राष्ट्रीय कृषि विकास योजना: रबी सीजन में पानी की कमी से प्रेमलाल को मिला छुटकारा:

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बेमेतरा. कृषि संबंधित क्षेत्रों में विकास एवं कृषि फसल में सुधार लाने के
उद्देश्य से सरकार द्वारा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना चलाई जा रही है। इस
योजना के तहत किसानो को अपने कृषि व्यवसाय को बढ़ाने का मौका मिल रहा है।
जिससे उनके आर्थिक स्थिति में सुधार हो रही है। सरकार द्वारा किसानों के
कृषि संबंधी समस्याओं को देखते हुए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना चलाया जा
रहा है। इस योजना के माध्यम से किसानों को आर्थिक सहायता भी प्रदान किया जा
रहा है। इसी क्रम में हम बात कर रहे हैं बेमेतरा जिले के विकासखण्ड साजा
अन्तर्गत ग्राम मासुलगोंदी के कृषक श्री प्रेमलाल की, उन्होने बताया कि
उसका कृषि भूमि नाला के किनारे होने के कारण केवल वर्षा ऋतु (खरीफ सीजन)
में फसल उत्पादन हो पा रहा था। रबी सीजन में पानी की कमी होने के कारण फसल
उत्पादन ठीक नहीं हो पा रहा था। प्रेमलाल ने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना
अंतर्गत अपने निजी जमीन 0.45 हेक्टेयर रकबा में शैलो ट्यूबवेल खनन करवाया।
शैलो ट्यूबवेल खनन कार्य होने के बाद उनके रबी फसलों को पर्याप्त पानी मिल
पा रहा है। उन्होने बताया कि अभी वर्तमान में 0.45 हे. में धान की खेती कर
रहे हैं, जिससे 20 से 25 क्वि. उत्पादन होने की संभावना है।


बेमेतरा. कृषि संबंधित क्षेत्रों में विकास एवं कृषि फसल में सुधार लाने के
उद्देश्य से सरकार द्वारा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना चलाई जा रही है। इस
योजना के तहत किसानो को अपने कृषि व्यवसाय को बढ़ाने का मौका मिल रहा है।
जिससे उनके आर्थिक स्थिति में सुधार हो रही है। सरकार द्वारा किसानों के
कृषि संबंधी समस्याओं को देखते हुए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना चलाया जा
रहा है। इस योजना के माध्यम से किसानों को आर्थिक सहायता भी प्रदान किया जा
रहा है। इसी क्रम में हम बात कर रहे हैं बेमेतरा जिले के विकासखण्ड साजा
अन्तर्गत ग्राम मासुलगोंदी के कृषक श्री प्रेमलाल की, उन्होने बताया कि
उसका कृषि भूमि नाला के किनारे होने के कारण केवल वर्षा ऋतु (खरीफ सीजन)
में फसल उत्पादन हो पा रहा था। रबी सीजन में पानी की कमी होने के कारण फसल
उत्पादन ठीक नहीं हो पा रहा था। प्रेमलाल ने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना
अंतर्गत अपने निजी जमीन 0.45 हेक्टेयर रकबा में शैलो ट्यूबवेल खनन करवाया।
शैलो ट्यूबवेल खनन कार्य होने के बाद उनके रबी फसलों को पर्याप्त पानी मिल
पा रहा है। उन्होने बताया कि अभी वर्तमान में 0.45 हे. में धान की खेती कर
रहे हैं, जिससे 20 से 25 क्वि. उत्पादन होने की संभावना है।


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