करवा चौथ कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।
इस दिन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र की कामना करती है। उनके लिए व्रत
रखती हैं, उनकी सुख समृद्धि के लिए करवा माता की पूजा करती हैं। करवा चौथ
का व्रत कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं। ऐसा माना जाता है कि उन्हें अच्छे वर
की प्राप्ति होगी। शास्त्रों के अनुसार, किसी भी महीने की चौथ पूजा भगवान
गणेश को समर्पित की जाती है। माना जाता है कि करवा चौथ के दिन शिव परिवार
यानी कि शिव जी, माता पार्वती, भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की पूजा
चंद्रोदय से एक घंटा पहले की जानी चाहिए। ऐसा करने से सभी फलों की प्राप्ति
होती है। करवा चौथ के दिन व्रत अर्घ्य देकर ही खोला जाता है। जानते हैं कि
अर्घ्य देते समय क्या गलती नहीं करनी चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार, अगर आप चतुर्थी के चंद्रमा को देखते हैं तो आप
अपयश के शिकार हो सकते है। इसलिए हमेशा चतुर्थी के चंद्रमा को देखते समय
छलनी या किसी जाली वाली चीज का इस्तेमाल किया जाता है। या चंद्रमा को नीचे
करके अर्घ्य दिया जाता है। इससे चंद्रमा के सीधे संपर्क से बचाव होता है।
उसका कारण है कि चतुर्थी का चंद्रमा आयु बढ़ाता है, बाधा घटाता है, जीवन को
लंबा भी करता है। लेकिन, जीवन में अपयश भी दे सकता है। इसलिए जो महिलाएं
करवा चौथ का व्रत रख रही हैं, वो या तो छलनी का इस्तेमाल करें या चंद्रमा
की परछाई पानी में देखनी चाहिए।
ध्यान रहें कि अर्घ्य देते समय सबसे पहले अपने पति को पानी पिलाना
चाहिए। उसके बाद ही महिलाओं को पानी ग्रहण करना चाहिए। अर्घ्य वाले लोटे का
पानी नहीं पीना चाहिए। उसके बाद अपने पति को पंच मेवे, फल खिलाने चाहिए।
अर्घ्य देते समय उस चुन्नी को जरूर साथ लेकर जाएं, जिसे आपने कथा सुनते हुए
पहना था। उस समय सबसे पहले छलनी में दीया रखकर चंद्रमा को देखना चाहिए।
उसके बाद उसी छलनी से अपने पति को देखना चाहिए। कई लोग जलते हुए दीये को
पीछे फेंक देते हैं, उससे करवा माता नाराज हो जाती है। जहां अर्घ्य दिया
जाता है, वहीं उस दीये को छोड़कर आ जाना चाहिए। अर्घ्य के बाद सात्विक भोजन
ग्रहण करें। ऐसा इसलिए माना जाता है कि क्योंकि यह बहुत ही महत्वपूर्ण
पूजा मानी जाती है।
करवा चौथ कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।
इस दिन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र की कामना करती है। उनके लिए व्रत
रखती हैं, उनकी सुख समृद्धि के लिए करवा माता की पूजा करती हैं। करवा चौथ
का व्रत कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं। ऐसा माना जाता है कि उन्हें अच्छे वर
की प्राप्ति होगी। शास्त्रों के अनुसार, किसी भी महीने की चौथ पूजा भगवान
गणेश को समर्पित की जाती है। माना जाता है कि करवा चौथ के दिन शिव परिवार
यानी कि शिव जी, माता पार्वती, भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की पूजा
चंद्रोदय से एक घंटा पहले की जानी चाहिए। ऐसा करने से सभी फलों की प्राप्ति
होती है। करवा चौथ के दिन व्रत अर्घ्य देकर ही खोला जाता है। जानते हैं कि
अर्घ्य देते समय क्या गलती नहीं करनी चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार, अगर आप चतुर्थी के चंद्रमा को देखते हैं तो आप
अपयश के शिकार हो सकते है। इसलिए हमेशा चतुर्थी के चंद्रमा को देखते समय
छलनी या किसी जाली वाली चीज का इस्तेमाल किया जाता है। या चंद्रमा को नीचे
करके अर्घ्य दिया जाता है। इससे चंद्रमा के सीधे संपर्क से बचाव होता है।
उसका कारण है कि चतुर्थी का चंद्रमा आयु बढ़ाता है, बाधा घटाता है, जीवन को
लंबा भी करता है। लेकिन, जीवन में अपयश भी दे सकता है। इसलिए जो महिलाएं
करवा चौथ का व्रत रख रही हैं, वो या तो छलनी का इस्तेमाल करें या चंद्रमा
की परछाई पानी में देखनी चाहिए।
ध्यान रहें कि अर्घ्य देते समय सबसे पहले अपने पति को पानी पिलाना
चाहिए। उसके बाद ही महिलाओं को पानी ग्रहण करना चाहिए। अर्घ्य वाले लोटे का
पानी नहीं पीना चाहिए। उसके बाद अपने पति को पंच मेवे, फल खिलाने चाहिए।
अर्घ्य देते समय उस चुन्नी को जरूर साथ लेकर जाएं, जिसे आपने कथा सुनते हुए
पहना था। उस समय सबसे पहले छलनी में दीया रखकर चंद्रमा को देखना चाहिए।
उसके बाद उसी छलनी से अपने पति को देखना चाहिए। कई लोग जलते हुए दीये को
पीछे फेंक देते हैं, उससे करवा माता नाराज हो जाती है। जहां अर्घ्य दिया
जाता है, वहीं उस दीये को छोड़कर आ जाना चाहिए। अर्घ्य के बाद सात्विक भोजन
ग्रहण करें। ऐसा इसलिए माना जाता है कि क्योंकि यह बहुत ही महत्वपूर्ण
पूजा मानी जाती है।