नई दिल्ली। त्रिपुरा में सीएम बिप्लब देब ने शनिवार को अचानक राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपकर सबको चौंका दिया। शाम तक बीजेपी आलाकमान ने राज्य के नए मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा कर दी। माणिक साहा त्रिपुरा के नए मुख्यमंत्री होंगे। हालांकि बीजेपी की ओर से यह पहला प्रयोग नहीं है। इससे पहले उत्तराखंड, गुजरात और कर्नाटक में सीएम पदों में बदलाव देखा गया था। इस दौरान कांग्रेस छोड़कर आए कई नेताओं की किश्मत खुल गई। भगवा पार्टी ने कांग्रेस छोड़कर आए कद्दावर नेताओं को मुख्यमंत्री पद की पेशकश की है।
असम: हिमंत बिस्वा सरमा
हिमंत बिस्वा सरमा साल 2021 में असम के 15वें मुख्यमंत्री बने थे। उन्हें यह जिम्मेदारी सर्बानंद सोनोवाल की जगह दी गई थी। हिमंत 2015 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। 2016 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में सरमा के जोरदार प्रचार को बीजेपी की जीत की एक वजह माना जा रहा था। हिमंत असम की जलुकबाड़ी विधानसभा सीट से लगातार पांचवीं बार विधायक चुने गए हैं। सोनोवाल की सरकार में हिमंत बिस्वा सरमा को कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। 2021 के चुनाव में सरमा ने 1 लाख से अधिक मतों के बंपर अंतर से जीत हासिल की थी। उन्हें बीजेपी ने नॉर्थ-ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) का संयोजक बनाया था। सरमा ने पूर्वोत्तर के कई राज्यों में भाजपा को सत्ता में लाने में बड़ा योगदान दिया।
मणिपुर: एन बीरेन सिंह
एन बीरेन सिंह ने 2016 में कांग्रेस छोड़ दी और मणिपुर में 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले भाजपा में शामिल हो गए। 15 साल बाद राज्य में एक गैर-कांग्रेसी सरकार बनी और भाजपा ने एन बीरेन सिंह को सीएम बनाया। मणिपुर में बीरेन सिंह बीजेपी के पहले सीएम बने। उन्होंने भाजपा और उसके सहयोगियों के 33 विधायकों के समर्थन से विधानसभा का फ्लोर टेस्ट जीतकर अपना दमखम दिखाया। इससे पहले बीरेन सिंह इबोबी सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री थे, लेकिन उन्होंने प्रदेश कांग्रेस कमेटी से इस्तीफा दे दिया। उसी साल 2022 के चुनाव में बीजेपी ने एन बीरेन सिंह के नेतृत्व में मणिपुर में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। बीरेन ने अपने करियर की शुरुआत एक फुटबॉल खिलाड़ी के रूप में की थी। बाद में वह सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में शामिल हो गए। इसके बाद उन्होंने पत्रकारिता की ओर रुख किया। एन बीरेन सिंह ने हिंगांग सीट से पांचवीं बार चुनाव जीता।
नागालैंड: नेफ्यू रियो
नेफ्यू रियो नागालैंड के पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने लगातार तीन चुनाव जीते हैं। रियो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे। उन्होंने 2002 में कांग्रेस छोड़ दी थी। उन्होंने नागालैंड मुद्दे पर तत्कालीन सीएम एससी जमीर के साथ मतभेदों के कारण इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद रियो नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) में शामिल हो गए। यह स्थानीय राजनीतिक दलों और भाजपा से जुड़ा था। उनके नेतृत्व में डेमोक्रेटिक अलायंस ऑफ नागालैंड (DAN) का गठन किया गया था। इस गठबंधन ने 2003 में विधानसभा चुनाव जीता था। वहीं कांग्रेस को 10 साल बाद सत्ता से बाहर कर दिया गया और नेफ्यू रियो पहली बार नागालैंड के मुख्यमंत्री बने। 2008 में DAN गठबंधन ने राज्य में सरकार बनाई और रियो सीएम बने। 2013 में NPF ने नागालैंड में बहुमत हासिल किया। रियो तीसरी बार सीएम बने। बाद में जनवरी 2018 में, एनपीएफ द्वारा भाजपा के साथ अपना गठबंधन तोड़ने के बाद रियो नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) में शामिल हो गए। 2018 में चुनाव से पहले रियो ने बीजेपी के साथ गठबंधन किया था। चुनाव जीतकर वो बीजेपी के साथ मुख्यमंत्री बने। नेफ्यू ने 1989 में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की और 2003-08, 2008-13 और 2013-14 के दौरान नागालैंड के सीएम रहे।
त्रिपुरा: माणिक साहा
माणिक साहा कांग्रेस छोड़कर 2016 में भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा में आने के बाद माणिक को चार साल बाद 2020 में प्रदेश पार्टी अध्यक्ष बनाया गया। वह त्रिपुरा क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी बने। साहा को हाल ही में राज्यसभा के लिए नामांकित किया गया था और अब उन्हें नए सीएम के रूप में घोषित किया गया है। माणिक साहा पेशे से डेंटिस्ट हैं और उनकी छवि बेहद साफ-सुथरी मानी जाती है। माणिक को भाजपा में किसी खेमे का नहीं माना जाता है।
