आज
ज्यादातर परेंट्स की यही शिकायत रहती है कि उनके बच्चे घंटों मोबाइल या
टीवी के आगे बैठे रहते हैं। जिसकी वजह से ना सिर्फ उनका दोस्तों के साथ
बाहर खेलना बंद हो गया है बल्कि वो कई तरह की शारीरिक समस्याओं का भी सामना
करने लगे हैं। बच्चों को लेकर पेरेंट्स की इस चिंता को देखते हुए आइए सबसे
पहले इस सवाल का जवाब जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर ये स्क्रीन टाइम
होता क्या है और उम्र के अनुसार किस बच्चे का कितना स्क्रीन टाइम होना
चाहिए। साथ ही यह भी जानेंगे कि स्क्रीन टाइम बढ़ने से बच्चों को क्या-क्या
नुकसान हो सकते हैं।
क्या होता है स्क्रीन टाइम?
स्क्रीन टाइम का मतलब होता है कि आपका बच्चा 24 घंटे में कितनी देर तक
मोबाइल, टीवी, लैपटॉप और टैबलेट जैसे गैजेट का इस्तेमाल करता है। जिस तरह
व्यक्ति को सेहतमंद बने रहने के लिए संतुलित भोजन का सेवन करना चाहिए। उसी
तरह उम्र के अनुसार स्क्रीन टाइम यूज करने के लिए उम्र के अनुसार एक
निश्चित समय सीमा होती है। जिसका सही मात्रा में और सही समय पर इस्तेमाल
किया जाना चाहिए।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार 2 साल से छोटे बच्चों
को स्क्रीन टाइम से दूर रखें। ऐसा ना करने पर बच्चे की भाषा, ज्ञान और
सोशल स्किल्स पर बुरा असर पड़ सकता है। एक्सपर्ट कहते हैं कि इस उम्र के
बच्चों को वीडियो कॉल का एक्सपोजर भी सीमित मात्रा में दिया जाना चाहिए।
बात अगर करें 2-5 साल तक के बच्चे की तो उन्हें एक घंटे से ज्यादा स्क्रीन न
देखने दें। हालांकि बच्चों को दिया जाने वाला ये स्किन टाइम भी घर के किसी
बड़े की देखरेख में दिया जाना चाहिए। जो उसे यह समझा सके कि स्क्रीन में
क्या हो रहा है और वो इस एक घंटे को इंटरैक्टिव बना सके। लेकिन 5 साल से
बड़ी उम्र के बच्चों के लिए स्किन टाइम देखने के लिए एकेडमी ने कोई
निश्चित गाइडलाइंस नहीं बनाई है। लेकिन आप इस उम्र के बच्चों के लिए यह
सुनिश्चित करने का प्रयास कर सकते हैं कि उनकी शारीरिक गतिविधि, पर्याप्त
नींद, स्कूल के काम के लिए समय, भोजन और परिवार के समय जैसी अन्य
गतिविधियों के साथ स्क्रीन समय को संतुलित किया जा सके। ऐसा करने से उसके
समग्र विकास में मदद मिल सकती है।
जरूरत से ज्यादा स्किन टाइम से होने वाले नुकसान-
वर्चुअल ऑटिज्म-
स्क्रीन के संपर्क में ज्यादा आने से बच्चों को वर्चुअल ऑटिज्म हो सकता है।
वर्चुअल ऑटिज्म का मतलब होता है कि भले ही आपके बच्चे में स्वाभाविक रूप
से ऑटिज्म के लक्षण ना हो लेकिन स्क्रीन के अधिक संपर्क में रहने से उसमें
ऑटिज्म के लक्षण विकसित हो सकते हैं।
भविष्य में डिप्रेशन और एंग्जायटी-
हाल ही की एक रिसर्च में यह साबित हुआ है कि बच्चे जितनी छोटी उम्र में
स्क्रीन टाइम के संपर्क में आते हैं उतना ही जल्दी भविष्य में उनमें
डिप्रेशन और एंग्जायटी के लक्षण देखे जा सकते हैं।
आज
ज्यादातर परेंट्स की यही शिकायत रहती है कि उनके बच्चे घंटों मोबाइल या
टीवी के आगे बैठे रहते हैं। जिसकी वजह से ना सिर्फ उनका दोस्तों के साथ
बाहर खेलना बंद हो गया है बल्कि वो कई तरह की शारीरिक समस्याओं का भी सामना
करने लगे हैं। बच्चों को लेकर पेरेंट्स की इस चिंता को देखते हुए आइए सबसे
पहले इस सवाल का जवाब जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर ये स्क्रीन टाइम
होता क्या है और उम्र के अनुसार किस बच्चे का कितना स्क्रीन टाइम होना
चाहिए। साथ ही यह भी जानेंगे कि स्क्रीन टाइम बढ़ने से बच्चों को क्या-क्या
नुकसान हो सकते हैं।
क्या होता है स्क्रीन टाइम?
