताओं को इन धार्मिक और आध्यात्मिक तौर-तरीकों से प्रसन्न किया जाता है. पूजा-पाठ करने का हर किसी का अपना तरीका होता है. कोई सुबह पूजा करता है तो कोई इसके लिए शाम का समय चुनता है.
शास्त्रो में कहा गया है कि सुबह स्नान करने के बाद और भोज करने से पहले देवी-देवताओं को नमन जरूर करना चाहिए. वहीं शाम के समय पूजा करना भी शुभ माना जाता है. अगर आप भी शाम के समय पूजा करते हैं, तो कुछ नियमों का पालन करना आपके लिए अनिवार्य होता है. जानें इन नियमों के बारे में.
शाम के समय पूजा करते समय इन नियमों का करें पालन
1. हिंदू धर्म में भले ही शाम के समय भी पूजा का महत्व बताया गया हो, लेकिन इसके साथ कुछ नियमों का पालन करना भी जरूरी है. अगर आप सूर्यास्त के बाद पूजा-पाठ कर रहे हैं, तो इस दौरान शंख या घंटी न बजाय. कई लोग मंदिरों में शाम के समय दर्शन करने जाते हैं और वहां मौजूद घंटियों को बजाने लगते हैं. कहते हैं कि सूर्यास्त के बाद देवी-देवता शयन में चले जाते हैं और ऐसा करने पर उनके आराम में खलल पैदा होता है. इस तरीके से पूजा-पाठ करना आपको लाभ के बजाय हानि पहुंचा सकता है.
2. सूर्य देव की जिन पर कृपा बन जाए, उन्हें सफलता की सीढ़ियां चढ़ने से कोई नहीं रोक सकता. इसी कारण उनकी पूजा करना शुभ माना जाता है. किसी भी देवी या देवता की पूजा के दौरान सूर्य देव का स्मरण भी किया जाता है. हालांकि, शाम के समय की जाने वाली पूजा के समय सूर्य देव का स्मरण नहीं करना चाहिए. कहते हैं कि ऐसा करने से सूर्य देव नाराज हो सकते हैं.
3. कुछ लोग सुबह की तरह शाम में भी पूजा की सामग्री में पत्तियों को शामिल करते हैं. जबकि शास्त्रों में कहा गया है कि सूर्यास्त के बाद कुछ पेड़ों की पत्तियों को तोड़ना प्रतिबंधित होता है. तुलसी के पत्तों को शाम के समय बिल्कुल नहीं तोड़ना चाहिए, चाहे आपका उद्देश्य पूजा में उसका उपयोग ही क्यों न हो. मान्यता है कि तुलसी का संबंध भगवान विष्णु से होता है और इसे तोड़ने से वे नाराज हो सकते हैं.
- सभी धर्मों से जुुड़े व्यक्ति जो ईश्वर (God) पर आस्था रखते हैं, वे प्रतिदिन उनकी साधना-आरााधना जरूर करते हैं. ईश्वर की साधना के लिए कोई सुबह का समय चुनता है तो कोई शाम के समय तसल्ली के साथ उनके लिए पूजा-पाठ करता है. यदि आप भी शाम के समय अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा करते हैं तो उससे जुड़े जरूरी नियम जानने के लिए पढ़ें ये लेख.
सनातन परंपरा समेत सभी धर्मों में ईश्वर की आराधना को बहुत शुभ और पुण्यदायी माना जाता है. हालांकि, हर धर्म में ईश्वर की आराधना के अलग-अलग नियम और तौर तरीके होते हैं. सनातन परंपरा या फिर कहें हिंदू धर्म में अपने आराध्य को प्रसन्न करने के लिए कई तरीके अपनाएं जाते हैं, जिनमें से सबसे प्रमुख पूजा-पाठ है. हिंदू धर्म में पूजा-पाठका एक अलग ही महत्व है. मनोकामनाओं की पूर्ति और जीवन में सुख-सौभाग्य को पाने के लिए श्रद्धालु पूजा-पाठ के अलावा हवन, मंत्रों का जाप, व्रत आदि रखते हैं. मान्यता है कि देवी-देवताओं को इन धार्मिक और आध्यात्मिक तौर-तरीकों से प्रसन्न किया जाता है. पूजा-पाठ करने का हर किसी का अपना तरीका होता है. कोई सुबह पूजा करता है तो कोई इसके लिए शाम का समय चुनता है.
शास्त्रो में कहा गया है कि सुबह स्नान करने के बाद और भोज करने से पहले देवी-देवताओं को नमन जरूर करना चाहिए. वहीं शाम के समय पूजा करना भी शुभ माना जाता है. अगर आप भी शाम के समय पूजा करते हैं, तो कुछ नियमों का पालन करना आपके लिए अनिवार्य होता है. जानें इन नियमों के बारे में.
शाम के समय पूजा करते समय इन नियमों का करें पालन
1. हिंदू धर्म में भले ही शाम के समय भी पूजा का महत्व बताया गया हो, लेकिन इसके साथ कुछ नियमों का पालन करना भी जरूरी है. अगर आप सूर्यास्त के बाद पूजा-पाठ कर रहे हैं, तो इस दौरान शंख या घंटी न बजाय. कई लोग मंदिरों में शाम के समय दर्शन करने जाते हैं और वहां मौजूद घंटियों को बजाने लगते हैं. कहते हैं कि सूर्यास्त के बाद देवी-देवता शयन में चले जाते हैं और ऐसा करने पर उनके आराम में खलल पैदा होता है. इस तरीके से पूजा-पाठ करना आपको लाभ के बजाय हानि पहुंचा सकता है.
2. सूर्य देव की जिन पर कृपा बन जाए, उन्हें सफलता की सीढ़ियां चढ़ने से कोई नहीं रोक सकता. इसी कारण उनकी पूजा करना शुभ माना जाता है. किसी भी देवी या देवता की पूजा के दौरान सूर्य देव का स्मरण भी किया जाता है. हालांकि, शाम के समय की जाने वाली पूजा के समय सूर्य देव का स्मरण नहीं करना चाहिए. कहते हैं कि ऐसा करने से सूर्य देव नाराज हो सकते हैं.
3. कुछ लोग सुबह की तरह शाम में भी पूजा की सामग्री में पत्तियों को शामिल करते हैं. जबकि शास्त्रों में कहा गया है कि सूर्यास्त के बाद कुछ पेड़ों की पत्तियों को तोड़ना प्रतिबंधित होता है. तुलसी के पत्तों को शाम के समय बिल्कुल नहीं तोड़ना चाहिए, चाहे आपका उद्देश्य पूजा में उसका उपयोग ही क्यों न हो. मान्यता है कि तुलसी का संबंध भगवान विष्णु से होता है और इसे तोड़ने से वे नाराज हो सकते हैं.