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टीएमसी सांसद का दावा - लोकसभा चुनाव से 6 महीने पहले बंगाल में लगेगा राष्ट्रपति शासन:

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तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने आरोप लगाया है कि केंद्र की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पास 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की योजना है। इकोनॉमिक्स टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में राज्यसभा सांसद और टीएमसी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुखेंदु शेखर रॉय ने दावा किया कि इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए भाजपा ने एक चौतरफा रणनीति तैयार की है।


टीएमसी सांसद के मुताबिक, बीजेपी उत्तर बंगाल को राज्य के बाकी हिस्सों से अलग करने, अक्सर राज्य की कानून पर चिंता व्यक्त करने, सीबीआई और अन्य एजेंसियों का उपयोग और राज्यपाल को "केंद्र और भाजपा पार्टी के एजेंट" के रूप में उपयोग करने की योजना के साथ काम कर रही है।


'बंगाल को विभाजित करने की तैयारी'
रॉय ने कहा, "केंद्रीय गृह मंत्री ने अपनी हालिया यात्रा के दौरान अपनी रैली के लिए उत्तर बंगाल को चुना। केंद्र सरकार देश को भीतर से विभाजित करने और राज्य के बाकी हिस्सों से उत्तर बंगाल को काटने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि वे जानते हैं कि ऐसा किए बिना वे जीत नहीं सकते। अगर ऐसा नहीं है तो पार्टी के विधायक केंद्रीय गृह मंत्री की मौजूदगी में अलग उत्तर बंगाल का मुद्दा मंच से कैसे उठाते?"

'लॉ एंड ऑर्डर पर सवाल उठाना भी प्लान का हिस्सा'
टीएमसी सांसद के अनुसार, दूसरी योजना के तहत बंगाल में कानून-व्यवस्था की स्थिति के बारे में लगातार सवाल करना और चिंता व्यक्त करना है। उन्होंने कहा, "हाल ही में भाजपा युवा विंग के नेता अर्जुन चौरसिया की मृत्यु के बाद गृह मंत्री मौके पर पहुंचे और सीबीआई जांच की मांग की। चुनाव के बाद की हिंसा का मुद्दा बार-बार उठाया गया। भाजपा ने दाखिल बोगटुई गांवों में रामपुरहाट हिंसा, हंसखली सामूहिक बलात्कार और हर दूसरी घटना में जनहित याचिकाएं दाखिल की है।" रॉय ने दावा किया कि इन सभी घटनाओं में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली बंगाल सरकार ने त्वरित कार्रवाई की है।

'केंद्रीय एजेंसियों का हो रहा उपयोग'
रॉय के अनुसार, तीसरी रणनीति के तहत मई 2021 में विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस की प्रचंड जीत के बाद बंगाल के नेताओं और मंत्रियों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का उपयोग बीजेपी कर रही है। उन्होंने कहा, "2 मई के परिणामों के बाद नारद मामले के सिलसिले में तृणमूल के कई वरिष्ठ मंत्रियों को गिरफ्तार किया गया था। वहीं, कैमरे पर रिश्वत लेते देखे गए भाजपा नेता विपक्ष (एलओपी) सुवेंदु अधिकारी को सीबीआई ने तलब भी नहीं किया।''


तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने आरोप लगाया है कि केंद्र की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पास 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की योजना है। इकोनॉमिक्स टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में राज्यसभा सांसद और टीएमसी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुखेंदु शेखर रॉय ने दावा किया कि इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए भाजपा ने एक चौतरफा रणनीति तैयार की है।


टीएमसी सांसद के मुताबिक, बीजेपी उत्तर बंगाल को राज्य के बाकी हिस्सों से अलग करने, अक्सर राज्य की कानून पर चिंता व्यक्त करने, सीबीआई और अन्य एजेंसियों का उपयोग और राज्यपाल को "केंद्र और भाजपा पार्टी के एजेंट" के रूप में उपयोग करने की योजना के साथ काम कर रही है।


'बंगाल को विभाजित करने की तैयारी'
रॉय ने कहा, "केंद्रीय गृह मंत्री ने अपनी हालिया यात्रा के दौरान अपनी रैली के लिए उत्तर बंगाल को चुना। केंद्र सरकार देश को भीतर से विभाजित करने और राज्य के बाकी हिस्सों से उत्तर बंगाल को काटने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि वे जानते हैं कि ऐसा किए बिना वे जीत नहीं सकते। अगर ऐसा नहीं है तो पार्टी के विधायक केंद्रीय गृह मंत्री की मौजूदगी में अलग उत्तर बंगाल का मुद्दा मंच से कैसे उठाते?"

'लॉ एंड ऑर्डर पर सवाल उठाना भी प्लान का हिस्सा'
टीएमसी सांसद के अनुसार, दूसरी योजना के तहत बंगाल में कानून-व्यवस्था की स्थिति के बारे में लगातार सवाल करना और चिंता व्यक्त करना है। उन्होंने कहा, "हाल ही में भाजपा युवा विंग के नेता अर्जुन चौरसिया की मृत्यु के बाद गृह मंत्री मौके पर पहुंचे और सीबीआई जांच की मांग की। चुनाव के बाद की हिंसा का मुद्दा बार-बार उठाया गया। भाजपा ने दाखिल बोगटुई गांवों में रामपुरहाट हिंसा, हंसखली सामूहिक बलात्कार और हर दूसरी घटना में जनहित याचिकाएं दाखिल की है।" रॉय ने दावा किया कि इन सभी घटनाओं में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली बंगाल सरकार ने त्वरित कार्रवाई की है।

'केंद्रीय एजेंसियों का हो रहा उपयोग'
रॉय के अनुसार, तीसरी रणनीति के तहत मई 2021 में विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस की प्रचंड जीत के बाद बंगाल के नेताओं और मंत्रियों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का उपयोग बीजेपी कर रही है। उन्होंने कहा, "2 मई के परिणामों के बाद नारद मामले के सिलसिले में तृणमूल के कई वरिष्ठ मंत्रियों को गिरफ्तार किया गया था। वहीं, कैमरे पर रिश्वत लेते देखे गए भाजपा नेता विपक्ष (एलओपी) सुवेंदु अधिकारी को सीबीआई ने तलब भी नहीं किया।''


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