स्क्रीन टाइम का मतलब होता है कि आपका बच्चा 24 घंटे में कितनी देर तक
मोबाइल, टीवी, लैपटॉप और टैबलेट जैसे गैजेट का इस्तेमाल करता है। जिस तरह
व्यक्ति को सेहतमंद बने रहने के लिए संतुलित भोजन का सेवन करना चाहिए। उसी
तरह उम्र के अनुसार स्क्रीन टाइम यूज करने के लिए उम्र के अनुसार एक
निश्चित समय सीमा होती है। जिसका सही मात्रा में और सही समय पर इस्तेमाल
किया जाना चाहिए।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार 2 साल से छोटे बच्चों
को स्क्रीन टाइम से दूर रखें। ऐसा ना करने पर बच्चे की भाषा, ज्ञान और
सोशल स्किल्स पर बुरा असर पड़ सकता है। एक्सपर्ट कहते हैं कि इस उम्र के
बच्चों को वीडियो कॉल का एक्सपोजर भी सीमित मात्रा में दिया जाना चाहिए।
बात अगर करें 2-5 साल तक के बच्चे की तो उन्हें एक घंटे से ज्यादा स्क्रीन न
देखने दें। हालांकि बच्चों को दिया जाने वाला ये स्किन टाइम भी घर के किसी
बड़े की देखरेख में दिया जाना चाहिए। जो उसे यह समझा सके कि स्क्रीन में
क्या हो रहा है और वो इस एक घंटे को इंटरैक्टिव बना सके। लेकिन 5 साल से
बड़ी उम्र के बच्चों के लिए स्किन टाइम देखने के लिए एकेडमी ने कोई
निश्चित गाइडलाइंस नहीं बनाई है। लेकिन आप इस उम्र के बच्चों के लिए यह
सुनिश्चित करने का प्रयास कर सकते हैं कि उनकी शारीरिक गतिविधि, पर्याप्त
नींद, स्कूल के काम के लिए समय, भोजन और परिवार के समय जैसी अन्य
गतिविधियों के साथ स्क्रीन समय को संतुलित किया जा सके। ऐसा करने से उसके
समग्र विकास में मदद मिल सकती है।
जरूरत से ज्यादा स्किन टाइम से होने वाले नुकसान-
वर्चुअल ऑटिज्म-
स्क्रीन के संपर्क में ज्यादा आने से बच्चों को वर्चुअल ऑटिज्म हो सकता है।
वर्चुअल ऑटिज्म का मतलब होता है कि भले ही आपके बच्चे में स्वाभाविक रूप
से ऑटिज्म के लक्षण ना हो लेकिन स्क्रीन के अधिक संपर्क में रहने से उसमें
ऑटिज्म के लक्षण विकसित हो सकते हैं।
भविष्य में डिप्रेशन और एंग्जायटी-
हाल ही की एक रिसर्च में यह साबित हुआ है कि बच्चे जितनी छोटी उम्र में
स्क्रीन टाइम के संपर्क में आते हैं उतना ही जल्दी भविष्य में उनमें
डिप्रेशन और एंग्जायटी के लक्षण देखे जा सकते हैं।