नई दिल्ली. ज्ञान,
विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती का अवतरण दिवस बसंत पंचमी इस
बार जनवरी में ही मनाई जाएगी। जबकि शिवरात्री फरवरी में पड़ रही है। उदियता
तिथि के अनुसार 26 जनवरी को बसंत पंचमी व 18 फरवरी को शिवरात्री मनाई
जाएगी। तीन साल पहले 2020 में ऐसा हुआ था कि 30 जनवरी को बसंत पंचमी मनाई
गई थी। ज्योतिष अशोक वार्ष्णेय के अनुसार विक्रम संवत में तीन साल में
अधिकमास आता है। इन तीन सालों में तिथियों की घटत-बढ़त होती रहती हैं।
ज्योतिषों के मुताबिक हिंदू नवसंवत्सर को मानें तो आने वाला नया विक्रम
सवंत 2080 अधिकमास का होगा।
अधिकमास की वजह से आने वाले सभी तीज-त्योहार व मांगलिक कार्य
जुलाई के बाद पिछले साल की तुलना में 12-19 दिन देरी से आएंगे। ज्योतिष ने
बताया कि अधिकमास हर तीन साल बाद आता है। जो कि पीछे की ओर चलता है। 2018
में अधिकमास भाद्रपद में था, वर्ष 2020 में अश्विन में और इस बार सावन में
होगा। इस अंतर को पाटने के लिए नवसंवत्सर में पुरुषोत्तम मास की व्यवस्था
की गई है
नई दिल्ली. ज्ञान,
विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती का अवतरण दिवस बसंत पंचमी इस
बार जनवरी में ही मनाई जाएगी। जबकि शिवरात्री फरवरी में पड़ रही है। उदियता
तिथि के अनुसार 26 जनवरी को बसंत पंचमी व 18 फरवरी को शिवरात्री मनाई
जाएगी। तीन साल पहले 2020 में ऐसा हुआ था कि 30 जनवरी को बसंत पंचमी मनाई
गई थी। ज्योतिष अशोक वार्ष्णेय के अनुसार विक्रम संवत में तीन साल में
अधिकमास आता है। इन तीन सालों में तिथियों की घटत-बढ़त होती रहती हैं।
ज्योतिषों के मुताबिक हिंदू नवसंवत्सर को मानें तो आने वाला नया विक्रम
सवंत 2080 अधिकमास का होगा।
अधिकमास की वजह से आने वाले सभी तीज-त्योहार व मांगलिक कार्य
जुलाई के बाद पिछले साल की तुलना में 12-19 दिन देरी से आएंगे। ज्योतिष ने
बताया कि अधिकमास हर तीन साल बाद आता है। जो कि पीछे की ओर चलता है। 2018
में अधिकमास भाद्रपद में था, वर्ष 2020 में अश्विन में और इस बार सावन में
होगा। इस अंतर को पाटने के लिए नवसंवत्सर में पुरुषोत्तम मास की व्यवस्था
की गई है