पिछले कुछ सालों में लड़कियां तेजी से इंजीनियरिंग को अपना करियर बना रही हैं, जबाकि पहले इसे पुरुष प्रधान क्षेत्र माना जाता था। इंजीनियरिंग कॉलेज में लगातार बढ़ती लड़कियों की भागीदारी यह बता रही है कि लड़कियां जो पहले भी पढ़ाई में तेज थीं, अब अपनी पसंदीदा करियर में अपने लिए जगह बनाना चाहती हैं। लड़कियों की इसी पसंद पर हाल की इस खबर ने भी मोहर लगाई है। टीमलीज डिजिटल के हालिया अध्ययन के मुताबिक साल 2027 तक तकनीकी नौकरियों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ कर 14.9 हो जाएगी। इस साल के मुकाबले यह लगभग 5.5 प्रतिशत अधिक होगा। आने वाले सालों में तकनीकी क्षेत्र में भारतीय महिलाएं खूब प्रगति करेंगी और लीडरशिप वाली भूमिकाओं में भी नजर आएंगी। इस अध्ययन के मुताबिक डेटा साइंटिस्ट, मशीन लर्निंग इंजीनियर और डेटा अनालिस्ट के पदों पर महिलाओं की संख्या और रुतबा बढ़ेगा। एआई और क्लाउड कंप्यूटर इंजीनियर के पदों पर भी महिलाओं की संख्या बढ़ेगी। अगर आप भी तकनीक के क्षेत्र में आगे पढ़ाई करने और करियर तलाशने की सोच रही हैं, तो यह सही समय है। अपने लिए भी और देश के लिए भी।
इसके बाद न करें मेकअप का इस्तेमाल
ये बात आपने पहले भी सुनी होगी कि मेकअप का कोई भी सामान आपको एक्सपायरी डेट के बाद इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। कुछ समय पहले मेकअप के एक नामी ब्रांड ने देश के दस शहरों में सर्वे करवाया था, उसके मुताबिक लगभग 57 प्रतिशत महिलाएं प्रोडक्ट के एक्सपायरी डेट पर ध्यान ही नहीं देती हैं और त्वचा रोगों की शिकार भी होती रहती हैं। मिशिगन के नामी प्लास्टिक सर्जन डॉ. एंथोनी यून कहते हैं, ‘हर सामग्री की एक शेल्फ लाइफ होती है। इसके बाद उस सामग्री का इस्तेमाल करना बिलकुल सही नहीं है। नियत समय के बाद कुछ मेकअप प्रोडक्ट्स तेजाब की तरह काम करने लगते हैं। इससे त्वचा जल जाती है, छेद पड़ जाता है और कैंसर तक हो सकता है। अगर आपका मेकअप प्रोडक्ट रंग बदलने लगा है, उसमें से अजीब गंध आने लगी है, तो यह भी संकेत है कि आपको उसका इस्तेमाल अब नहीं करना चाहिए।’
22 साल बाद वतन लौटी हमीदा से ये सीखें
75 साल की हमीदा बानो के लिए यह एक सपने के सच हो जाने जैसा है। पूरे 22 साल बाद जब वो पाकिस्तान के करांची शहर से अपने वतन हिंदुस्तान में अपने घर मुंबई लौटीं तो उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि यह सब उनके साथ ही हो रहा है। उम्र जरूर 75 की हो चुकी है, लेकिन जज्बा वही पुराना है। पचास साल की उम्र में हमीदा रसोइये की नौकरी करने दुबई जाना चाहती थीं। वे शादीशुदा और दो बेटियों की मां थीं। पर, जिस एजेंट से उन्होंने संपर्क किया, वो धोखे से उन्हें दुबई के बजाय पाकिस्तान ले गया। वहां से अपने वतन लौटना उन्हें नामुमकिन लगा। ना जाने कितनी बार उन्हें खरीदा-बेचा गया और अंतत: करांची में एक दुकानदार से उन्होंने निकाह कर लिया। इसके बाद जिंदगी पटरी पर लगी ही थी कि कोराना संक्रमण से उनके शौहर की मृत्यु हो गई। उसके बाद वो अकेली पड़ गईं। वो हर समय यही सोचतीं कि काश वो अपने देश जा पातीं, अपनी बेटियों से मिली पातीं। उन्होंने अपनी दास्तां पाकिस्तानी सामाजिक कार्यकर्ता वलीउल्लाह मारूफ को बताई। बीबीसी में प्रकाशित इस खबर के अनुसार वलीउल्लाह को पहले लगा कि कहीं हमीदा बानो की कहानी दोनों देशों के बीच तनाव की भेंट ना चढ़ जाए। पर जब उन्होंने हमीदा की कहानी सोशल मीडिया पर डाली तो मुंबई के एक ब्लॉगर ने यह पढ़ कर कुर्ला में रहने वाली हमीदा की बेटियों से संपर्क किया। बेटियां इससे पहले बीबीसी मराठी को दिए अपने इंटरव्यू में बता चुकी थीं कि कितनी शिद्दत से वे अपनी अम्मी की तलाश कर रही हैं। अच्छी बात यह हुई कि हमीदा की भारत वापसी को दोनों देशों के उच्चायोग ने आसान कर दिया और आखिरकार वो अपने घर लौट आईं। यहां आते ही उन्होंने कहा है कि वो किसी पर बोझ नहीं बनना चाहतीं और अपनी जीविका के लिए दुकान खोलेंगी। यह है उनसे सीखने वाली बात। हर हाल में अपने आपको संभालना और कभी निराश ना होना।
