Recepie post authorJournalist खबरीलाल Saturday ,July 16,2022

कोरमा बनाना कैसे शुरू हुआ था? किसने इसका आविष्कार किया और यह कैसे अस्तित्व में आया? जानें इससे जुड़े रोचक किस्से:

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मुगलई व्यंजनों में एक ऐसी डिश है जिसे खूब पसंद किया जाता है। कोरमा वो
मुगलई डिश है जिसे भारतीय करी का राजा कहा जाता है। पारंपरिक जड़ों की बात
करें तो कोरमा मीट (चिकन या मटन) को सब्जियों, तमाम मसालों, दही से
मैरिनेट करके पकाया जाता था। वक्त के साथ-साथ इसमें बदलाव हुए और नॉन-वेज
ही नहीं, बल्कि वेज कोरमा भी बनने लगा। ऐसा भी कहा जाता है कि इसे ताजमहल
के उद्घाटन में शाहजहां और उनके मेहमानों को भी कोरमा परोसा गया था। चलिए
आपको इसके बनने की कहानी और किस्से बताएं।


कैसे अस्तित्व में आया कोरमा?


what is history behind korma


ऐसा माना जाता है कि कोरमा का संबंध तुर्की से है। कोरमा एक तुर्की शब्द
'कवीरमा' से लिया गया जिसका ताल्लुक अरबी और उर्दू भाषा से है। वहां पर
कवीरमा एक तले हुए मीट की डिश हुआ करती है और इसी तरह की एक अन्य डिश जिसे
ड्राई फ्रूट्स और खट्टे अंगूर के जूस के साथ बनाया जाता है अजरबाइजान में
भी बहुत लोकप्रिय है। फिर इसी तरह से पर्सिया में खोरेश नामक डिश पॉपुलर
है, जिसे सब्जियों, हर्ब्स और राजमा से बनाया जाता रहा है। 


इस तरह कोरमा 18वीं सदी के अंत में कोरमा रॉयल मेन्यू में शामिल हो गया
था। मुगल साम्राज्य के खत्म होने के बाद भी इसका रुतबा कम नहीं हुआ और इसे
उपमहाद्वीप के सांस्कृतिक केंद्रों तक ले जाया गया। इस आइकॉनिक रेसिपी ने
कई दस्तरख्वान की रौनक बढ़ाई।



रामपुर के नवाब के यहां था कोरमा बनाने वाला खानसामा


कंटेम्पररी कोरमा व्यंजनों में चाहे वह वेज हो या नॉन-वेज, क्रीम और
नारियल के दूध का उपयोग कर बनाई जाती है, लेकिन इसका सबसे अच्छा स्वाद दही
के साथ बने और कैरेमलाइज्ड प्याज, साबुत गरम मसाला
से ही आता है। मुगल दरबार में कोरमा इतना पसंद किया जाता था कि 1865 से
1887 तक रामपुर रियासत के नवाब हाजी नवाब कल्ब अली खान बहादुर कि रसोई में
एक खानसामा सिर्फ और सिर्फ मुर्ग कोरमा बनाता था। रामपुरी कोरमा आज भी अपने
नाम की वजह से बहुत लोकप्रिय है। रामपुरी कोरमा का एक विशिष्ट स्वाद रहता
है। कुछ सुगंधित मसालों के साथ क्रीम का टेक्सचर डिश को रिच बनाता है। आज
भी इसका वही स्वाद बरकरार है।


शाहजहां से भी रहा है संबंध


mutton korma shahjahani


मुर्ग कोरमा शाहजहां को भी बेहद पसंद था। कई तथ्य इस बात का जिक्र करते
हैं कि जब शाहजहां ने ताजमहल बनावाया। उस दौरान भी उन्हें कोरमा सर्व किया
गया था। कहा जाता है कि ताजमहल के उद्घाटन के दौरान शाहजहां के सभी रॉयल
गेस्ट के लिए स्पेशल मुर्ग कोरमा तैयार किया गया था। इसी तरह जब मटन कोरमा
बनाया गया तो उसकी रेसिपी शाहजहां के किचन में तैयार हुई। इसी तरह मटन
कोरमा शाहजहां के नाम पर बना और यह मटन कोरमा शाहजानी के नाम से प्रसिद्ध
हुआ।



उपमहाद्वीप में कोरमा के तीन प्रकार लोकप्रिय हैं-


  • नॉर्थ इंडिया में कोरमा बनाने के लिए दही, प्यूरी बादाम, काजू और क्रीम के साथ बनाया जाता है।
  • कश्मीरी कोरमा डिश को बनाने के लिए सौंफ, हल्दी, इमली और सूखे कॉक्सकॉम्ब फूलों का उपयोग किया जाता है।
  • साउथ इंडियन स्टाइल में कोरमा बनाते हुए फ्रेश नारियल और नारियल दूध को मिलाकर रिच क्रीमी करी तैयार की जाती है।


