छत्तीसगढ़ के तृतीय लिंग समुदाय में जागा आत्मविश्वास:

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न्याय के चार साल न्याय के चार साल 



भारतीय संविधान धर्म, जाति और लिंग के भेदभाव के बिना सभी के लिए
सम्मानपूर्वक जीवन निर्वाह करने का अधिकार सुनिश्चित करता है, लेकिन आजादी
के 75 वर्षों बाद भी समाज बहुत सी रूढ़ियों और पूर्वाग्रहों से मुक्त नहीं
हो पाया है। यही वजह है कि समाज के कुछ वर्गों तक उनके संवैधानिक अधिकार
नहीं पहुंच पाए हैं। इसे ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने लिंग आधारित
भेदभाव को खत्म करने के लिए तृतीय लिंग समुदाय के सामाजिक उत्थान के लिए
अनेक स्तरों पर प्रभावी कदम उठाए हैं। इस दिशा में बड़ी पहल तृतीय लिंग
समुदाय के लोगों की शासकीय सेवाओं में भर्ती कर की गई है। छत्तीसगढ़ देश का
पहला राज्य है, जिसने पुलिस और सुरक्षा दस्तों में तृतीय लिंग समुदाय के
लोगों की भर्ती करके उनमें आत्मविश्वास जगाने की दिशा में पहल की है।
छत्तीसगढ़ पुलिस बल में तृतीय लिंग समुदाय के 13 और नक्सल पीड़ित बस्तर जिले
में गठित विशेष-बल बस्तर फाइटर्स में 09 व्यक्तियों की भर्ती तो शुरूआत भर
है। छत्तीसगढ़ में मिल रहे प्रोत्साहन और सहयोग से आने वाले दिनों में इस
विशेष वर्ग का प्रतिशत शासकीय सेवा में बढ़ने लगेगा। इनका परीक्षाओं में चयन
हो सकें इसके लिए समाज कल्याण विभाग द्वारा निःशुल्क कोचिंग की व्यवस्था
भी की गई है, जिसका लाभ चयनितों को मिला। 



न्याय के चार साल 



न्याय के चार साल 



छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा तृतीय लिंग समुदाय को प्रोत्साहित कर उन्हें
मुख्यधारा से जोड़ने के लिए किए जा रहे प्रयासों का परिणाम है कि उनमें नया
आत्मविश्वास जागा है और तृतीय लिंग समुदाय की भागीदारी सभी क्षेत्रों में
बढ़ रही है। देश की पहली मिस ट्रांस क्वीन वीणा सेंद्रे छत्तीसगढ़ की हैं।
वहीं कुछ वर्ष पहले ट्रांसजेंडर मधु किन्नर ने रायगढ़ नगर निगम के महापौर
चुनाव में जीत हासिल कर सुर्खियां बटोरी थी। छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2021
में थर्ड जेंडर के पुनर्वास और कल्याण के लिए काम करने वाली विद्या राजपूत
को प्रतिष्ठित पंडित रवि शंकर शुक्ल राज्य अलंकरण पुरस्कार से सम्मानित
किया। वहीं सुदूर नक्सल प्रभावित बस्तर जिले के जगदलपुर में थर्ड जेंडर का
फैशन शो आयोजित कर उन्हें मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया गया। इससे न
सिर्फ तृतीय लिंग समुदाय को प्लेटफॉर्म मिला बल्कि वे सीधे आम लोगों से जुड़
सके। राज्य सरकार ने महिला स्वसहायता समूहों से इस समुदाय के लोगों को जोड़
कर आत्मनिर्भर बनाने की पहल भी की है। अब प्रदेश के कई स्थानों में थर्ड
जेंडर के लोग खुद का चाय-नाश्ता सेंटर चलाने लगे हैं।



