इंदौर। मध्य
प्रदेश में यूजी फर्स्ट ईयर का सिलेबस अपग्रेड करने की तैयारी हो गई है।
कॉमर्स, साइंस और आर्ट्स विषय में नए-नए टॉपिक जोड़ दिए हैं। सिलेबस बनाने
वाली समिति ने प्रारूप बनाकर उच्च शिक्षा विभाग को दे दिया है, जो समन्वय
समिति को भेजा गया है। माना जा रहा है कि इस सत्र से ही विभाग 25 फीसद
सिलेबस नया कर सकता है। मगर कॉलेज में पढ़ाने वाले शिक्षक अगले सत्र से
पाठ्यक्रम में बदलाव पर जोर देने में लगे है।
बीए, बीकॉम और बीएससी
पाठ्यक्रम को लेकर जुलाई में समीक्षा की गई। जहां विशेषज्ञों ने सिलेबस में
बदलाव का सुझाव दिया। सूत्रों के मुताबिक कॉमर्स में जीएसटी और टैक्स,
साइंस में नई रिसर्च-आविष्कार समेत अन्य टॉपिक शामिल करने पर जोर दिया।
उच्च शिक्षा विभाग ने 25 फीसद सिलेबस अपग्रेड करने की जिम्मेदारी अलग-अलग
विश्वविद्यालय को सौंपी। बरकतउल्ला विवि को विज्ञान, भोज विश्वविद्यालय को
कॉमर्स और अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय को आर्ट्स विषय में
बदलाव करना था। तीनों विश्वविद्यालय को 30 सितंबर तक रिपोर्ट देना थी। ताकि
5 अक्टूबर को सिलेबस पर चर्चा हो सके।
जहां
प्रारूप में संशोधन के लिए कहा। 10 अक्टूबर को कोर्स अपग्रेड पर विभाग के
वरिष्ठ अधिकारियों ने सहमति दी और प्रस्ताव को समन्वय समिति को भेज दिया
है। बताया जाता है कि प्रदेश में उपचुनाव होने के चलते बैठक नहीं बुलाई जा
रही है। संभवत: नवंबर तीसरे सप्ताह में समिति इस पर हरी-झंडी दे सकती है।
इसके बाद कॉलेजों में नए सिलेबस के साथ पढ़ाई करवाई जाएगी। अतिरिक्त संचालक
डॉ. सुरेश सिलावट का कहना है कि प्रत्येक तीन से पांच साल के भीतर सिलेबस
अपग्रेड होता है। प्रक्रिया इन दिनों चल रही है। फिलहाल समन्वय समिति को
अपग्रेड सिलेबस पर मंजूरी देना है।
कर दी पढ़ाना शुरू
अपग्रेड सिलेबस इस सत्र से
लागू नहीं करने को लेकर शिक्षक इसलिए अड़े हुए है, क्योंकि उन लोगों ने
विद्यार्थियों को पढ़ाना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि जिन
विद्यार्थियों का यूजी फर्स्ट ईयर में प्रवेश लिया है उनकी अक्टूबर से
ऑनलाइन क्लासेस शुरू हो चुकी है। अभी तक विभाग ने यह स्पष्ट नहीं किया है
कि सिलेबस में किन टॉपिक्स को बदला है। बेहतर होगा कि अगले सत्र से नया
सिलेबस रखा जाएगा।
इंदौर। मध्य
प्रदेश में यूजी फर्स्ट ईयर का सिलेबस अपग्रेड करने की तैयारी हो गई है।
कॉमर्स, साइंस और आर्ट्स विषय में नए-नए टॉपिक जोड़ दिए हैं। सिलेबस बनाने
वाली समिति ने प्रारूप बनाकर उच्च शिक्षा विभाग को दे दिया है, जो समन्वय
समिति को भेजा गया है। माना जा रहा है कि इस सत्र से ही विभाग 25 फीसद
सिलेबस नया कर सकता है। मगर कॉलेज में पढ़ाने वाले शिक्षक अगले सत्र से
पाठ्यक्रम में बदलाव पर जोर देने में लगे है।
बीए, बीकॉम और बीएससी
पाठ्यक्रम को लेकर जुलाई में समीक्षा की गई। जहां विशेषज्ञों ने सिलेबस में
बदलाव का सुझाव दिया। सूत्रों के मुताबिक कॉमर्स में जीएसटी और टैक्स,
साइंस में नई रिसर्च-आविष्कार समेत अन्य टॉपिक शामिल करने पर जोर दिया।
उच्च शिक्षा विभाग ने 25 फीसद सिलेबस अपग्रेड करने की जिम्मेदारी अलग-अलग
विश्वविद्यालय को सौंपी। बरकतउल्ला विवि को विज्ञान, भोज विश्वविद्यालय को
कॉमर्स और अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय को आर्ट्स विषय में
बदलाव करना था। तीनों विश्वविद्यालय को 30 सितंबर तक रिपोर्ट देना थी। ताकि
5 अक्टूबर को सिलेबस पर चर्चा हो सके।
जहां
प्रारूप में संशोधन के लिए कहा। 10 अक्टूबर को कोर्स अपग्रेड पर विभाग के
वरिष्ठ अधिकारियों ने सहमति दी और प्रस्ताव को समन्वय समिति को भेज दिया
है। बताया जाता है कि प्रदेश में उपचुनाव होने के चलते बैठक नहीं बुलाई जा
रही है। संभवत: नवंबर तीसरे सप्ताह में समिति इस पर हरी-झंडी दे सकती है।
इसके बाद कॉलेजों में नए सिलेबस के साथ पढ़ाई करवाई जाएगी। अतिरिक्त संचालक
डॉ. सुरेश सिलावट का कहना है कि प्रत्येक तीन से पांच साल के भीतर सिलेबस
अपग्रेड होता है। प्रक्रिया इन दिनों चल रही है। फिलहाल समन्वय समिति को
अपग्रेड सिलेबस पर मंजूरी देना है।
कर दी पढ़ाना शुरू
अपग्रेड सिलेबस इस सत्र से
लागू नहीं करने को लेकर शिक्षक इसलिए अड़े हुए है, क्योंकि उन लोगों ने
विद्यार्थियों को पढ़ाना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि जिन
विद्यार्थियों का यूजी फर्स्ट ईयर में प्रवेश लिया है उनकी अक्टूबर से
ऑनलाइन क्लासेस शुरू हो चुकी है। अभी तक विभाग ने यह स्पष्ट नहीं किया है
कि सिलेबस में किन टॉपिक्स को बदला है। बेहतर होगा कि अगले सत्र से नया
सिलेबस रखा जाएगा।