मुगलई व्यंजनों में एक ऐसी डिश है जिसे खूब पसंद किया जाता है। कोरमा वो
मुगलई डिश है जिसे भारतीय करी का राजा कहा जाता है। पारंपरिक जड़ों की बात
करें तो कोरमा मीट (चिकन या मटन) को सब्जियों, तमाम मसालों, दही से
मैरिनेट करके पकाया जाता था। वक्त के साथ-साथ इसमें बदलाव हुए और नॉन-वेज
ही नहीं, बल्कि वेज कोरमा भी बनने लगा। ऐसा भी कहा जाता है कि इसे ताजमहल
के उद्घाटन में शाहजहां और उनके मेहमानों को भी कोरमा परोसा गया था। चलिए
आपको इसके बनने की कहानी और किस्से बताएं।


कैसे अस्तित्व में आया कोरमा?


what is history behind korma


ऐसा माना जाता है कि कोरमा का संबंध तुर्की से है। कोरमा एक तुर्की शब्द
'कवीरमा' से लिया गया जिसका ताल्लुक अरबी और उर्दू भाषा से है। वहां पर
कवीरमा एक तले हुए मीट की डिश हुआ करती है और इसी तरह की एक अन्य डिश जिसे
ड्राई फ्रूट्स और खट्टे अंगूर के जूस के साथ बनाया जाता है अजरबाइजान में
भी बहुत लोकप्रिय है। फिर इसी तरह से पर्सिया में खोरेश नामक डिश पॉपुलर
है, जिसे सब्जियों, हर्ब्स और राजमा से बनाया जाता रहा है। 


इस तरह कोरमा 18वीं सदी के अंत में कोरमा रॉयल मेन्यू में शामिल हो गया
था। मुगल साम्राज्य के खत्म होने के बाद भी इसका रुतबा कम नहीं हुआ और इसे
उपमहाद्वीप के सांस्कृतिक केंद्रों तक ले जाया गया। इस आइकॉनिक रेसिपी ने
कई दस्तरख्वान की रौनक बढ़ाई।



रामपुर के नवाब के यहां था कोरमा बनाने वाला खानसामा


कंटेम्पररी कोरमा व्यंजनों में चाहे वह वेज हो या नॉन-वेज, क्रीम और
नारियल के दूध का उपयोग कर बनाई जाती है, लेकिन इसका सबसे अच्छा स्वाद दही
के साथ बने और कैरेमलाइज्ड प्याज, साबुत गरम मसाला
से ही आता है। मुगल दरबार में कोरमा इतना पसंद किया जाता था कि 1865 से
1887 तक रामपुर रियासत के नवाब हाजी नवाब कल्ब अली खान बहादुर कि रसोई में
एक खानसामा सिर्फ और सिर्फ मुर्ग कोरमा बनाता था। रामपुरी कोरमा आज भी अपने
नाम की वजह से बहुत लोकप्रिय है। रामपुरी कोरमा का एक विशिष्ट स्वाद रहता
है। कुछ सुगंधित मसालों के साथ क्रीम का टेक्सचर डिश को रिच बनाता है। आज
भी इसका वही स्वाद बरकरार है।


शाहजहां से भी रहा है संबंध


mutton korma shahjahani


मुर्ग कोरमा शाहजहां को भी बेहद पसंद था। कई तथ्य इस बात का जिक्र करते
हैं कि जब शाहजहां ने ताजमहल बनावाया। उस दौरान भी उन्हें कोरमा सर्व किया
गया था। कहा जाता है कि ताजमहल के उद्घाटन के दौरान शाहजहां के सभी रॉयल
गेस्ट के लिए स्पेशल मुर्ग कोरमा तैयार किया गया था। इसी तरह जब मटन कोरमा
बनाया गया तो उसकी रेसिपी शाहजहां के किचन में तैयार हुई। इसी तरह मटन
कोरमा शाहजहां के नाम पर बना और यह मटन कोरमा शाहजानी के नाम से प्रसिद्ध
हुआ।



उपमहाद्वीप में कोरमा के तीन प्रकार लोकप्रिय हैं-


  • नॉर्थ इंडिया में कोरमा बनाने के लिए दही, प्यूरी बादाम, काजू और क्रीम के साथ बनाया जाता है।
  • कश्मीरी कोरमा डिश को बनाने के लिए सौंफ, हल्दी, इमली और सूखे कॉक्सकॉम्ब फूलों का उपयोग किया जाता है।
  • साउथ इंडियन स्टाइल में कोरमा बनाते हुए फ्रेश नारियल और नारियल दूध को मिलाकर रिच क्रीमी करी तैयार की जाती है।


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