एक उम्र के बाद हर महिला मेनोपॉज के दौर से गुजरती है, जिसमें ऐसे
शारीरिक बदलावों का सामना करना पड़ता है जो या तो दर्द देने वाले होते हैं
या फिर कमजोरी बढ़ाने वाले होते हैं. कई महिलाओं को मानसिक तनाव (Mental
Stress) का सामना भी करना पड़ जाता है. इस अवस्था का एक अंदाजा ऐसे लगा
सकते हैं कि जब लगातार कई महीने पीरियड्स (Periods) न हों और गर्भवती होने
की संभावनाएं कम हो जाएं तब मेनोपॉज (Menopause) माना जा सकता है. पीरियड्स
के पैटर्न और अलग-अलग महिलाओं में इसके लक्षण (Symptoms) अलग हो सकते हैं
और इस दौरान होने वाली तकलीफों में भी अंतर हो सकता है.
क्या है मेनोपॉज की सही उम्र?
सामान्य
तौर पर देखा जाए तो 45 से 50 साल की उम्र के बीच महिलाओं में मेनोपॉज की
शुरूआत हो जाती है. कुछ महिलाओं को इससे पहले भी मेनोपॉज हो सकता है, लेकिन
ये प्रक्रिया तुरंत खत्म नहीं होती. पीरियड्स के समय में अनियमितता भी
होने लगती है. मेनोपॉज की प्रक्रिया चार साल से लेकर दस साल तक की हो सकती
है. एक बार पीरियड आना बंद हुए हो तो संभव है कि आखिरी पीरियड के चार साल
बाद फिर ब्लीडिंग शुरू हो जाए. ऐसा दस साल तक हो सकता है. दस में से एक
महिला को बारह साल तक इस प्रक्रिया से गुजरना पड़ सकता है.
मेनोपॉज के लक्षण -
- मेनोपॉज के लक्षण भी हर महिला में अलग-अलग हो सकते हैं, जिसमें नींद कम या मुश्किल से आना, वजन बढ़ना जैसे आम लक्षण शामिल होते हैं.
- मेनोपॉज के दौरान स्किन में ड्राइनेस और बालों का झड़ना भी बढ़ सकता है.
- जो महिलाएं मेनोपॉज से गुजर रही होती हैं उन्हें यूरिन इंफेक्शन होने की संभावना भी बढ़ जाती है.
- रात को अचानक पसीना आना या हॉट फ्लैशेज आना भी मेनोपॉज का बड़ा संकेत होते हैं.
- पीरियड्स
में अनियमितता, कभी कभी ज्यादा दिन तक ब्लीडिंग होना, पीरियड्स के बीच का
अंतराल नियमित न होना भी मेनोपॉज का लक्षण ही होता है. - मानसिक तौर पर भी महिलाओं को चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, गुस्सा और मूड स्विंग की शिकायत हो सकती है.
मेनोपॉज का उपचार -
- मेनोपॉज
एक कुदरती प्रक्रिया है जिसे रोका नहीं जा सकता. लेकिन इस दौरान होने वाली
परेशानियों को कम किया जा सकता है या आसानी से निपटने की कोशिश की जा
सकती है. - मेनोपॉज के दौरान ज्यादा से ज्यादा समय ढीले कपड़े पहनें.
खासतौर से जो महिलाएं हॉट फ्लैशेज की शिकार हैं उन्हें कसे हुए कपड़े नहीं
पहनना चाहिए. - अपने वजन पर काबू रखना जरूरी है. इस अवस्था से गुजर रही महिलाओं को कैलोरी कंज्यूम करने पर कंट्रोल रखना जरूरी है.
- एक्सरसाइज करना बहुत जरूरी है. इससे मेनोपॉज के समय होने वाले मानसिक और शारीरिक दोनों तरह के तनाव से राहत मिलती है.
- डॉक्टर
को जरूर दिखाएं. काफी समय तक पीरियड न आए तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें.
ताकि वो हार्मोनल टेस्ट के जरिए जान सके कि मेनोपॉज का दौर शुरू हो चुका
है.
