सावन मास चौथा व अंतिम शनिवार 6 अगस्त को है। जिन जातकों पर शनि ढैय्या
व शनि साढ़ेसाती चल रही है, उन्हें इस दिन शिव पूजन के दौरान कुछ बातों का
ध्यान रखना चाहिए, ताकि भगवान शिव के साथ शनिदेव के...
सावन
मास चौथा व अंतिम शनिवार 6 अगस्त को है। जिन जातकों पर शनि ढैय्या व शनि
साढ़ेसाती चल रही है, उन्हें इस दिन शिव पूजन के दौरान कुछ बातों का ध्यान
रखना चाहिए, ताकि भगवान शिव के साथ शनिदेव के प्रकोप से बचा जा सके।
वर्तमान
में शनिदेव मकर राशि में विराजमान हैं। जिसके कारण धनु, मकर व कुंभ राशि
वालों पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। मिथुन व तुला राशि वालों पर शनि
ढैय्या का प्रभाव है।
शनिदेव
को भगवान शंकर का परम भक्त माना गया है। ऐसे में इन पांच राशि वालों को
सावन के आखिरी शनिवार को भगवान शिव की विधिवत पूजा करनी चाहिए, ताकि शनिदेव
का जीवन में अशुभ प्रभाव कम पड़े।
शिवलिंग
पर इन पांच राशि वालों को सावन के शनिवार को जल, दही, घी, इत्र, बेलपत्र,
धतूरा, आक, शहद, गंगाजल, सरसों का तेल व गन्ने का रस आदि अर्पित करना
चाहिए।
सावन
के चौथे शनिवार को शिवलिंग पर दूध, काले तिल अर्पित करने चाहिए। शनि के
अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए शंकर जी को कनेर का फूल अर्पित किया जा
सकता है।
सावन
के चौथे शनिवार को शनि की महादशा से पीड़ित जातकों को शिव चालीसा का पाठ
करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
शनिवार
के दिन शनि के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए कुंभ, धनु, मकर, मिथुन व
तुला राशि के जातक शनिदेव के साथ भगवान शिव की विधिवत पूजा अर्चना कर सकते
हैं। शिवजी पर बेलपत्र अर्पित करने से शनिदेव के साथ शंकर जी के प्रसन्न
होने की मान्यता है।
सावन मास चौथा व अंतिम शनिवार 6 अगस्त को है। जिन जातकों पर शनि ढैय्या
व शनि साढ़ेसाती चल रही है, उन्हें इस दिन शिव पूजन के दौरान कुछ बातों का
ध्यान रखना चाहिए, ताकि भगवान शिव के साथ शनिदेव के...
सावन
मास चौथा व अंतिम शनिवार 6 अगस्त को है। जिन जातकों पर शनि ढैय्या व शनि
साढ़ेसाती चल रही है, उन्हें इस दिन शिव पूजन के दौरान कुछ बातों का ध्यान
रखना चाहिए, ताकि भगवान शिव के साथ शनिदेव के प्रकोप से बचा जा सके।
वर्तमान
में शनिदेव मकर राशि में विराजमान हैं। जिसके कारण धनु, मकर व कुंभ राशि
वालों पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। मिथुन व तुला राशि वालों पर शनि
ढैय्या का प्रभाव है।
शनिदेव
को भगवान शंकर का परम भक्त माना गया है। ऐसे में इन पांच राशि वालों को
सावन के आखिरी शनिवार को भगवान शिव की विधिवत पूजा करनी चाहिए, ताकि शनिदेव
का जीवन में अशुभ प्रभाव कम पड़े।
शिवलिंग
पर इन पांच राशि वालों को सावन के शनिवार को जल, दही, घी, इत्र, बेलपत्र,
धतूरा, आक, शहद, गंगाजल, सरसों का तेल व गन्ने का रस आदि अर्पित करना
चाहिए।
सावन
के चौथे शनिवार को शिवलिंग पर दूध, काले तिल अर्पित करने चाहिए। शनि के
अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए शंकर जी को कनेर का फूल अर्पित किया जा
सकता है।
सावन
के चौथे शनिवार को शनि की महादशा से पीड़ित जातकों को शिव चालीसा का पाठ
करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
शनिवार
के दिन शनि के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए कुंभ, धनु, मकर, मिथुन व
तुला राशि के जातक शनिदेव के साथ भगवान शिव की विधिवत पूजा अर्चना कर सकते
हैं। शिवजी पर बेलपत्र अर्पित करने से शनिदेव के साथ शंकर जी के प्रसन्न
होने की मान्यता है।