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News Raipur:: अलसी के डंठल से बनेगा लिनेन का कपड़ा, बुनकरों का बढ़ेगा रोजगार:

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 रायपुर । अलसी के डंठल के रेशे से लिनेन का कपड़ा तैयार
करने की तकनीक के जरिए स्थानीय बुनकरों के लिए रोजगार का दायरा बढ़ाने का
काम इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर करने जा रहा है। इसका प्रयोग
सफल होने के बाद नेशनल एग्रीकल्चर हायर एजुकेशन प्रोजेक्ट (एनएएचईपी) के
तहत मशीनों की यूनिट स्थापित करने के लिए एक करोड़ रुपये की स्वीकृति भी मिल
गई है। इसमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और विश्व बैंक 50-50 फीसद अनुदान
दे रहे हैं। इसकी पहली किस्त के रूप में 46 लाख रुपये भी मिल चुके हैं।
रेशे बुनकरों को दिए जाएंगे, जो मांग के अनुसार लिनेन का कपड़ा तैयार
करेंगे।


अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के नोडल अधिकारी डा.
एमपी ठाकुर ने बताया कि तीन साल पहले विश्वविद्यालय में अलसी के डंठल से
लिनेन कपड़ा बनाने का प्रयोग सफल हुआ था। अनुसंधान व तकनीक को विकसित करने
करने बाद प्रयोग को व्यावहारिक बनाने के लिए प्रस्ताव भेजा गया था। यह
प्रोजेक्ट शुरू होने पर प्रदेश के किसान अलसी का डंठल बेचकर भी आमदनी कर
सकेंगे। बता दें कि प्रदेश में अलसी का रकबा 64.08 हजार हेक्टेयर और 30.36
हजार टन उत्पादन होता है जो कि कुल उत्पादन के मामले में देश में चौथे
स्थान पर है। भारत में अलसी की खेती लगभग 2.96 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में
होती है।



 रायपुर । अलसी के डंठल के रेशे से लिनेन का कपड़ा तैयार
करने की तकनीक के जरिए स्थानीय बुनकरों के लिए रोजगार का दायरा बढ़ाने का
काम इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर करने जा रहा है। इसका प्रयोग
सफल होने के बाद नेशनल एग्रीकल्चर हायर एजुकेशन प्रोजेक्ट (एनएएचईपी) के
तहत मशीनों की यूनिट स्थापित करने के लिए एक करोड़ रुपये की स्वीकृति भी मिल
गई है। इसमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और विश्व बैंक 50-50 फीसद अनुदान
दे रहे हैं। इसकी पहली किस्त के रूप में 46 लाख रुपये भी मिल चुके हैं।
रेशे बुनकरों को दिए जाएंगे, जो मांग के अनुसार लिनेन का कपड़ा तैयार
करेंगे।


अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के नोडल अधिकारी डा.
एमपी ठाकुर ने बताया कि तीन साल पहले विश्वविद्यालय में अलसी के डंठल से
लिनेन कपड़ा बनाने का प्रयोग सफल हुआ था। अनुसंधान व तकनीक को विकसित करने
करने बाद प्रयोग को व्यावहारिक बनाने के लिए प्रस्ताव भेजा गया था। यह
प्रोजेक्ट शुरू होने पर प्रदेश के किसान अलसी का डंठल बेचकर भी आमदनी कर
सकेंगे। बता दें कि प्रदेश में अलसी का रकबा 64.08 हजार हेक्टेयर और 30.36
हजार टन उत्पादन होता है जो कि कुल उत्पादन के मामले में देश में चौथे
स्थान पर है। भारत में अलसी की खेती लगभग 2.96 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में
होती है।



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