वाशिंगटन, फिनलैंड और स्वीडन उत्तर अटलांटिक संधि संगठन यानी नाटो के सदस्य देश बनने के और करीब पहुंच गए हैं। लेकिन रूस नार्डिक देशों के इस कदम से आगबबूला है। रूस ने फिनलैंड और स्वीडन को चेतावनी दी है कि उन्होंने नाटो से जुड़ने का ऐलान कर एक 'बहुत बड़ी गलती' कर दी। बता दें कि यूक्रेन पर जारी रूसी हमले के बीच फिनलैंड की सरकार ने रविवार को नाटो का सदस्य बनने की अपनी चाहत का खुलेआम ऐलान कर दिया। इसके कुछ घंटों बाद स्वीडन की सत्ताधारी पार्टी ने भी नाटो सदस्यता के लिए एक योजना का समर्थन कर दिया।
रूस की चेतावनी, किसी भ्रम में न रहें फिनलैंड और स्वीडन
समाचार एजेंसियों ने बताया कि रूसी उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने सोमवार को कहा कि फिनलैंड और स्वीडन ने नाटो सैन्य गठबंधन में शामिल होना एक गलती है जिसके दूरगामी परिणाम होंगे और वैश्विक स्थिति में आमूल-चूल परिवर्तन होगा। इंटरफैक्स ने बताया कि रयाबकोव ने कहा कि फिनलैंड और स्वीडन को इस बात का कोई भ्रम नहीं होना चाहिए कि रूस उनके फैसले को आसानी से स्वीकार कर लेगा। नाटो के अपनी सीमा के करीब पहुंचने को लेकर रूस का रुख लंबे समय से तल्ख रहा है। ऐसे में ताजा घटनाक्रम से मॉस्को को और गुस्सा आना तय है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शनिवार को पहले ही फिनलैंड के राष्ट्रपति को चेतावनी दे चुके हैं कि संबंध ‘नकारात्मक रूप से प्रभावित’होंगे।
नाटो ने नॉर्दन डिफेंस में फिनलैंड और स्वीडन को जोड़ने की तैयारी की
इधर नाटो ने भी फिनलैंड और स्वीडन को अपने साथ जोड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। नाटो के महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने रविवार को बर्लिन में नाटो गठबंधन के 30 सदस्य देशों के शीर्ष राजनयिकों की बैठक के बाद कहा कि फिनलैंड और स्वीडन को सदस्य बनाने की प्रक्रिया बहुत तेज हो सकती है। फिनलैंड और स्वीडन नाटो के नॉर्दन डिफेंस का हिस्सा होंगे। फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मारिन ने सोमवार को सांसदों से कहा, नाटो सदस्यता के साथ “अगर हम पर हमला हुआ, तो हमें मदद मिलेगी। अगर किसी अन्य सदस्य राज्य पर हमला होता है, तो हम मदद करेंगे। नाटो की सुरक्षा गारंटी फिनलैंड की सुरक्षा के निवारक प्रभाव को काफी बढ़ाएगी। नाटो के भीतर फिनलैंड के मुख्य कार्यों में से एक अपनी रक्षा सुनिश्चित करना होगा।"
नाटो सदस्यों में केवल तुर्की है जिसने इन देशों को साथ लाने पर ऐतराज जताया था। तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कावुसोग्लू इस बात से नाखुश थे कि फिनलैंड और, विशेष रूप से, स्वीडन ने कुर्द आतंकवादियों के साथ बातचीत की है जो पूर्वी तुर्की में सक्रिय हैं। स्वीडन इस सप्ताह वार्ता के लिए राजनयिकों की एक टीम अंकारा भेज रहा है। हालांकि, नाटो के सदस्य तुर्की ने स्वीडन और फिनलैंड को नाटो में शामिल करने पर चिंता जताई है और आरोप लगाया है कि वे कुर्द उग्रवादियों का समर्थन करते हैं जिन्हें अंकारा आतंकवादी मानता है। तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कावुसोग्लू ने रविवार को बर्लिन में संवाददाताओं से कहा कि फिनलैंड और स्वीडन ने भी तुर्की को रक्षा बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसे तुर्की ने ‘अस्वीकार्य’ करार दिया था। तुर्की के विदेश मंत्री ने कहा कि ऐसा नहीं है कि उनका देश नाटो के विस्तार के खिलाफ है, बल्कि जो देश आतंक का समर्थन करते हैं और ‘‘हमारा विरोध करने वाली नीतियों का पालन करते हैं, उन्हें नाटो सहयोगी नहीं होना चाहिए।’’ स्टोल्टेनबर्ग ने कहा कि तुर्की स्वीडन और फिनलैंड की सदस्यता के खिलाफ नहीं है, लेकिन वह चाहता है कि उसकी चिंताओं को पहले दूर किया जाए।
क्या है नाटो देशों में शामिल होने की प्रक्रिया?