न्याय के चार साल न्याय के चार साल 



तृतीय लिंग समुदाय के लोगों के लिए राज्य सरकार ने न केवल नीतियों का
निर्माण किया है, बल्कि उनके पुनर्वास के लिए भी कदम उठाए है। छत्तीसगढ़ में
वर्ष 2019 से उभयलिंगी व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम-2019 को
लागू किया गया है। इस वर्ग के हितों की रक्षा और उनके कल्याण के लिए
नीतियां बनाने तृतीय लिंग कल्याण बोर्ड का गठन किया गया है। जिला स्तर पर
कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति का भी गठन किया गया है। खास
बात ये है कि इन बोर्ड और समितियों में समुदाय के प्रतिनिधियों को भी शामिल
किया गया है। योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के उद्देश्य से टास्क फोर्स गठित
किया गया है। इस समुदाय के लोगों के आवास, शिक्षा, रोजगार, आय और
स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों की पूर्ति के लिए राज्य के बजट में अलग से
प्रावधान किया गया है। छत्तीसगढ़ में तृतीय लिंग समुदाय के सभी लोगों तक
योजनाओं का लाभ पहंुचे, इसके लिए उन्हें चिन्हिंत कर परिचय पत्र दिया जा
रहा है, साथ ही उनका डेटा बैंक भी तैयार किया जा रहा है। राज्य में कुल
3,060 तृतीय लिंग के व्यक्ति चिन्हांकित किए गए है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश
बघेल की पहल पर एक नवम्बर 2022 से उभयलिंगी समुदाय के व्यक्तियों की हर
प्रकार की समस्या के समाधान के लिए हेल्पलाईन नम्बर 155326 और टोल फ्री
नम्बर- 1800-233-8989 का संचालन भी शुरू किया गया है। 



न्याय के चार साल न्याय के चार साल 



तृतीय लिंग समुदाय के सर्वांगीण विकास के लिए राज्य की खेल नीति में भी
उन्हें सम्मिलित किया गया है। साथ ही कौशल विकास प्रशिक्षण देकर उन्हें
अलग-अलग विद्याओं में हुनरमंद बनाकर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा
रहा है। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इंस्टीट्यूट ऑफ
ड्राईविंग एंड ट्रैफिक रिसर्च (आईडीटीआर) में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए
प्रशिक्षण शुल्क में 50 फीसदी छूट दी है, जिससे ट्रांसजेंडर समुदाय अपने
कौशल विकास के लिए प्रेरित हों और उनके लिए रोजगार के नए अवसर बनें। उन्हें
आर्थिक रूप से समर्थ बनाने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा
संचालित महिला कोष के प्रावधानों में राज्य सरकार द्वारा संशोधन कर महिलाओं
के अतिरिक्त तृतीय लिंग व्यक्तियों को भी शामिल किया है। इससे उनके लिए
स्वरोजगार के लिए ऋण लेना आसान हुआ है, वहीं उनके कौशल विकास की व्यवस्था
भी हो सकी हैं। इसके अलावा तृतीयलिंगी व्यक्तियों के लिए आश्रय सह कौशल
विकास केन्द्र का निर्माण कर उनके लिए देश का अपनी तरह का अनूठा पुनर्वास
केंद्र शुरू किया गया है। नगरीय प्रशासन तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास
विभाग द्वारा उन्हें आवास भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। पीडब्ल्यूडी विभाग
द्वारा उभयलिंगी समुदाय के लिए पृथक सुगम्य शौचालय की व्यवस्था को सूची में
शामिल किया गया है।



न्याय के चार साल न्याय के चार साल 



थर्ड जेंडर समुदाय के लोगों के लिए उनकी व्यक्तिगत पहचान का निर्धारण
बहुत जरूरी है। इसे देखते हुए सामान्य प्रशासन विभाग ने दस्तावेजों में
महिला एवं पुरूष के साथ उभयलिंगी वर्ग का भी विकल्प रखने का प्रावधान किया
है। साथ ही राज्य सरकार द्वारा उन्हें राशन कार्ड, मतदाता कार्ड, श्रमिक
कार्ड और आधार कार्ड बनाकर दिए जा रहे हैं। समाज कल्याण विभाग के माध्यम से
विशिष्ट पहचान पत्र, मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना, व्यवसायिक परीक्षा
की तैयारी जैसे कई लाभ उन तक विशेष तौर पर पहुंचाये जा रहे हैं। 

राज्य सरकार द्वारा तृतीय लिंग के व्यक्तियों के इच्छानुसार लिंग परिवर्तन
हेतु स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से निःशुल्क शल्य चिकित्सा का प्रावधान किया
गया है। इसके लिए बजट बढ़ाते हुए निजी अस्पताल से ऑपरेशन कराने का विकल्प
भी समुदाय को दिया गया है। तृतीयलिंगी व्यक्तियों के स्वावलंबन के साथ उनके
प्रति समाज के नजरिये में बदलाव की भी महती आवश्यकता है। इसे ध्यान में
रखते हुए राज्य सरकार लगातार कार्यशाला और जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन
कर समाज में सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने का प्रयास कर रही है। स्कूलों
में संचालित पाठ्यक्रम में भी तृतीय लिंग वर्ग की जानकारी को शामिल किया
गया है। इस प्रकार छत्तीसगढ़ में बने समावेशी विकास के वातावरण से तृतीय
लिंग समुदाय के लिए विकास के नए रास्ते तैयार हुए हैं, जिससे उनमें एक नया
आत्म-विश्वास जागा है।