पिछले कुछ सालों में लड़कियां तेजी से इंजीनियरिंग को अपना करियर बना रही हैं, जबाकि पहले इसे पुरुष प्रधान क्षेत्र माना जाता था। इंजीनियरिंग कॉलेज में लगातार बढ़ती लड़कियों की भागीदारी यह बता रही है कि लड़कियां जो पहले भी पढ़ाई में तेज थीं, अब अपनी पसंदीदा करियर में अपने लिए जगह बनाना चाहती हैं। लड़कियों की इसी पसंद पर हाल की इस खबर ने भी मोहर लगाई है। टीमलीज डिजिटल के हालिया अध्ययन के मुताबिक साल 2027 तक तकनीकी नौकरियों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ कर 14.9 हो जाएगी। इस साल के मुकाबले यह लगभग 5.5 प्रतिशत अधिक होगा। आने वाले सालों में तकनीकी क्षेत्र में भारतीय महिलाएं खूब प्रगति करेंगी और लीडरशिप वाली भूमिकाओं में भी नजर आएंगी। इस अध्ययन के मुताबिक डेटा साइंटिस्ट, मशीन लर्निंग इंजीनियर और डेटा अनालिस्ट के पदों पर महिलाओं की संख्या और रुतबा बढ़ेगा। एआई और क्लाउड कंप्यूटर इंजीनियर के पदों पर भी महिलाओं की संख्या बढ़ेगी। अगर आप भी तकनीक के क्षेत्र में आगे पढ़ाई करने और करियर तलाशने की सोच रही हैं, तो यह सही समय है। अपने लिए भी और देश के लिए भी।
इसके बाद न करें मेकअप का इस्तेमाल
ये बात आपने पहले भी सुनी होगी कि मेकअप का कोई भी सामान आपको एक्सपायरी डेट के बाद इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। कुछ समय पहले मेकअप के एक नामी ब्रांड ने देश के दस शहरों में सर्वे करवाया था, उसके मुताबिक लगभग 57 प्रतिशत महिलाएं प्रोडक्ट के एक्सपायरी डेट पर ध्यान ही नहीं देती हैं और त्वचा रोगों की शिकार भी होती रहती हैं। मिशिगन के नामी प्लास्टिक सर्जन डॉ. एंथोनी यून कहते हैं, ‘हर सामग्री की एक शेल्फ लाइफ होती है। इसके बाद उस सामग्री का इस्तेमाल करना बिलकुल सही नहीं है। नियत समय के बाद कुछ मेकअप प्रोडक्ट्स तेजाब की तरह काम करने लगते हैं। इससे त्वचा जल जाती है, छेद पड़ जाता है और कैंसर तक हो सकता है। अगर आपका मेकअप प्रोडक्ट रंग बदलने लगा है, उसमें से अजीब गंध आने लगी है, तो यह भी संकेत है कि आपको उसका इस्तेमाल अब नहीं करना चाहिए।’
22 साल बाद वतन लौटी हमीदा से ये सीखें
75 साल की हमीदा बानो के लिए यह एक सपने के सच हो जाने जैसा है। पूरे 22 साल बाद जब वो पाकिस्तान के करांची शहर से अपने वतन हिंदुस्तान में अपने घर मुंबई लौटीं तो उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि यह सब उनके साथ ही हो रहा है। उम्र जरूर 75 की हो चुकी है, लेकिन जज्बा वही पुराना है। पचास साल की उम्र में हमीदा रसोइये की नौकरी करने दुबई जाना चाहती थीं। वे शादीशुदा और दो बेटियों की मां थीं। पर, जिस एजेंट से उन्होंने संपर्क किया, वो धोखे से उन्हें दुबई के बजाय पाकिस्तान ले गया। वहां से अपने वतन लौटना उन्हें नामुमकिन लगा। ना जाने कितनी बार उन्हें खरीदा-बेचा गया और अंतत: करांची में एक दुकानदार से उन्होंने निकाह कर लिया। इसके बाद जिंदगी पटरी पर लगी ही थी कि कोराना संक्रमण से उनके शौहर की मृत्यु हो गई। उसके बाद वो अकेली पड़ गईं। वो हर समय यही सोचतीं कि काश वो अपने देश जा पातीं, अपनी बेटियों से मिली पातीं। उन्होंने अपनी दास्तां पाकिस्तानी सामाजिक कार्यकर्ता वलीउल्लाह मारूफ को बताई। बीबीसी में प्रकाशित इस खबर के अनुसार वलीउल्लाह को पहले लगा कि कहीं हमीदा बानो की कहानी दोनों देशों के बीच तनाव की भेंट ना चढ़ जाए। पर जब उन्होंने हमीदा की कहानी सोशल मीडिया पर डाली तो मुंबई के एक ब्लॉगर ने यह पढ़ कर कुर्ला में रहने वाली हमीदा की बेटियों से संपर्क किया। बेटियां इससे पहले बीबीसी मराठी को दिए अपने इंटरव्यू में बता चुकी थीं कि कितनी शिद्दत से वे अपनी अम्मी की तलाश कर रही हैं। अच्छी बात यह हुई कि हमीदा की भारत वापसी को दोनों देशों के उच्चायोग ने आसान कर दिया और आखिरकार वो अपने घर लौट आईं। यहां आते ही उन्होंने कहा है कि वो किसी पर बोझ नहीं बनना चाहतीं और अपनी जीविका के लिए दुकान खोलेंगी। यह है उनसे सीखने वाली बात। हर हाल में अपने आपको संभालना और कभी निराश ना होना।