नई दिल्ली। त्रिपुरा में सीएम बिप्लब देब ने शनिवार को अचानक राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपकर सबको चौंका दिया। शाम तक बीजेपी आलाकमान ने राज्य के नए मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा कर दी। माणिक साहा त्रिपुरा के नए मुख्यमंत्री होंगे। हालांकि बीजेपी की ओर से यह पहला प्रयोग नहीं है। इससे पहले उत्तराखंड, गुजरात और कर्नाटक में सीएम पदों में बदलाव देखा गया था। इस दौरान कांग्रेस छोड़कर आए कई नेताओं की किश्मत खुल गई। भगवा पार्टी ने कांग्रेस छोड़कर आए कद्दावर नेताओं को मुख्यमंत्री पद की पेशकश की है।
असम: हिमंत बिस्वा सरमा
हिमंत बिस्वा सरमा साल 2021 में असम के 15वें मुख्यमंत्री बने थे। उन्हें यह जिम्मेदारी सर्बानंद सोनोवाल की जगह दी गई थी। हिमंत 2015 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। 2016 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में सरमा के जोरदार प्रचार को बीजेपी की जीत की एक वजह माना जा रहा था। हिमंत असम की जलुकबाड़ी विधानसभा सीट से लगातार पांचवीं बार विधायक चुने गए हैं। सोनोवाल की सरकार में हिमंत बिस्वा सरमा को कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। 2021 के चुनाव में सरमा ने 1 लाख से अधिक मतों के बंपर अंतर से जीत हासिल की थी। उन्हें बीजेपी ने नॉर्थ-ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) का संयोजक बनाया था। सरमा ने पूर्वोत्तर के कई राज्यों में भाजपा को सत्ता में लाने में बड़ा योगदान दिया।
मणिपुर: एन बीरेन सिंह
एन बीरेन सिंह ने 2016 में कांग्रेस छोड़ दी और मणिपुर में 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले भाजपा में शामिल हो गए। 15 साल बाद राज्य में एक गैर-कांग्रेसी सरकार बनी और भाजपा ने एन बीरेन सिंह को सीएम बनाया। मणिपुर में बीरेन सिंह बीजेपी के पहले सीएम बने। उन्होंने भाजपा और उसके सहयोगियों के 33 विधायकों के समर्थन से विधानसभा का फ्लोर टेस्ट जीतकर अपना दमखम दिखाया। इससे पहले बीरेन सिंह इबोबी सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री थे, लेकिन उन्होंने प्रदेश कांग्रेस कमेटी से इस्तीफा दे दिया। उसी साल 2022 के चुनाव में बीजेपी ने एन बीरेन सिंह के नेतृत्व में मणिपुर में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। बीरेन ने अपने करियर की शुरुआत एक फुटबॉल खिलाड़ी के रूप में की थी। बाद में वह सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में शामिल हो गए। इसके बाद उन्होंने पत्रकारिता की ओर रुख किया। एन बीरेन सिंह ने हिंगांग सीट से पांचवीं बार चुनाव जीता।
नागालैंड: नेफ्यू रियो
नेफ्यू रियो नागालैंड के पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने लगातार तीन चुनाव जीते हैं। रियो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे। उन्होंने 2002 में कांग्रेस छोड़ दी थी। उन्होंने नागालैंड मुद्दे पर तत्कालीन सीएम एससी जमीर के साथ मतभेदों के कारण इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद रियो नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) में शामिल हो गए। यह स्थानीय राजनीतिक दलों और भाजपा से जुड़ा था। उनके नेतृत्व में डेमोक्रेटिक अलायंस ऑफ नागालैंड (DAN) का गठन किया गया था। इस गठबंधन ने 2003 में विधानसभा चुनाव जीता था। वहीं कांग्रेस को 10 साल बाद सत्ता से बाहर कर दिया गया और नेफ्यू रियो पहली बार नागालैंड के मुख्यमंत्री बने। 2008 में DAN गठबंधन ने राज्य में सरकार बनाई और रियो सीएम बने। 2013 में NPF ने नागालैंड में बहुमत हासिल किया। रियो तीसरी बार सीएम बने। बाद में जनवरी 2018 में, एनपीएफ द्वारा भाजपा के साथ अपना गठबंधन तोड़ने के बाद रियो नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) में शामिल हो गए। 2018 में चुनाव से पहले रियो ने बीजेपी के साथ गठबंधन किया था। चुनाव जीतकर वो बीजेपी के साथ मुख्यमंत्री बने। नेफ्यू ने 1989 में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की और 2003-08, 2008-13 और 2013-14 के दौरान नागालैंड के सीएम रहे।
त्रिपुरा: माणिक साहा
माणिक साहा कांग्रेस छोड़कर 2016 में भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा में आने के बाद माणिक को चार साल बाद 2020 में प्रदेश पार्टी अध्यक्ष बनाया गया। वह त्रिपुरा क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी बने। साहा को हाल ही में राज्यसभा के लिए नामांकित किया गया था और अब उन्हें नए सीएम के रूप में घोषित किया गया है। माणिक साहा पेशे से डेंटिस्ट हैं और उनकी छवि बेहद साफ-सुथरी मानी जाती है। माणिक को भाजपा में किसी खेमे का नहीं माना जाता है।