रायपुर में ट्रैफिक सिस्टम सुधरने का नाम ही नहीं ले रहा है और न लोग ही ट्रैफिक नियमों का पालन करते हुए दिखाई देते हैं। अमूमन यह स्थिति रायपुर के करीब प्रत्येक रास्तों के है। यदा कदा ट्रैफिक पुलिस की गाड़ी माइक में बोलते हुए दिख जाते हैं कि - गाड़ियों को हटाएं, जाम न करें व इत्यादि। कभी उन्हें ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करने पर फाइन लगाते हुए नहीं दिखते, न ही चार पहियों में लॉक लगते हैं और न ही सीज कर ले जाते हुए दिखे। प्रतीत होता है कि केवल खाना पूर्ति हो रहा है।
पंडरी बस स्टैंड से लेकर विधानसभा रोड के पास स्थित शेफ किचन तक गाड़ियां (विशेष कर चारपहिया वाहन) आड़ा तिरछा, आधे रास्ते को कवर करते हुए खड़े कर देते हैं और ये भी नहीं सोचते कि ट्रैफिक नियमों का क्या होगा।
ट्रैफिक पुलिस को कड़ा रुख अख्तियार करते हुए ऐसे गाड़ियों पर कार्यवाही कर उन गाड़ियों को जप्त करना चाहिए जिससे गाड़ी वालों को उचित शिक्षा मिले। जब तक ऐसा नहीं होगा तब तक यूँही ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ती रहेगी।
अब देखना है कि ट्रैफिक पुलिस प्रशासन की नींद कब खुलती है ?
रायपुर में ट्रैफिक सिस्टम सुधरने का नाम ही नहीं ले रहा है और न लोग ही ट्रैफिक नियमों का पालन करते हुए दिखाई देते हैं। अमूमन यह स्थिति रायपुर के करीब प्रत्येक रास्तों के है। यदा कदा ट्रैफिक पुलिस की गाड़ी माइक में बोलते हुए दिख जाते हैं कि - गाड़ियों को हटाएं, जाम न करें व इत्यादि। कभी उन्हें ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करने पर फाइन लगाते हुए नहीं दिखते, न ही चार पहियों में लॉक लगते हैं और न ही सीज कर ले जाते हुए दिखे। प्रतीत होता है कि केवल खाना पूर्ति हो रहा है।
पंडरी बस स्टैंड से लेकर विधानसभा रोड के पास स्थित शेफ किचन तक गाड़ियां (विशेष कर चारपहिया वाहन) आड़ा तिरछा, आधे रास्ते को कवर करते हुए खड़े कर देते हैं और ये भी नहीं सोचते कि ट्रैफिक नियमों का क्या होगा।
ट्रैफिक पुलिस को कड़ा रुख अख्तियार करते हुए ऐसे गाड़ियों पर कार्यवाही कर उन गाड़ियों को जप्त करना चाहिए जिससे गाड़ी वालों को उचित शिक्षा मिले। जब तक ऐसा नहीं होगा तब तक यूँही ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ती रहेगी।
अब देखना है कि ट्रैफिक पुलिस प्रशासन की नींद कब खुलती है ?