भोपाल । सोयाबीन की फसल तैयार होकर मंडी में आने में 20 दिन का समय लगेगा लेकिन फसल आने से पहले ही सोयाबीन के दाम लगातार कम हो रहे थे, लगातार सोशल मीडिया पर सोयाबीन के समर्तन मूल्य पर 6000 प्रति क्विटल की मांग कर डाली है और किसानो फेसबुक, व्हाट्सएप , ट्विटर पर खूब चल रहे है। सोयाबीन के घटे दामों से परेशान किसानों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीद की घोषणा की है। हैरानी यह कि सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाले राज्य मप्र में खरीद नहीं होगी। महाराष्ट्र में भी उत्पादन 50 लाख टन के आसपास था। सोयाबीन उत्पादन में तीसरे नंबर पर राजस्थान और फिर गुजरात, छत्तीसगढ़ व अन्य राज्य आते हैं। हैरानी यह कि केंद्र ने बड़े उत्पादक राज्यों में से सिर्फ एक राज्य महाराष्ट्र को ही खरीद सूची में रखा है। घटे दामों के खिलाफ मप्र के किसान लगातार आंदोलनरत हैं। केंद्र की घोषणा के अनुसार सोयाबीन की समर्थन मूल्य पर खरीदी महाराष्ट्र, तेलंगाना और कर्नाटक में की जाएगी। प्रदेश के किसान न केवल ठगा महसूस कर रहे हैं और तेलंगाना और कर्नाटक का नाम शामिल होने से हैरान भी हैं। चुनावी राजनीति को इससे जोड़ा जा रहा है।
किसानों का कहना है कि लगातार डीजल पेट्रोल, पेस्टिसाइड, मजदूरी बढ़ती जा रही है लेकिन पिछले चार-पांच सालों में सोयाबीन के दाम कम ही हो रहे हैं। किसानों का कहना है की लागत बढ़ रही है और दाम सही नहीं मिलने से नुकसान हो रहा है। किसानों ने बताया कि प्रति बिघा 10000 रू के करीब खर्च हो रहा है सोयाबीन का उत्पादन तीन से 4 क्विटल प्रति बीघा रहता है वर्तमान में दम 4200से 4400 रुपए के नीचे प्रति कुंतल चल रहे हैं जो कि समर्थन मूल्य से भी कम अभी से हैं। ऐसे में किसानों को आने वाली फसल सोयाबीन का दाम ठीक नहीं मिलने की चिंता साफ झलक रही है किसानों ने सोशल मीडिया पर 6000 रू प्रति क्विटल सोयाबीन की मांग कर डाली है और इसे खूब वायरल किया जा रहा है जो इस समय चर्चा का विषय भी बना हुआ है।
मालवा प्रांत के भारतीय किसान संघ के संगठन मंत्री अतुल माहेश्वरी का कहना है कि मप्र में सोयाबीन के कम दामों को लेकर 16 सितंबर को आंदोलन कर रहे हैं। न सिर्फ सोयाबीन बल्कि हर फसल की सरकार समर्थन मूल्य पर खरीद करे और हर राज्य से समान रूप से खरीद हो। मध्य प्रदेश से भी खरीद होना चाहिए। हम यह मांग भी उठा रहे हैं। सोयाबीन का समर्थन मूल्य 4892 रुपये घोषित किया गया है। बाजार में इस समय सोयाबीन के दाम 4000 से 4600 रुपये क्विंटल ही हैं। सोपा के अनुसार मप्र में सोयाबीन का उत्पादन बीते सीजन में करीब 52 लाख टन रहा। गर्मियों में हकाई जुताई 1500 रू., रोटावेटर 500 रू. बीज एवं उपचार 2500 रू. निंदाई गुड़ाई बोवनी 1500 रू. खरपतवार नाशक ओर इल्ली पेस्टिसाइड के तीन/चार स्प्रे 1500 रू. हार्वेस्टिंग कटाई और सफाई 1200-1500 रु मजदूरी, घर-मंडी तक का भाड़ा 1000 रु.। केंद्र सरकार सालभर से खाद्य तेल का शुल्क मुक्त आयात कर रही है। सस्ता विदेशी तेल देश में आने से स्थानीय सोयाबीन के दाम घट गए हैं। दि सोयाबीन प्रोसेसर्स आफ इंडिया (सोपा) ने बीते दिनों केंद्र से मांग रखी थी कि तेल के आयात पर ड्यूटी बढ़ा दी जाए। इससे सस्ता विदेशी तेल नहीं आएगा तो स्थानीय किसानों का सोयाबीन मिलें अच्छे दाम पर खरीदेंगी। सोपा के डायरेक्टर डीएन पाठक के कहते हैं महाराष्ट्र तो मप्र के बराबरी से सोयाबीन उत्पादन करता है। तेलंगाना और कर्नाटक में तो बमुश्किल 3 लाख टन उत्पादन होता है। हमें उम्मीद है मध्य प्रदेश का नाम भी जुड़ेगा और आगे तेल पर आयात ड्यूटी भी बढ़ाई जाएगी। हालांकि सरकार सोयाबीन खरीदकर भी खुद तो तेल बना नहीं सकती। आगे-पीछे वो सोयाबीन मिलों के पास ही आएगा।
