रायपुर. उद्यानिकी के क्षेत्र में शासकीय योजनाओं और नवीन तकनीक के संगम से सब्जी उत्पादकों व किसानों को बड़ा लाभ मिल रहा है। कृषि उपकरणों हेतु आसान मदद और नवीन तकनीकों के लिए शासकीय विभागों से मिल रहे मार्गदर्शन से किसान बेहतर सब्जी उत्पादन में हाथ आजमा रहे हैं।
ऐसे ही सब्जी उत्पादक श्री कृष्ण दत्त बताते हैं कि वे पहले 5 एकड़ सिंचित रकबे में धान तथा मक्के की खेती करते थे। पुरानी तकनीकी के उपयोग से कृषि में थोड़ी-बहुत ही आमदनी हो पाती थी। वे आगे बताते हैं कि जैसे ही उद्यानिकी विभाग द्वारा राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के बारे में जानकारी मिली तो तुरंत विभाग से सम्पर्क किया।
कोरिया जिले के विकासखण्ड बैकुण्ठपुर के महोरा ग्राम के कृष्णदत्त को विभाग की ओर से टपक सिंचाई योजना का लाभ वर्ष 2019-20 में मिला। लगभग 1.29 लाख की लागत से 2.5 एकड़ से शुरुआत की। इस भूमि में ड्रीप लगाया गया है जिसमे 70 प्रतिशत विभागीय अनुदान तथा 30 प्रतिशत कृषक शेयर दिया गया है।
कृष्ण दत्त बताते हैं कि इस नवीन तकनीक का उपयोग कर खेतों में मैंने उद्यानिकी फसल जैसे गोभी, मिर्च, बैंगन, टमाटर, कददू, पपीता लगाए हैं। जिससे 1 वर्ष में मुझे 8 से 10 लाख रुपए का लाभ हो रहा है। इसके साथ ही उन्हें विभाग की ओर से पैक हाउस योजना, शेड नेट योजना, पावर वीडर योजना और डीबीटी योजना का भी लाभ मिला है।
ड्रिप सिंचाई प्रणाली से सिंचाई से प्राप्त लाभ से कृष्णदत्त बहुत खुश हैं। ड्रिप सिंचाई प्रणाली से पौधों की सिंचाई होने पर पौधों को संतुलित मात्रा में पानी मिल रहा है। टपक (ड्रिप) सिंचाई प्रणाली ऐसी पद्धति है जिसके द्वारा कृषक अपने खेतों, बागों की बड़ी आसानी से सिंचाई कर सकते हैं। इस पद्धति द्वारा पौधों को उनकी आवश्यकतानुसार पानी को बूंद-बूंद के रूप में पौधों के जड़ क्षेत्र में उपलब्ध कराया जाता है।
रायपुर. उद्यानिकी के क्षेत्र में शासकीय योजनाओं और नवीन तकनीक के संगम से सब्जी उत्पादकों व किसानों को बड़ा लाभ मिल रहा है। कृषि उपकरणों हेतु आसान मदद और नवीन तकनीकों के लिए शासकीय विभागों से मिल रहे मार्गदर्शन से किसान बेहतर सब्जी उत्पादन में हाथ आजमा रहे हैं।
ऐसे ही सब्जी उत्पादक श्री कृष्ण दत्त बताते हैं कि वे पहले 5 एकड़ सिंचित रकबे में धान तथा मक्के की खेती करते थे। पुरानी तकनीकी के उपयोग से कृषि में थोड़ी-बहुत ही आमदनी हो पाती थी। वे आगे बताते हैं कि जैसे ही उद्यानिकी विभाग द्वारा राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के बारे में जानकारी मिली तो तुरंत विभाग से सम्पर्क किया।
कोरिया जिले के विकासखण्ड बैकुण्ठपुर के महोरा ग्राम के कृष्णदत्त को विभाग की ओर से टपक सिंचाई योजना का लाभ वर्ष 2019-20 में मिला। लगभग 1.29 लाख की लागत से 2.5 एकड़ से शुरुआत की। इस भूमि में ड्रीप लगाया गया है जिसमे 70 प्रतिशत विभागीय अनुदान तथा 30 प्रतिशत कृषक शेयर दिया गया है।
कृष्ण दत्त बताते हैं कि इस नवीन तकनीक का उपयोग कर खेतों में मैंने उद्यानिकी फसल जैसे गोभी, मिर्च, बैंगन, टमाटर, कददू, पपीता लगाए हैं। जिससे 1 वर्ष में मुझे 8 से 10 लाख रुपए का लाभ हो रहा है। इसके साथ ही उन्हें विभाग की ओर से पैक हाउस योजना, शेड नेट योजना, पावर वीडर योजना और डीबीटी योजना का भी लाभ मिला है।
ड्रिप सिंचाई प्रणाली से सिंचाई से प्राप्त लाभ से कृष्णदत्त बहुत खुश हैं। ड्रिप सिंचाई प्रणाली से पौधों की सिंचाई होने पर पौधों को संतुलित मात्रा में पानी मिल रहा है। टपक (ड्रिप) सिंचाई प्रणाली ऐसी पद्धति है जिसके द्वारा कृषक अपने खेतों, बागों की बड़ी आसानी से सिंचाई कर सकते हैं। इस पद्धति द्वारा पौधों को उनकी आवश्यकतानुसार पानी को बूंद-बूंद के रूप में पौधों के जड़ क्षेत्र में उपलब्ध कराया जाता है।