मध्यप्रदेश से कांग्रेस का सफाया, सभी 29 सीटों पर भाजपा की ऐतिहासिक विजय:

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भोपाल,  मध्यप्रदेश में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक प्रदर्शन के बाद भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव में भी उसी परंपरा को कायम रखते हुए कांग्रेस का न केवल राज्य से सफाया कर दिया, बल्कि पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खाते में गई एकमात्र छिंदवाड़ा सीट को भी पार्टी से छीनते हुए इस बार सभी 29 लोकसभा सीटें अपने नाम कर लीं।

कल आए लोकसभा चुनावों के परिणामों ने जहां एक ओर भाजपा के दिग्गजों, मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत अन्य नेताओं के चेहरे पर मुस्कान ला दी है, वहीं कांग्रेस के वरिष्ठतम नेताओं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया के राजनीतिक भविष्य पर भी सवालिया निशान लगा दिए हैं। ये तीनों नेता इस चुनाव में अपनी परंपरागत सीटें भी नहीं बचा पाए हैं। श्री सिंह और श्री भूरिया जहां एक ओर अपनी सीटों क्रमश: राजगढ़ और रतलाम-झाबुआ को नहीं बचा पाए, वहीं श्री कमलनाथ भी इस बार अपने गढ़ कहे जाने वाले छिंदवाड़ा से अपने पुत्र नकुलनाथ को जीत दिला पाने में असफल रह गए।

भाजपा की ओर से श्री चौहान ने अपनी परंपरागत सीट विदिशा से आठ लाख से भी ज्यादा मतों से जीत हासिल की। वहीं श्री शर्मा भी खजुराहो से लगभग साढ़े पांच लाख मतों से जीत पाकर अब लगातार इस सीट से दूसरी बार संसद पहुंचने वाले हैं। दूसरी ओर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता श्री सिंह को राजगढ़ में भाजपा प्रत्याशी रोडमल नागर के हाथों एक लाख 46 हजार से अधिक मतों से शिकस्त झेलना पड़ी।

भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी गुना से पांच लाख से अधिक मतों से विजयी होने में सफल रहे। भाजपा ने अपनी शानदान विजय का जश्न यहां देर शाम प्रदेश कार्यालय में मनाया, जहां पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, श्री शर्मा और श्री चौहान समेत अनेक नेता, पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद रहे।

डॉ यादव ने इस अवसर पर कहा कि भाजपा के वोट प्रतिशत में इस बार 11 प्रतिशत की वृद्धि हुयी है और यह 50 से बढ़कर 61 प्रतिशत तक पहुंच गया है। कुल 29 में से 25 सीटों पर भाजपा प्रत्याशी एक लाख से अधिक मतों से जीते हैं। इंदौर में भाजपा प्रत्याशी शंकर ललवानी 11 लाख 75 हजार से अधिक मतों से विजयी रहे, हालाकि यहां कांग्रेस प्रत्याशी के मैदान में नहीं होने से “नोटा” के विकल्प पर भी दो लाख से अधिक लोगों ने वोट किया।

राज्य के इन नतीजों की जहां भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने भी केंद्रीय मुख्यालय दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में जिक्र किया, तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने राज्य के जनादेश को स्वीकार करते हुए कहा कि वे इसकी जिम्मेदारी लेते हैं। इसके साथ ही उन्होंने आत्ममंथन करने और सकारात्मक बदलाव लाने के संकेत भी दिए।

कांग्रेस के गढ़ छिंदवाड़ा में भाजपा प्रत्याशी बंटी विवेक साहू ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के नकुलनाथ को एक लाख 13 हजार से अधिक मतों से पराजित किया। श्री साहू ने अपनी विजय के साथ ही कांग्रेस से यह सीट छीन ली है। रतलाम संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के आदिवासी नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को भी भाजपा की श्रीमती अनीता चौहान के हाथों पराजित होना पड़ा। हालांकि भाजपा उन लगभग आधा दर्जन सीटों पर भी विजय हासिल करने में भी सफल रही, जहां पर प्रत्याशियों के चयन के चलते ये सीट सत्तारूढ़ दल भाजपा के लिए “टफ” मानी जा रही थीं।

भाजपा का प्रदेश नेतृत्व इस अभूतपूर्व सफलता से बेहद गदगद नजर आ रहा है, क्योंकि इस तरह की सफलता मध्यप्रदेश के संसदीय इतिहास में भाजपा ने पहली बार हासिल की है। मुख्यमंत्री डॉ यादव और प्रदेश अध्यक्ष श्री शर्मा ने यह सफलता विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय नेतृत्व को समर्पित की है, वहीं राज्य के पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता के प्रति आभार व्यक्त किया है।


