रायपुर। अधिकारियों की लापरवाही के कारण प्रदेश के आठ
जिला उपभोक्ता आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति न होने का खमियाजा
आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। प्रकरणों की सुनवाई की फाइल धूल खाती लंबित
पड़ी हुई है। इससे उपभोक्ताओं को आर्थिक और मानसिक परेशानियां झेलनी पड़ रही
हैं। सुप्रीम कोर्ट ने छह महीने पहले ही यह आदेश दिया था कि इन अदालतों
में तत्काल पूर्ण पीठ का गठन किया जाए। कोर्ट ने अवधि भी निर्धारित कर दी
थी, किंतु खाद्य विभाग के अधिकारी आदेश का पालन करने में रुचि नहीं दिखा
रहे हैं।
राजनांदगांव, धमतरी, बिलासपुर, जगदलपुर, बेमेतरा, बलरामपुर-रामानुजगंज,
बीजापुर आदि में उपभोक्ता आयोग में सदस्यों की नियुक्ति का आदेश अब तक जारी
नहीं किया जा सका है। जबकि पांच जिलों में सदस्यों की नियुक्ति करने का
आदेश हो गया है। काम बंद होने से वहां पदस्थ अधिकारी-कर्मचारी, ड्राइवर,
भृत्य, चौकीदार समेत अन्य कर्मचारियों का वेतन, भत्ता, स्थापना व्यय में हर
माह करोड़ों रुपये बेकार में खर्च हो रहा है। काम ठप होने से पूरा अमला
निष्क्रिय पड़ा हुआ है।
रायपुर। अधिकारियों की लापरवाही के कारण प्रदेश के आठ
जिला उपभोक्ता आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति न होने का खमियाजा
आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। प्रकरणों की सुनवाई की फाइल धूल खाती लंबित
पड़ी हुई है। इससे उपभोक्ताओं को आर्थिक और मानसिक परेशानियां झेलनी पड़ रही
हैं। सुप्रीम कोर्ट ने छह महीने पहले ही यह आदेश दिया था कि इन अदालतों
में तत्काल पूर्ण पीठ का गठन किया जाए। कोर्ट ने अवधि भी निर्धारित कर दी
थी, किंतु खाद्य विभाग के अधिकारी आदेश का पालन करने में रुचि नहीं दिखा
रहे हैं।
राजनांदगांव, धमतरी, बिलासपुर, जगदलपुर, बेमेतरा, बलरामपुर-रामानुजगंज,
बीजापुर आदि में उपभोक्ता आयोग में सदस्यों की नियुक्ति का आदेश अब तक जारी
नहीं किया जा सका है। जबकि पांच जिलों में सदस्यों की नियुक्ति करने का
आदेश हो गया है। काम बंद होने से वहां पदस्थ अधिकारी-कर्मचारी, ड्राइवर,
भृत्य, चौकीदार समेत अन्य कर्मचारियों का वेतन, भत्ता, स्थापना व्यय में हर
माह करोड़ों रुपये बेकार में खर्च हो रहा है। काम ठप होने से पूरा अमला
निष्क्रिय पड़ा हुआ है।