औपचारिक आवेदन जमा करने के बाद, नाटो को यह तय करना होगा कि अनुरोध पर विचार किया जाए या नहीं। अगर देशों को शामिल करने पर फैसला ले लिया जाता है को फिर प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर करने से पहले नाटो सदस्य के रूप में उन देशों के साथ उनके दायित्वों पर बातचीत करेगा। सबसे लंबा कदम 30 राष्ट्रीय संसदों द्वारा समर्थन हासिल करना है और पूरी प्रक्रिया में एक वर्ष तक का समय लग सकता है। स्टोलटेनबर्ग ने कहा कि नाटो दोनों देशों की सुरक्षा के तरीकों पर गौर करेगा।
नाटो को कैसे मिलेगा रूस के मुकाबले फायदा
उस प्रक्रिया के अंत में, नाटो को भी फायदा होने वाला है। इसे स्वीडन और फिनलैंड के रूप में दो सबसे ज्यादा एडवांस और आधुनिक सेनाएं मिल रही हैं और यह देश तीन बाल्टिक देशों - एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया की रक्षा करने की एक बेहतर क्षमता रखते हैं। फिनलैंड रूस के साथ लगभग 1,300 किलोमीटर (800 मील) लंबी सीमा की रक्षा करता है, उसके पास 900,000 सैनिकों का रिजर्व है और युद्ध के समय में उनमें से 280,000 को तैनात करने में सक्षम है। यह एक भर्ती-आधारित प्रणाली पर आयोजित किया जाता है जहां अधिकांश पुरुष और कुछ महिलाएं छह महीने से एक वर्ष तक चलने वाले सैन्य प्रशिक्षण से गुजरती हैं।
दोनों अतीत में नाटो बलों के साथ भागीदार रहे हैं और प्रशिक्षिण हासिल किया है। हालांकि वे नाटो की सामूहिक सुरक्षा गारंटी के दायरे से बाहर रहे थे। जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बेरबॉक ने रविवार को कहा कि वे पहले से ही "नाटो के सदस्य हैं, बिना सदस्यता कार्ड के।"
वाशिंगटन, फिनलैंड और स्वीडन उत्तर अटलांटिक संधि संगठन यानी नाटो के सदस्य देश बनने के और करीब पहुंच गए हैं। लेकिन रूस नार्डिक देशों के इस कदम से आगबबूला है। रूस ने फिनलैंड और स्वीडन को चेतावनी दी है कि उन्होंने नाटो से जुड़ने का ऐलान कर एक 'बहुत बड़ी गलती' कर दी। बता दें कि यूक्रेन पर जारी रूसी हमले के बीच फिनलैंड की सरकार ने रविवार को नाटो का सदस्य बनने की अपनी चाहत का खुलेआम ऐलान कर दिया। इसके कुछ घंटों बाद स्वीडन की सत्ताधारी पार्टी ने भी नाटो सदस्यता के लिए एक योजना का समर्थन कर दिया।
रूस की चेतावनी, किसी भ्रम में न रहें फिनलैंड और स्वीडन
समाचार एजेंसियों ने बताया कि रूसी उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने सोमवार को कहा कि फिनलैंड और स्वीडन ने नाटो सैन्य गठबंधन में शामिल होना एक गलती है जिसके दूरगामी परिणाम होंगे और वैश्विक स्थिति में आमूल-चूल परिवर्तन होगा। इंटरफैक्स ने बताया कि रयाबकोव ने कहा कि फिनलैंड और स्वीडन को इस बात का कोई भ्रम नहीं होना चाहिए कि रूस उनके फैसले को आसानी से स्वीकार कर लेगा। नाटो के अपनी सीमा के करीब पहुंचने को लेकर रूस का रुख लंबे समय से तल्ख रहा है। ऐसे में ताजा घटनाक्रम से मॉस्को को और गुस्सा आना तय है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शनिवार को पहले ही फिनलैंड के राष्ट्रपति को चेतावनी दे चुके हैं कि संबंध ‘नकारात्मक रूप से प्रभावित’होंगे।
नाटो ने नॉर्दन डिफेंस में फिनलैंड और स्वीडन को जोड़ने की तैयारी की
