भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपने सर्कुलर में सभी बैंकों को ईएमआई आधारित सभी प्रकार के पर्सनल लोन तय ब्याज दरों पर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. इसके अलावा ईएमआई आधारित पर्सनल लोन से जुड़े एफएक्यू में यह भी कहा गया है कि ईएमआई आधारित सभी प्रकार के पर्सनल लोन सर्कुलर के दायरे में आते हैं, चाहे ब्याज दर बाहरी बेंचमार्क से जुड़ी हो या आंतरिक बेंचमार्क से.इस बीच आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया कि लोन स्वीकृत करते समय जो भी लागू किया जा रहा है, चाहे वह वार्षिक ब्याज दर हो या वार्षिक प्रतिशत दर, इसकी पूरी जानकारी की फैक्ट स्टेटमेंट (केएफएस) और लोन एग्रीमेंट में दी जानी चाहिए.
इसके अलावा अगर लोन अवधि के दौरान बाहरी बेंचमार्क दर के आधार पर ईएमआई या लोन चुकाने की अवधि में कोई बढ़ोतरी की जाती है, तो इसकी जानकारी कर्जदार को जरूर मिलनी चाहिए.
साथ ही तिमाही विवरण भी देना होता है, जिसमें कर्जदार उस समय तक के मूलधन और ब्याज दर, ईएमआई की राशि, बची हुई ईएमआई और लोन अवधि के लिए सालाना ब्याज दर के बारे में जानकारी ले सकता है. रिपोर्ट बताती है कि पिछले कुछ सालों में एक से ज्यादा लोन लेने वालों की संख्या बढ़ी है. छोटे लोन लेने वाले करीब 50 लाख लोग ऐसे हैं जिन्होंने चार या उससे ज्यादा कर्जदाताओं से लोन लिया है.
नवंबर तक इनकी संख्या कुल कर्जदारों का करीब 6 फीसदी है. इतना ही नहीं क्रेडिट ब्यूरो सीआरआईएफ हाई मार्क के आंकड़ों से पता चलता है कि तीन या उससे ज्यादा कर्जदाताओं से लोन लेने वालों की संख्या 1.1 करोड़ है.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपने सर्कुलर में सभी बैंकों को ईएमआई आधारित सभी प्रकार के पर्सनल लोन तय ब्याज दरों पर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. इसके अलावा ईएमआई आधारित पर्सनल लोन से जुड़े एफएक्यू में यह भी कहा गया है कि ईएमआई आधारित सभी प्रकार के पर्सनल लोन सर्कुलर के दायरे में आते हैं, चाहे ब्याज दर बाहरी बेंचमार्क से जुड़ी हो या आंतरिक बेंचमार्क से.इस बीच आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया कि लोन स्वीकृत करते समय जो भी लागू किया जा रहा है, चाहे वह वार्षिक ब्याज दर हो या वार्षिक प्रतिशत दर, इसकी पूरी जानकारी की फैक्ट स्टेटमेंट (केएफएस) और लोन एग्रीमेंट में दी जानी चाहिए.
इसके अलावा अगर लोन अवधि के दौरान बाहरी बेंचमार्क दर के आधार पर ईएमआई या लोन चुकाने की अवधि में कोई बढ़ोतरी की जाती है, तो इसकी जानकारी कर्जदार को जरूर मिलनी चाहिए.
साथ ही तिमाही विवरण भी देना होता है, जिसमें कर्जदार उस समय तक के मूलधन और ब्याज दर, ईएमआई की राशि, बची हुई ईएमआई और लोन अवधि के लिए सालाना ब्याज दर के बारे में जानकारी ले सकता है. रिपोर्ट बताती है कि पिछले कुछ सालों में एक से ज्यादा लोन लेने वालों की संख्या बढ़ी है. छोटे लोन लेने वाले करीब 50 लाख लोग ऐसे हैं जिन्होंने चार या उससे ज्यादा कर्जदाताओं से लोन लिया है.
नवंबर तक इनकी संख्या कुल कर्जदारों का करीब 6 फीसदी है. इतना ही नहीं क्रेडिट ब्यूरो सीआरआईएफ हाई मार्क के आंकड़ों से पता चलता है कि तीन या उससे ज्यादा कर्जदाताओं से लोन लेने वालों की संख्या 1.1 करोड़ है.