भोपाल,  मध्यप्रदेश में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक प्रदर्शन के बाद भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव में भी उसी परंपरा को कायम रखते हुए कांग्रेस का न केवल राज्य से सफाया कर दिया, बल्कि पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खाते में गई एकमात्र छिंदवाड़ा सीट को भी पार्टी से छीनते हुए इस बार सभी 29 लोकसभा सीटें अपने नाम कर लीं।

कल आए लोकसभा चुनावों के परिणामों ने जहां एक ओर भाजपा के दिग्गजों, मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत अन्य नेताओं के चेहरे पर मुस्कान ला दी है, वहीं कांग्रेस के वरिष्ठतम नेताओं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया के राजनीतिक भविष्य पर भी सवालिया निशान लगा दिए हैं। ये तीनों नेता इस चुनाव में अपनी परंपरागत सीटें भी नहीं बचा पाए हैं। श्री सिंह और श्री भूरिया जहां एक ओर अपनी सीटों क्रमश: राजगढ़ और रतलाम-झाबुआ को नहीं बचा पाए, वहीं श्री कमलनाथ भी इस बार अपने गढ़ कहे जाने वाले छिंदवाड़ा से अपने पुत्र नकुलनाथ को जीत दिला पाने में असफल रह गए।

भाजपा की ओर से श्री चौहान ने अपनी परंपरागत सीट विदिशा से आठ लाख से भी ज्यादा मतों से जीत हासिल की। वहीं श्री शर्मा भी खजुराहो से लगभग साढ़े पांच लाख मतों से जीत पाकर अब लगातार इस सीट से दूसरी बार संसद पहुंचने वाले हैं। दूसरी ओर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता श्री सिंह को राजगढ़ में भाजपा प्रत्याशी रोडमल नागर के हाथों एक लाख 46 हजार से अधिक मतों से शिकस्त झेलना पड़ी।

भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी गुना से पांच लाख से अधिक मतों से विजयी होने में सफल रहे। भाजपा ने अपनी शानदान विजय का जश्न यहां देर शाम प्रदेश कार्यालय में मनाया, जहां पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, श्री शर्मा और श्री चौहान समेत अनेक नेता, पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद रहे।

डॉ यादव ने इस अवसर पर कहा कि भाजपा के वोट प्रतिशत में इस बार 11 प्रतिशत की वृद्धि हुयी है और यह 50 से बढ़कर 61 प्रतिशत तक पहुंच गया है। कुल 29 में से 25 सीटों पर भाजपा प्रत्याशी एक लाख से अधिक मतों से जीते हैं। इंदौर में भाजपा प्रत्याशी शंकर ललवानी 11 लाख 75 हजार से अधिक मतों से विजयी रहे, हालाकि यहां कांग्रेस प्रत्याशी के मैदान में नहीं होने से “नोटा” के विकल्प पर भी दो लाख से अधिक लोगों ने वोट किया।

राज्य के इन नतीजों की जहां भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने भी केंद्रीय मुख्यालय दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में जिक्र किया, तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने राज्य के जनादेश को स्वीकार करते हुए कहा कि वे इसकी जिम्मेदारी लेते हैं। इसके साथ ही उन्होंने आत्ममंथन करने और सकारात्मक बदलाव लाने के संकेत भी दिए।

कांग्रेस के गढ़ छिंदवाड़ा में भाजपा प्रत्याशी बंटी विवेक साहू ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के नकुलनाथ को एक लाख 13 हजार से अधिक मतों से पराजित किया। श्री साहू ने अपनी विजय के साथ ही कांग्रेस से यह सीट छीन ली है। रतलाम संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के आदिवासी नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को भी भाजपा की श्रीमती अनीता चौहान के हाथों पराजित होना पड़ा। हालांकि भाजपा उन लगभग आधा दर्जन सीटों पर भी विजय हासिल करने में भी सफल रही, जहां पर प्रत्याशियों के चयन के चलते ये सीट सत्तारूढ़ दल भाजपा के लिए “टफ” मानी जा रही थीं।

भाजपा का प्रदेश नेतृत्व इस अभूतपूर्व सफलता से बेहद गदगद नजर आ रहा है, क्योंकि इस तरह की सफलता मध्यप्रदेश के संसदीय इतिहास में भाजपा ने पहली बार हासिल की है। मुख्यमंत्री डॉ यादव और प्रदेश अध्यक्ष श्री शर्मा ने यह सफलता विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय नेतृत्व को समर्पित की है, वहीं राज्य के पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता के प्रति आभार व्यक्त किया है।


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