इधर नाटो ने भी फिनलैंड और स्वीडन को अपने साथ जोड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। नाटो के महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने रविवार को बर्लिन में नाटो गठबंधन के 30 सदस्य देशों के शीर्ष राजनयिकों की बैठक के बाद कहा कि फिनलैंड और स्वीडन को सदस्य बनाने की प्रक्रिया बहुत तेज हो सकती है। फिनलैंड और स्वीडन नाटो के नॉर्दन डिफेंस का हिस्सा होंगे। फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मारिन ने सोमवार को सांसदों से कहा, नाटो सदस्यता के साथ “अगर हम पर हमला हुआ, तो हमें मदद मिलेगी। अगर किसी अन्य सदस्य राज्य पर हमला होता है, तो हम मदद करेंगे। नाटो की सुरक्षा गारंटी फिनलैंड की सुरक्षा के निवारक प्रभाव को काफी बढ़ाएगी। नाटो के भीतर फिनलैंड के मुख्य कार्यों में से एक अपनी रक्षा सुनिश्चित करना होगा।"
नाटो सदस्यों में केवल तुर्की है जिसने इन देशों को साथ लाने पर ऐतराज जताया था। तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कावुसोग्लू इस बात से नाखुश थे कि फिनलैंड और, विशेष रूप से, स्वीडन ने कुर्द आतंकवादियों के साथ बातचीत की है जो पूर्वी तुर्की में सक्रिय हैं। स्वीडन इस सप्ताह वार्ता के लिए राजनयिकों की एक टीम अंकारा भेज रहा है। हालांकि, नाटो के सदस्य तुर्की ने स्वीडन और फिनलैंड को नाटो में शामिल करने पर चिंता जताई है और आरोप लगाया है कि वे कुर्द उग्रवादियों का समर्थन करते हैं जिन्हें अंकारा आतंकवादी मानता है। तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कावुसोग्लू ने रविवार को बर्लिन में संवाददाताओं से कहा कि फिनलैंड और स्वीडन ने भी तुर्की को रक्षा बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसे तुर्की ने ‘अस्वीकार्य’ करार दिया था। तुर्की के विदेश मंत्री ने कहा कि ऐसा नहीं है कि उनका देश नाटो के विस्तार के खिलाफ है, बल्कि जो देश आतंक का समर्थन करते हैं और ‘‘हमारा विरोध करने वाली नीतियों का पालन करते हैं, उन्हें नाटो सहयोगी नहीं होना चाहिए।’’ स्टोल्टेनबर्ग ने कहा कि तुर्की स्वीडन और फिनलैंड की सदस्यता के खिलाफ नहीं है, लेकिन वह चाहता है कि उसकी चिंताओं को पहले दूर किया जाए।
क्या है नाटो देशों में शामिल होने की प्रक्रिया?
औपचारिक आवेदन जमा करने के बाद, नाटो को यह तय करना होगा कि अनुरोध पर विचार किया जाए या नहीं। अगर देशों को शामिल करने पर फैसला ले लिया जाता है को फिर प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर करने से पहले नाटो सदस्य के रूप में उन देशों के साथ उनके दायित्वों पर बातचीत करेगा। सबसे लंबा कदम 30 राष्ट्रीय संसदों द्वारा समर्थन हासिल करना है और पूरी प्रक्रिया में एक वर्ष तक का समय लग सकता है। स्टोलटेनबर्ग ने कहा कि नाटो दोनों देशों की सुरक्षा के तरीकों पर गौर करेगा।
नाटो को कैसे मिलेगा रूस के मुकाबले फायदा
उस प्रक्रिया के अंत में, नाटो को भी फायदा होने वाला है। इसे स्वीडन और फिनलैंड के रूप में दो सबसे ज्यादा एडवांस और आधुनिक सेनाएं मिल रही हैं और यह देश तीन बाल्टिक देशों - एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया की रक्षा करने की एक बेहतर क्षमता रखते हैं। फिनलैंड रूस के साथ लगभग 1,300 किलोमीटर (800 मील) लंबी सीमा की रक्षा करता है, उसके पास 900,000 सैनिकों का रिजर्व है और युद्ध के समय में उनमें से 280,000 को तैनात करने में सक्षम है। यह एक भर्ती-आधारित प्रणाली पर आयोजित किया जाता है जहां अधिकांश पुरुष और कुछ महिलाएं छह महीने से एक वर्ष तक चलने वाले सैन्य प्रशिक्षण से गुजरती हैं।
दोनों अतीत में नाटो बलों के साथ भागीदार रहे हैं और प्रशिक्षिण हासिल किया है। हालांकि वे नाटो की सामूहिक सुरक्षा गारंटी के दायरे से बाहर रहे थे। जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बेरबॉक ने रविवार को कहा कि वे पहले से ही "नाटो के सदस्य हैं, बिना सदस्यता कार्ड के।"