एक उम्र के बाद हर महिला मेनोपॉज के दौर से गुजरती है, जिसमें ऐसे
शारीरिक बदलावों का सामना करना पड़ता है जो या तो दर्द देने वाले होते हैं
या फिर कमजोरी बढ़ाने वाले होते हैं. कई महिलाओं को मानसिक तनाव (Mental
Stress) का सामना भी करना पड़ जाता है. इस अवस्था का एक अंदाजा ऐसे लगा
सकते हैं कि जब लगातार कई महीने पीरियड्स (Periods) न हों और गर्भवती होने
की संभावनाएं कम हो जाएं तब मेनोपॉज (Menopause) माना जा सकता है. पीरियड्स
के पैटर्न और अलग-अलग महिलाओं में इसके लक्षण (Symptoms) अलग हो सकते हैं
और इस दौरान होने वाली तकलीफों में भी अंतर हो सकता है.
क्या है मेनोपॉज की सही उम्र?
सामान्य
तौर पर देखा जाए तो 45 से 50 साल की उम्र के बीच महिलाओं में मेनोपॉज की
शुरूआत हो जाती है. कुछ महिलाओं को इससे पहले भी मेनोपॉज हो सकता है, लेकिन
ये प्रक्रिया तुरंत खत्म नहीं होती. पीरियड्स के समय में अनियमितता भी
होने लगती है. मेनोपॉज की प्रक्रिया चार साल से लेकर दस साल तक की हो सकती
है. एक बार पीरियड आना बंद हुए हो तो संभव है कि आखिरी पीरियड के चार साल
बाद फिर ब्लीडिंग शुरू हो जाए. ऐसा दस साल तक हो सकता है. दस में से एक
महिला को बारह साल तक इस प्रक्रिया से गुजरना पड़ सकता है.
मेनोपॉज के लक्षण -
- मेनोपॉज के लक्षण भी हर महिला में अलग-अलग हो सकते हैं, जिसमें नींद कम या मुश्किल से आना, वजन बढ़ना जैसे आम लक्षण शामिल होते हैं.
- मेनोपॉज के दौरान स्किन में ड्राइनेस और बालों का झड़ना भी बढ़ सकता है.
- जो महिलाएं मेनोपॉज से गुजर रही होती हैं उन्हें यूरिन इंफेक्शन होने की संभावना भी बढ़ जाती है.
- रात को अचानक पसीना आना या हॉट फ्लैशेज आना भी मेनोपॉज का बड़ा संकेत होते हैं.
- पीरियड्स
में अनियमितता, कभी कभी ज्यादा दिन तक ब्लीडिंग होना, पीरियड्स के बीच का
अंतराल नियमित न होना भी मेनोपॉज का लक्षण ही होता है. - मानसिक तौर पर भी महिलाओं को चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, गुस्सा और मूड स्विंग की शिकायत हो सकती है.
मेनोपॉज का उपचार -
- मेनोपॉज
एक कुदरती प्रक्रिया है जिसे रोका नहीं जा सकता. लेकिन इस दौरान होने वाली
परेशानियों को कम किया जा सकता है या आसानी से निपटने की कोशिश की जा
सकती है. - मेनोपॉज के दौरान ज्यादा से ज्यादा समय ढीले कपड़े पहनें.
खासतौर से जो महिलाएं हॉट फ्लैशेज की शिकार हैं उन्हें कसे हुए कपड़े नहीं
पहनना चाहिए. - अपने वजन पर काबू रखना जरूरी है. इस अवस्था से गुजर रही महिलाओं को कैलोरी कंज्यूम करने पर कंट्रोल रखना जरूरी है.
- एक्सरसाइज करना बहुत जरूरी है. इससे मेनोपॉज के समय होने वाले मानसिक और शारीरिक दोनों तरह के तनाव से राहत मिलती है.
- डॉक्टर
को जरूर दिखाएं. काफी समय तक पीरियड न आए तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें.
ताकि वो हार्मोनल टेस्ट के जरिए जान सके कि मेनोपॉज का दौर शुरू हो चुका
है.