न्याय के चार साल न्याय के चार साल 



भारतीय संविधान धर्म, जाति और लिंग के भेदभाव के बिना सभी के लिए
सम्मानपूर्वक जीवन निर्वाह करने का अधिकार सुनिश्चित करता है, लेकिन आजादी
के 75 वर्षों बाद भी समाज बहुत सी रूढ़ियों और पूर्वाग्रहों से मुक्त नहीं
हो पाया है। यही वजह है कि समाज के कुछ वर्गों तक उनके संवैधानिक अधिकार
नहीं पहुंच पाए हैं। इसे ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने लिंग आधारित
भेदभाव को खत्म करने के लिए तृतीय लिंग समुदाय के सामाजिक उत्थान के लिए
अनेक स्तरों पर प्रभावी कदम उठाए हैं। इस दिशा में बड़ी पहल तृतीय लिंग
समुदाय के लोगों की शासकीय सेवाओं में भर्ती कर की गई है। छत्तीसगढ़ देश का
पहला राज्य है, जिसने पुलिस और सुरक्षा दस्तों में तृतीय लिंग समुदाय के
लोगों की भर्ती करके उनमें आत्मविश्वास जगाने की दिशा में पहल की है।
छत्तीसगढ़ पुलिस बल में तृतीय लिंग समुदाय के 13 और नक्सल पीड़ित बस्तर जिले
में गठित विशेष-बल बस्तर फाइटर्स में 09 व्यक्तियों की भर्ती तो शुरूआत भर
है। छत्तीसगढ़ में मिल रहे प्रोत्साहन और सहयोग से आने वाले दिनों में इस
विशेष वर्ग का प्रतिशत शासकीय सेवा में बढ़ने लगेगा। इनका परीक्षाओं में चयन
हो सकें इसके लिए समाज कल्याण विभाग द्वारा निःशुल्क कोचिंग की व्यवस्था
भी की गई है, जिसका लाभ चयनितों को मिला। 



न्याय के चार साल 



न्याय के चार साल 



छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा तृतीय लिंग समुदाय को प्रोत्साहित कर उन्हें
मुख्यधारा से जोड़ने के लिए किए जा रहे प्रयासों का परिणाम है कि उनमें नया
आत्मविश्वास जागा है और तृतीय लिंग समुदाय की भागीदारी सभी क्षेत्रों में
बढ़ रही है। देश की पहली मिस ट्रांस क्वीन वीणा सेंद्रे छत्तीसगढ़ की हैं।
वहीं कुछ वर्ष पहले ट्रांसजेंडर मधु किन्नर ने रायगढ़ नगर निगम के महापौर
चुनाव में जीत हासिल कर सुर्खियां बटोरी थी। छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2021
में थर्ड जेंडर के पुनर्वास और कल्याण के लिए काम करने वाली विद्या राजपूत
को प्रतिष्ठित पंडित रवि शंकर शुक्ल राज्य अलंकरण पुरस्कार से सम्मानित
किया। वहीं सुदूर नक्सल प्रभावित बस्तर जिले के जगदलपुर में थर्ड जेंडर का
फैशन शो आयोजित कर उन्हें मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया गया। इससे न
सिर्फ तृतीय लिंग समुदाय को प्लेटफॉर्म मिला बल्कि वे सीधे आम लोगों से जुड़
सके। राज्य सरकार ने महिला स्वसहायता समूहों से इस समुदाय के लोगों को जोड़
कर आत्मनिर्भर बनाने की पहल भी की है। अब प्रदेश के कई स्थानों में थर्ड
जेंडर के लोग खुद का चाय-नाश्ता सेंटर चलाने लगे हैं।



न्याय के चार साल न्याय के चार साल 



तृतीय लिंग समुदाय के लोगों के लिए राज्य सरकार ने न केवल नीतियों का
निर्माण किया है, बल्कि उनके पुनर्वास के लिए भी कदम उठाए है। छत्तीसगढ़ में
वर्ष 2019 से उभयलिंगी व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम-2019 को
लागू किया गया है। इस वर्ग के हितों की रक्षा और उनके कल्याण के लिए
नीतियां बनाने तृतीय लिंग कल्याण बोर्ड का गठन किया गया है। जिला स्तर पर
कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति का भी गठन किया गया है। खास
बात ये है कि इन बोर्ड और समितियों में समुदाय के प्रतिनिधियों को भी शामिल
किया गया है। योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के उद्देश्य से टास्क फोर्स गठित
किया गया है। इस समुदाय के लोगों के आवास, शिक्षा, रोजगार, आय और
स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों की पूर्ति के लिए राज्य के बजट में अलग से
प्रावधान किया गया है। छत्तीसगढ़ में तृतीय लिंग समुदाय के सभी लोगों तक
योजनाओं का लाभ पहंुचे, इसके लिए उन्हें चिन्हिंत कर परिचय पत्र दिया जा
रहा है, साथ ही उनका डेटा बैंक भी तैयार किया जा रहा है। राज्य में कुल
3,060 तृतीय लिंग के व्यक्ति चिन्हांकित किए गए है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश
बघेल की पहल पर एक नवम्बर 2022 से उभयलिंगी समुदाय के व्यक्तियों की हर
प्रकार की समस्या के समाधान के लिए हेल्पलाईन नम्बर 155326 और टोल फ्री
नम्बर- 1800-233-8989 का संचालन भी शुरू किया गया है। 



