मंत्री नागेश ने कहा कि उन्हें बेहतर फैसले की उम्मीद थी, लेकिन अब
मामला बड़ी बेंच के पास चला गया है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक एजुकेशन एक्ट
के अनुसार, शिक्षण संस्थानों में कोई धार्मिक प्रथाओं की अनुमति नहीं होगी।
उनका कहना है कि पूरी दुनिया में महिलाएं हिजाब लागू नहीं करने की मांग कर
रही हैं। उन्होंने कहा, ‘कर्नाटक में हिजाब बैन जारी रहेगा।’
कहां से शुरू हुआ मामला
बीते साल दिसंबर में राज्य के उडुपी में 6 छात्राओं को सरकारी पीयू कॉलेज
के गेट पर रोक लिया गया था। हिजाब पहनने के कारण उन्हें कक्षा में शामिल
होने की अनुमति नहीं थी। भाजपा के स्थानीय विधायक कॉलेज विकास समिति के
अध्यक्ष रघुपति भट ने कहा था कि लड़कियों को ड्रेस कोड का पालन करना होगा।
उस दौरान छात्राओं ने हिजाब के बजाए कक्षाएं छोड़ने का फैसला किया था और
उन्होंने कर्नाटक हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी।
सुप्रीम कोर्ट में भी हिजाब को लेकर जारी विवाद का अंत नहीं हुआ है।
दोनों न्यायाधीशों की अलग-अलग राय ने मामले को बड़ी बेंच तक पहुंचा दिया
है। इसी बीच कर्नाटक सरकार ने भी साफ कर दिया है कि शीर्ष न्यायालय की तरफ
से अंतिम फैसला आने तक शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध जारी रहेगा।
फिलहाल, SC में मामले पर सुनवाई का तारीख तय नहीं है।
गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा
मंत्री बीसी नागेश ने कहा कि वह एपेक्स कोर्ट का फैसला आने तक अपने आदेश को
ही मानेंगे। ऐसे में राज्य के स्कूल और कॉलेजों में हिजाब पर रोक रहेगी।
उन्होंने कहा कि कर्नाटक में तब तक हाईकोर्ट के आदेश को लागू किया जाएगा,
जिसमें शिक्षण संस्थानों में प्रतिबंध को मंजूरी दी गई है।
अदालत में क्या हुआ
शीर्ष न्यायालय में जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया मामले की
सुनवाई कर रहे थे। एक ओर जहां जस्टिस गुप्ता ने उच्च न्यायालय के आदेश के
खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज किया। वहीं, जस्टिस धुलिया की तरफ से उन्हें
स्वीकार किया गया।
मंत्री नागेश ने कहा कि उन्हें बेहतर फैसले की उम्मीद थी, लेकिन अब
मामला बड़ी बेंच के पास चला गया है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक एजुकेशन एक्ट
के अनुसार, शिक्षण संस्थानों में कोई धार्मिक प्रथाओं की अनुमति नहीं होगी।
उनका कहना है कि पूरी दुनिया में महिलाएं हिजाब लागू नहीं करने की मांग कर
रही हैं। उन्होंने कहा, ‘कर्नाटक में हिजाब बैन जारी रहेगा।’
कहां से शुरू हुआ मामला
बीते साल दिसंबर में राज्य के उडुपी में 6 छात्राओं को सरकारी पीयू कॉलेज
के गेट पर रोक लिया गया था। हिजाब पहनने के कारण उन्हें कक्षा में शामिल
होने की अनुमति नहीं थी। भाजपा के स्थानीय विधायक कॉलेज विकास समिति के
अध्यक्ष रघुपति भट ने कहा था कि लड़कियों को ड्रेस कोड का पालन करना होगा।
उस दौरान छात्राओं ने हिजाब के बजाए कक्षाएं छोड़ने का फैसला किया था और
उन्होंने कर्नाटक हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी।
मंत्री नागेश ने कहा कि उन्हें बेहतर फैसले की उम्मीद थी, लेकिन अब
मामला बड़ी बेंच के पास चला गया है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक एजुकेशन एक्ट
के अनुसार, शिक्षण संस्थानों में कोई धार्मिक प्रथाओं की अनुमति नहीं होगी।
उनका कहना है कि पूरी दुनिया में महिलाएं हिजाब लागू नहीं करने की मांग कर
रही हैं। उन्होंने कहा, ‘कर्नाटक में हिजाब बैन जारी रहेगा।’
कहां से शुरू हुआ मामला
बीते साल दिसंबर में राज्य के उडुपी में 6 छात्राओं को सरकारी पीयू कॉलेज
के गेट पर रोक लिया गया था। हिजाब पहनने के कारण उन्हें कक्षा में शामिल
होने की अनुमति नहीं थी। भाजपा के स्थानीय विधायक कॉलेज विकास समिति के
अध्यक्ष रघुपति भट ने कहा था कि लड़कियों को ड्रेस कोड का पालन करना होगा।
उस दौरान छात्राओं ने हिजाब के बजाए कक्षाएं छोड़ने का फैसला किया था और
उन्होंने कर्नाटक हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी।
सुप्रीम कोर्ट में भी हिजाब को लेकर जारी विवाद का अंत नहीं हुआ है।
दोनों न्यायाधीशों की अलग-अलग राय ने मामले को बड़ी बेंच तक पहुंचा दिया
है। इसी बीच कर्नाटक सरकार ने भी साफ कर दिया है कि शीर्ष न्यायालय की तरफ
से अंतिम फैसला आने तक शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध जारी रहेगा।
फिलहाल, SC में मामले पर सुनवाई का तारीख तय नहीं है।
गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा
मंत्री बीसी नागेश ने कहा कि वह एपेक्स कोर्ट का फैसला आने तक अपने आदेश को
ही मानेंगे। ऐसे में राज्य के स्कूल और कॉलेजों में हिजाब पर रोक रहेगी।
उन्होंने कहा कि कर्नाटक में तब तक हाईकोर्ट के आदेश को लागू किया जाएगा,
जिसमें शिक्षण संस्थानों में प्रतिबंध को मंजूरी दी गई है।
अदालत में क्या हुआ
शीर्ष न्यायालय में जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया मामले की
सुनवाई कर रहे थे। एक ओर जहां जस्टिस गुप्ता ने उच्च न्यायालय के आदेश के
खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज किया। वहीं, जस्टिस धुलिया की तरफ से उन्हें
स्वीकार किया गया।
मंत्री नागेश ने कहा कि उन्हें बेहतर फैसले की उम्मीद थी, लेकिन अब
मामला बड़ी बेंच के पास चला गया है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक एजुकेशन एक्ट
के अनुसार, शिक्षण संस्थानों में कोई धार्मिक प्रथाओं की अनुमति नहीं होगी।
उनका कहना है कि पूरी दुनिया में महिलाएं हिजाब लागू नहीं करने की मांग कर
रही हैं। उन्होंने कहा, ‘कर्नाटक में हिजाब बैन जारी रहेगा।’
कहां से शुरू हुआ मामला
बीते साल दिसंबर में राज्य के उडुपी में 6 छात्राओं को सरकारी पीयू कॉलेज
के गेट पर रोक लिया गया था। हिजाब पहनने के कारण उन्हें कक्षा में शामिल
होने की अनुमति नहीं थी। भाजपा के स्थानीय विधायक कॉलेज विकास समिति के
अध्यक्ष रघुपति भट ने कहा था कि लड़कियों को ड्रेस कोड का पालन करना होगा।
उस दौरान छात्राओं ने हिजाब के बजाए कक्षाएं छोड़ने का फैसला किया था और
उन्होंने कर्नाटक हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी।