News Balod :: बालोद में स्थित तांदुला जलाशय को इको पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है:

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इको पार्क में गोवा की तर्ज पर छत्तीसगढ़ की सुरम्य वादियों में बसे बालोद में स्थित तांदुला जलाशय को विकसित किया जा रहा है । इस शहर को पूरा छत्तीसगढ़ और पूरा देश तांदुला जलाशय के तट पर होने की वजह से भी जानता है। इस जलाशय का इतिहास 100 साल पुराना है, जिसका निर्माण अंग्रेजी शासनकाल में वर्ष 1912 में अंग्रेज अभियंता एडम स्मिथ ने कराया था। जलाशय ने अपने निर्माण के बाद शासन-प्रशासन को काफी कुछ दिया। इसे जीवनदायिनी के नाम से जाना जाता है। बालोद के अलावा दुर्ग, बेमेतरा और भिलाई जैसी जगहों को पेयजल एवं भिलाई इस्पात संयंत्र को जल सप्लाई करता है। सिंचाई का जिम्मा भी इस जलाशय के ऊपर रहता है। आज से 10 वर्ष पहले इसका शताब्दी समारोह मनाया गया था।

मिलेंगी ये सुविधाएं - निर्माण के बाद सुरक्षा संरक्षण एवं खूबसूरती को लेकर यह जलाशय उपेक्षित था। अब बालोद जिला प्रशासन ने इसे संवारने का बीड़ा उठाया है। तांदुला के एक तट को बेहतरीन रिसोर्ट के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां पर कई सारी आधुनिक झोपड़ियां बनाई गई हैं, जो कि वातानुकूलित भी हैं और प्राकृतिक रूप से तंबूनुमा भी बनाया जा रहा है। वहीं, इनडोर-आउटडोर रेस्टोरेंट की स्थापना की जा रही है और दूरस्थ महानगरों से मोटर बोर्ड एवं क्रूस भी मंगाया जा रहे हैं।

निर्माण कार्य का काम लगभग 80 से 90% पूर्व हो चुका है और आगामी सितंबर माह में प्रदेश के मुखिया इसका उद्घाटन भी कर सकते हैं। कलेक्टर ने बताया कि इस इको फ्रेंडली पार्क में फूड गार्डन, प्लेग्राउंड, रेस्टोरेंट, बोटिंग की सुविधा, पाथवे निर्माण, वाच टावर, हाईमास्ट एवं सोलर लाइट लगाने के कार्य, कॉटेज का निर्माण कर यहां आने वाले सैलानियों को बेहतर से बेहतर सुविधा एवं परिवेश देने की कोशिश की जाएगी।


इको पार्क में गोवा की तर्ज पर छत्तीसगढ़ की सुरम्य वादियों में बसे बालोद में स्थित तांदुला जलाशय को विकसित किया जा रहा है । इस शहर को पूरा छत्तीसगढ़ और पूरा देश तांदुला जलाशय के तट पर होने की वजह से भी जानता है। इस जलाशय का इतिहास 100 साल पुराना है, जिसका निर्माण अंग्रेजी शासनकाल में वर्ष 1912 में अंग्रेज अभियंता एडम स्मिथ ने कराया था। जलाशय ने अपने निर्माण के बाद शासन-प्रशासन को काफी कुछ दिया। इसे जीवनदायिनी के नाम से जाना जाता है। बालोद के अलावा दुर्ग, बेमेतरा और भिलाई जैसी जगहों को पेयजल एवं भिलाई इस्पात संयंत्र को जल सप्लाई करता है। सिंचाई का जिम्मा भी इस जलाशय के ऊपर रहता है। आज से 10 वर्ष पहले इसका शताब्दी समारोह मनाया गया था।

मिलेंगी ये सुविधाएं - निर्माण के बाद सुरक्षा संरक्षण एवं खूबसूरती को लेकर यह जलाशय उपेक्षित था। अब बालोद जिला प्रशासन ने इसे संवारने का बीड़ा उठाया है। तांदुला के एक तट को बेहतरीन रिसोर्ट के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां पर कई सारी आधुनिक झोपड़ियां बनाई गई हैं, जो कि वातानुकूलित भी हैं और प्राकृतिक रूप से तंबूनुमा भी बनाया जा रहा है। वहीं, इनडोर-आउटडोर रेस्टोरेंट की स्थापना की जा रही है और दूरस्थ महानगरों से मोटर बोर्ड एवं क्रूस भी मंगाया जा रहे हैं।

निर्माण कार्य का काम लगभग 80 से 90% पूर्व हो चुका है और आगामी सितंबर माह में प्रदेश के मुखिया इसका उद्घाटन भी कर सकते हैं। कलेक्टर ने बताया कि इस इको फ्रेंडली पार्क में फूड गार्डन, प्लेग्राउंड, रेस्टोरेंट, बोटिंग की सुविधा, पाथवे निर्माण, वाच टावर, हाईमास्ट एवं सोलर लाइट लगाने के कार्य, कॉटेज का निर्माण कर यहां आने वाले सैलानियों को बेहतर से बेहतर सुविधा एवं परिवेश देने की कोशिश की जाएगी।


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