न्याय के चार साल न्याय के चार साल 



तृतीय लिंग समुदाय के सर्वांगीण विकास के लिए राज्य की खेल नीति में भी
उन्हें सम्मिलित किया गया है। साथ ही कौशल विकास प्रशिक्षण देकर उन्हें
अलग-अलग विद्याओं में हुनरमंद बनाकर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा
रहा है। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इंस्टीट्यूट ऑफ
ड्राईविंग एंड ट्रैफिक रिसर्च (आईडीटीआर) में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए
प्रशिक्षण शुल्क में 50 फीसदी छूट दी है, जिससे ट्रांसजेंडर समुदाय अपने
कौशल विकास के लिए प्रेरित हों और उनके लिए रोजगार के नए अवसर बनें। उन्हें
आर्थिक रूप से समर्थ बनाने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा
संचालित महिला कोष के प्रावधानों में राज्य सरकार द्वारा संशोधन कर महिलाओं
के अतिरिक्त तृतीय लिंग व्यक्तियों को भी शामिल किया है। इससे उनके लिए
स्वरोजगार के लिए ऋण लेना आसान हुआ है, वहीं उनके कौशल विकास की व्यवस्था
भी हो सकी हैं। इसके अलावा तृतीयलिंगी व्यक्तियों के लिए आश्रय सह कौशल
विकास केन्द्र का निर्माण कर उनके लिए देश का अपनी तरह का अनूठा पुनर्वास
केंद्र शुरू किया गया है। नगरीय प्रशासन तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास
विभाग द्वारा उन्हें आवास भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। पीडब्ल्यूडी विभाग
द्वारा उभयलिंगी समुदाय के लिए पृथक सुगम्य शौचालय की व्यवस्था को सूची में
शामिल किया गया है।



न्याय के चार साल न्याय के चार साल 



थर्ड जेंडर समुदाय के लोगों के लिए उनकी व्यक्तिगत पहचान का निर्धारण
बहुत जरूरी है। इसे देखते हुए सामान्य प्रशासन विभाग ने दस्तावेजों में
महिला एवं पुरूष के साथ उभयलिंगी वर्ग का भी विकल्प रखने का प्रावधान किया
है। साथ ही राज्य सरकार द्वारा उन्हें राशन कार्ड, मतदाता कार्ड, श्रमिक
कार्ड और आधार कार्ड बनाकर दिए जा रहे हैं। समाज कल्याण विभाग के माध्यम से
विशिष्ट पहचान पत्र, मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना, व्यवसायिक परीक्षा
की तैयारी जैसे कई लाभ उन तक विशेष तौर पर पहुंचाये जा रहे हैं। 

राज्य सरकार द्वारा तृतीय लिंग के व्यक्तियों के इच्छानुसार लिंग परिवर्तन
हेतु स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से निःशुल्क शल्य चिकित्सा का प्रावधान किया
गया है। इसके लिए बजट बढ़ाते हुए निजी अस्पताल से ऑपरेशन कराने का विकल्प
भी समुदाय को दिया गया है। तृतीयलिंगी व्यक्तियों के स्वावलंबन के साथ उनके
प्रति समाज के नजरिये में बदलाव की भी महती आवश्यकता है। इसे ध्यान में
रखते हुए राज्य सरकार लगातार कार्यशाला और जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन
कर समाज में सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने का प्रयास कर रही है। स्कूलों
में संचालित पाठ्यक्रम में भी तृतीय लिंग वर्ग की जानकारी को शामिल किया
गया है। इस प्रकार छत्तीसगढ़ में बने समावेशी विकास के वातावरण से तृतीय
लिंग समुदाय के लिए विकास के नए रास्ते तैयार हुए हैं, जिससे उनमें एक नया
आत्म-विश्वास जागा है।


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