मुम्बई /17-2-2023/ :: महाराष्ट्र की सियासत में लंबे समय से चल रही खींचतान आज चुनाव आयोग के फैसले के बाद एक झटके में थम गई। दरअसल, चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला लेते हुए एकनाथ शिंदे गुट के पक्ष में फैसला सुना दिया। चुनाव आयोग के फैसले के बाद शिवसेना का नाम और पार्टी का निशान उद्धव ठाकरे से छिन गया है। चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को पार्टी का नाम और शिवसेना का प्रतीक तीर कमान सौंप दिया है। यानी कहा जाए तो केवल आठ महीने के भीतर उद्धव ठाकरे से उनके पिता की विरासत छिन गई।
2022 का महाराष्ट्र राजनीतिक संकट
पिछले साल जून में शिवसेना नेता शिंदे ने महाविकास अघाड़ी सरकार में रहते हुए बगावत कर दी थी। शिंदे शिवसेना के 35 से अधिक विधायकों को लेकर अपना अलग गुट बना लिया था जिसके बाद महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल आ गया था। शिंदे महाविकास अघाड़ी को तोड़ने और भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन को फिर से स्थापित करने के पक्ष में थे उन्होंने वैचारिक मतभेदों और कांग्रेस पार्टी और भारतीय राष्ट्रवादी कांग्रेस द्वारा अनुचित व्यवहार के कारण उद्धव ठाकरे से महा विकास अघाड़ी गठबंधन को तोड़ने का अनुरोध किया।
उन्होंने अपने अनुरोध के समर्थन को और बल देने के लिए अपनी पार्टी से 2/3 सदस्यों को इकट्ठा किया। यह संकट 21 जून 2022 को शुरू हुआ जब शिंदे और कई अन्य विधायक भाजपा शासित गुजरात में सूरत में जाकर किसी होटल में छिप गए। शिंदे के विद्रोह के परिणामस्वरूप, उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और उन्होंने महाराष्ट्र विधान परिषद से भी इस्तीफा दे दिया। शिंदे ने सफलतापूर्वक भाजपा-शिवसेना गठबंधन को फिर से स्थापित किया और 20वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, जिसमें भारतीय जनता पार्टी के देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने।
चुनाव चिह्न और असली शिवसेना को लेकर जारी था संग्राम
पिछले साल चुनाव आयोग ने शिवसेना के चुनाव चिह्न धनुष-बाण को फ्रीज कर दिया था और अंधेरी ईस्ट विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव के लिए चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे के गुट को दो तलवार और ढाल का निशान और उद्धव ठाकरे गुट को जलती हुई मशाल का चिह्न दिया था। दोनों गुट को पार्टी का भी नाम मिला था। शिंदे गुट को पार्टी के नाम के रूप में ‘बालासाहेबंची शिवसेना’ नाम आवंटित किया गया था वहीं ठाकरे गुट को ‘उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ नाम आवंटित किया गया था।
वहीं पिछले साल नवंबर में उद्धव ठाकरे ने दिल्ली हाई कोर्ट में (Maharashtra) चुनाव आयोग द्वारा धनुष-बाण का निशान फ्रीज करने को लेकर याचिका दायर की थी। लेकिन कोर्ट ने इसको ठुकरा दिया था। अंधेरी ईस्ट उपचुनाव के दौरान चुनाव आयोग ने एक अंतरिम आदेश पास करते हुए कहा था कि दोनों गुटों में से किसी को भी धनुष-बाण का निशान इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं है।
मुम्बई /17-2-2023/ :: महाराष्ट्र की सियासत में लंबे समय से चल रही खींचतान आज चुनाव आयोग के फैसले के बाद एक झटके में थम गई। दरअसल, चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला लेते हुए एकनाथ शिंदे गुट के पक्ष में फैसला सुना दिया। चुनाव आयोग के फैसले के बाद शिवसेना का नाम और पार्टी का निशान उद्धव ठाकरे से छिन गया है। चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को पार्टी का नाम और शिवसेना का प्रतीक तीर कमान सौंप दिया है। यानी कहा जाए तो केवल आठ महीने के भीतर उद्धव ठाकरे से उनके पिता की विरासत छिन गई।
2022 का महाराष्ट्र राजनीतिक संकट
पिछले साल जून में शिवसेना नेता शिंदे ने महाविकास अघाड़ी सरकार में रहते हुए बगावत कर दी थी। शिंदे शिवसेना के 35 से अधिक विधायकों को लेकर अपना अलग गुट बना लिया था जिसके बाद महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल आ गया था। शिंदे महाविकास अघाड़ी को तोड़ने और भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन को फिर से स्थापित करने के पक्ष में थे उन्होंने वैचारिक मतभेदों और कांग्रेस पार्टी और भारतीय राष्ट्रवादी कांग्रेस द्वारा अनुचित व्यवहार के कारण उद्धव ठाकरे से महा विकास अघाड़ी गठबंधन को तोड़ने का अनुरोध किया।
उन्होंने अपने अनुरोध के समर्थन को और बल देने के लिए अपनी पार्टी से 2/3 सदस्यों को इकट्ठा किया। यह संकट 21 जून 2022 को शुरू हुआ जब शिंदे और कई अन्य विधायक भाजपा शासित गुजरात में सूरत में जाकर किसी होटल में छिप गए। शिंदे के विद्रोह के परिणामस्वरूप, उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और उन्होंने महाराष्ट्र विधान परिषद से भी इस्तीफा दे दिया। शिंदे ने सफलतापूर्वक भाजपा-शिवसेना गठबंधन को फिर से स्थापित किया और 20वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, जिसमें भारतीय जनता पार्टी के देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने।
चुनाव चिह्न और असली शिवसेना को लेकर जारी था संग्राम
पिछले साल चुनाव आयोग ने शिवसेना के चुनाव चिह्न धनुष-बाण को फ्रीज कर दिया था और अंधेरी ईस्ट विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव के लिए चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे के गुट को दो तलवार और ढाल का निशान और उद्धव ठाकरे गुट को जलती हुई मशाल का चिह्न दिया था। दोनों गुट को पार्टी का भी नाम मिला था। शिंदे गुट को पार्टी के नाम के रूप में ‘बालासाहेबंची शिवसेना’ नाम आवंटित किया गया था वहीं ठाकरे गुट को ‘उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ नाम आवंटित किया गया था।
वहीं पिछले साल नवंबर में उद्धव ठाकरे ने दिल्ली हाई कोर्ट में (Maharashtra) चुनाव आयोग द्वारा धनुष-बाण का निशान फ्रीज करने को लेकर याचिका दायर की थी। लेकिन कोर्ट ने इसको ठुकरा दिया था। अंधेरी ईस्ट उपचुनाव के दौरान चुनाव आयोग ने एक अंतरिम आदेश पास करते हुए कहा था कि दोनों गुटों में से किसी को भी धनुष-बाण का निशान इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं है।