रोचक खबर post authorJournalist खबरीलाल LAST UPDATED ON:Friday ,July 08,2022

ओंठ या नाक के पास तिल वाले के जीवन पर हमेशा रहता है ये प्रभाव:

post

नई दिल्ली: अगर किसी जातक के ओठ और नासिका नली के बीच तिल का निशान हो तो जातक हमेशा किसी न किसी परेशानी से घिरा रहता है. जातक के जीवन में दुख का अंत ही नहीं होता है.

अनैतिक मांगों को भी पूरा करता है ऐसा जातक

ऐसे जातक अपने कार्यक्षेत्र में किसी बड़ी साजिश का शिकार बन जाता है और उसके बचाव में और भी कई गलत कार्य करने लगता है या कह सकते हैं परिस्थितियों का मारा ऐसा जातक किसी का मोहरा बन जाता है. वह अनैतिक मांगों को भी पूरा करने का प्रयास करता है.

मूल नक्षत्र में जन्मे बालक का कैसा होता है स्वभाव

यदि किसी जातक का जन्म मूल नक्षत्र में हुआ है तो ऐसे बालक अन्य की तुलना में अलग विचारों के होते हैं. ये तेजस्वी, यशस्वी होते हैं परंतु यद वह अशुभ प्रभाव में हो तो इस नक्षत्र में जन्म लेने वाला बालक क्रोधी और

ईर्ष्यालु स्वाभाव का होता है. इसके साथ ही ऐसे जातकों की सेहत भी अच्छी नहीं होती है. मूल नक्षत्र का स्वामी ग्रह केतु है तो वहीं राशि स्वामी गुरु है, इसलिए इस नक्षत्र में जन्में जातको पर जीवन भर गुरु और केतु दोनों का प्रभाव रहता है. यदि केतु नकारात्मकता को जन्म देता है तो गुरु के कारण

जीवन में सकारात्मकता का आगमन होता है. इस नक्षत्र में जन्में जातक कठिन से कठिन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भी अपनी पूरी ऊर्जा लगा देते हैं. ये लोग दृढ़ विचारों वाले होते हैं और अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करके

रखते हैं.




नई दिल्ली: अगर किसी जातक के ओठ और नासिका नली के बीच तिल का निशान हो तो जातक हमेशा किसी न किसी परेशानी से घिरा रहता है. जातक के जीवन में दुख का अंत ही नहीं होता है.

अनैतिक मांगों को भी पूरा करता है ऐसा जातक

ऐसे जातक अपने कार्यक्षेत्र में किसी बड़ी साजिश का शिकार बन जाता है और उसके बचाव में और भी कई गलत कार्य करने लगता है या कह सकते हैं परिस्थितियों का मारा ऐसा जातक किसी का मोहरा बन जाता है. वह अनैतिक मांगों को भी पूरा करने का प्रयास करता है.

मूल नक्षत्र में जन्मे बालक का कैसा होता है स्वभाव

यदि किसी जातक का जन्म मूल नक्षत्र में हुआ है तो ऐसे बालक अन्य की तुलना में अलग विचारों के होते हैं. ये तेजस्वी, यशस्वी होते हैं परंतु यद वह अशुभ प्रभाव में हो तो इस नक्षत्र में जन्म लेने वाला बालक क्रोधी और

ईर्ष्यालु स्वाभाव का होता है. इसके साथ ही ऐसे जातकों की सेहत भी अच्छी नहीं होती है. मूल नक्षत्र का स्वामी ग्रह केतु है तो वहीं राशि स्वामी गुरु है, इसलिए इस नक्षत्र में जन्में जातको पर जीवन भर गुरु और केतु दोनों का प्रभाव रहता है. यदि केतु नकारात्मकता को जन्म देता है तो गुरु के कारण

जीवन में सकारात्मकता का आगमन होता है. इस नक्षत्र में जन्में जातक कठिन से कठिन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भी अपनी पूरी ऊर्जा लगा देते हैं. ये लोग दृढ़ विचारों वाले होते हैं और अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करके

रखते हैं.




...
...
...
...
...
...
...
...