भोपाल । सोयाबीन की फसल तैयार होकर मंडी में आने में 20 दिन का समय लगेगा लेकिन फसल आने से पहले ही सोयाबीन के दाम लगातार कम हो रहे थे, लगातार सोशल मीडिया पर सोयाबीन के समर्तन मूल्य पर 6000 प्रति क्विटल की मांग कर डाली है और किसानो फेसबुक, व्हाट्सएप , ट्विटर पर खूब चल रहे है। सोयाबीन के घटे दामों से परेशान किसानों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीद की घोषणा की है। हैरानी यह कि सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाले राज्य मप्र में खरीद नहीं होगी। महाराष्ट्र में भी उत्पादन 50 लाख टन के आसपास था। सोयाबीन उत्पादन में तीसरे नंबर पर राजस्थान और फिर गुजरात, छत्तीसगढ़ व अन्य राज्य आते हैं। हैरानी यह कि केंद्र ने बड़े उत्पादक राज्यों में से सिर्फ एक राज्य महाराष्ट्र को ही खरीद सूची में रखा है। घटे दामों के खिलाफ मप्र के किसान लगातार आंदोलनरत हैं। केंद्र की घोषणा के अनुसार सोयाबीन की समर्थन मूल्य पर खरीदी महाराष्ट्र, तेलंगाना और कर्नाटक में की जाएगी। प्रदेश के किसान न केवल ठगा महसूस कर रहे हैं और तेलंगाना और कर्नाटक का नाम शामिल होने से हैरान भी हैं। चुनावी राजनीति को इससे जोड़ा जा रहा है।
किसानों का कहना है कि लगातार डीजल पेट्रोल, पेस्टिसाइड, मजदूरी बढ़ती जा रही है लेकिन पिछले चार-पांच सालों में सोयाबीन के दाम कम ही हो रहे हैं। किसानों का कहना है की लागत बढ़ रही है और दाम सही नहीं मिलने से नुकसान हो रहा है। किसानों ने बताया कि प्रति बिघा 10000 रू के करीब खर्च हो रहा है सोयाबीन का उत्पादन तीन से 4 क्विटल प्रति बीघा रहता है वर्तमान में दम 4200से 4400 रुपए के नीचे प्रति कुंतल चल रहे हैं जो कि समर्थन मूल्य से भी कम अभी से हैं। ऐसे में किसानों को आने वाली फसल सोयाबीन का दाम ठीक नहीं मिलने की चिंता साफ झलक रही है किसानों ने सोशल मीडिया पर 6000 रू प्रति क्विटल सोयाबीन की मांग कर डाली है और इसे खूब वायरल किया जा रहा है जो इस समय चर्चा का विषय भी बना हुआ है।
मालवा प्रांत के भारतीय किसान संघ के संगठन मंत्री अतुल माहेश्वरी का कहना है कि मप्र में सोयाबीन के कम दामों को लेकर 16 सितंबर को आंदोलन कर रहे हैं। न सिर्फ सोयाबीन बल्कि हर फसल की सरकार समर्थन मूल्य पर खरीद करे और हर राज्य से समान रूप से खरीद हो। मध्य प्रदेश से भी खरीद होना चाहिए। हम यह मांग भी उठा रहे हैं। सोयाबीन का समर्थन मूल्य 4892 रुपये घोषित किया गया है। बाजार में इस समय सोयाबीन के दाम 4000 से 4600 रुपये क्विंटल ही हैं। सोपा के अनुसार मप्र में सोयाबीन का उत्पादन बीते सीजन में करीब 52 लाख टन रहा। गर्मियों में हकाई जुताई 1500 रू., रोटावेटर 500 रू. बीज एवं उपचार 2500 रू. निंदाई गुड़ाई बोवनी 1500 रू. खरपतवार नाशक ओर इल्ली पेस्टिसाइड के तीन/चार स्प्रे 1500 रू. हार्वेस्टिंग कटाई और सफाई 1200-1500 रु मजदूरी, घर-मंडी तक का भाड़ा 1000 रु.। केंद्र सरकार सालभर से खाद्य तेल का शुल्क मुक्त आयात कर रही है। सस्ता विदेशी तेल देश में आने से स्थानीय सोयाबीन के दाम घट गए हैं। दि सोयाबीन प्रोसेसर्स आफ इंडिया (सोपा) ने बीते दिनों केंद्र से मांग रखी थी कि तेल के आयात पर ड्यूटी बढ़ा दी जाए। इससे सस्ता विदेशी तेल नहीं आएगा तो स्थानीय किसानों का सोयाबीन मिलें अच्छे दाम पर खरीदेंगी। सोपा के डायरेक्टर डीएन पाठक के कहते हैं महाराष्ट्र तो मप्र के बराबरी से सोयाबीन उत्पादन करता है। तेलंगाना और कर्नाटक में तो बमुश्किल 3 लाख टन उत्पादन होता है। हमें उम्मीद है मध्य प्रदेश का नाम भी जुड़ेगा और आगे तेल पर आयात ड्यूटी भी बढ़ाई जाएगी। हालांकि सरकार सोयाबीन खरीदकर भी खुद तो तेल बना नहीं सकती। आगे-पीछे वो सोयाबीन मिलों के पास ही आएगा।