सुशांत सिंह राजपूत केस में Kangana Ranaut (कंगना रनोट) लगातार मुखर रही हैं। अब Bollywood की इस एक्ट्रेस ने एक बार फिर विरोधियों पर निशाना साधा है। Kangana Ranaut ने अपना ताजा ट्वीट में उन लोगों पर निशाना साधा है, जो सीबीआई और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं। Kangana Ranaut ने अपने ट्वीट में लिखा, 'मैं कई सालों से बॉलीवुड में शोषण और बुलीइंग की शिकायत कर रही हूं। आज उसी कारण एक कलाकार की मृत्यु हो गई, अगर सुशांत की मृत्यु के बहाने बॉलीवुड का गटर साफ हो रहा है तो इनको इतनी तकलीफ क्यूं हो रही है इसका भी सारा हिसाब है मेरे पास। बॉलीवुड के गटर में रेंगने वालों अब पता चला कैसा लगता है जब सारे देश के सामने बेइज़्ज़त किया जाता है, निशाना बनाया जाता है,आइसलेट किया जाता है। क्यूं कहीं छुप या भाग जाने का मन कर रहा है? तुम इतने सारे भेड़िए हो झुंड में, अकेले का मन तो करेगा की मर जाए,नहीं?'
जब मेरा घर ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से तोड़ रहे थे, उस वक्त उतना ध्यान इस बिल्डिंग पे दिया होता तो आज यह लगभग पचास लोग जीवित होते, इतने जवान तो पुलवामा में पाकिस्तान में नहीं मरवाए जितने मासूमों को आपकी लापरवाही मार गयी, भगवान जाने क्या होगा मुंबई का।
प्रधानमंत्री जी कोई सो रहा हो उसे जगाया जा सकता है, जिसे ग़लतफ़हमी हो उसे समझाया जा सकता है मगर जो सोने की ऐक्टिंग करे, नासमझने की ऐक्टिंग करे उसे आपके समझाने से क्या फ़र्क़ पड़ेगा? ये वही आतंकी हैं CAA से एक भी इंसान की सिटिज़ेन्शिप नहीं गयी मगर इन्होंने ख़ून की नदियाँ बहा दी
जैसे श्री कृष्ण की नारायणी सेना थी, वैसे ही पप्पु की भी अपनी एक चंपू सेना है जो की सिर्फ़ अफ़वाहों के दम पे लड़ना जानती है, यह है मेरा अरिजिनल ट्वीट अगर कोई यह सिद्ध करदे की मैंने किसानों को आतंकी कहा, मैं माफ़ी माँगकर हमेशा केलिए ट्वीटर छोड़ दूँगी।
वो जो दिन रात किसानों की दुर्दशा का शोर मचाते थे वही आज देशहित में किसानों के सशक्तिकरण,आत्मनिर्भर बनाने वाले बिल का बहिष्कारकर,सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं को रोकना चाहते हैं इन दुखी लोगों के दुःख शायद कभी ख़त्म नहीं होंगे।
ठीक है मैं बॉर्डर पे जाती हूँ आप अगले अलिम्पिक्स में चले जाना, देश को गोल्ड मडेलस चाहिए हा हा हा यह सब कोई बी ग्रेड फ़िल्म नहीं है जहां कलाकार कुछ भी बन जाता है, आप तो मेटफ़ॉर्ज़ को लिटरली लेने लगे, इतने मंदबुद्धि कबसे हो गए, जब हमारी दोस्ती थी तब तो काफ़ी चतुर थे।
सुशांत सिंह राजपूत केस में Kangana Ranaut (कंगना रनोट) लगातार मुखर रही हैं। अब Bollywood की इस एक्ट्रेस ने एक बार फिर विरोधियों पर निशाना साधा है। Kangana Ranaut ने अपना ताजा ट्वीट में उन लोगों पर निशाना साधा है, जो सीबीआई और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं। Kangana Ranaut ने अपने ट्वीट में लिखा, 'मैं कई सालों से बॉलीवुड में शोषण और बुलीइंग की शिकायत कर रही हूं। आज उसी कारण एक कलाकार की मृत्यु हो गई, अगर सुशांत की मृत्यु के बहाने बॉलीवुड का गटर साफ हो रहा है तो इनको इतनी तकलीफ क्यूं हो रही है इसका भी सारा हिसाब है मेरे पास। बॉलीवुड के गटर में रेंगने वालों अब पता चला कैसा लगता है जब सारे देश के सामने बेइज़्ज़त किया जाता है, निशाना बनाया जाता है,आइसलेट किया जाता है। क्यूं कहीं छुप या भाग जाने का मन कर रहा है? तुम इतने सारे भेड़िए हो झुंड में, अकेले का मन तो करेगा की मर जाए,नहीं?'
जब मेरा घर ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से तोड़ रहे थे, उस वक्त उतना ध्यान इस बिल्डिंग पे दिया होता तो आज यह लगभग पचास लोग जीवित होते, इतने जवान तो पुलवामा में पाकिस्तान में नहीं मरवाए जितने मासूमों को आपकी लापरवाही मार गयी, भगवान जाने क्या होगा मुंबई का।
प्रधानमंत्री जी कोई सो रहा हो उसे जगाया जा सकता है, जिसे ग़लतफ़हमी हो उसे समझाया जा सकता है मगर जो सोने की ऐक्टिंग करे, नासमझने की ऐक्टिंग करे उसे आपके समझाने से क्या फ़र्क़ पड़ेगा? ये वही आतंकी हैं CAA से एक भी इंसान की सिटिज़ेन्शिप नहीं गयी मगर इन्होंने ख़ून की नदियाँ बहा दी
जैसे श्री कृष्ण की नारायणी सेना थी, वैसे ही पप्पु की भी अपनी एक चंपू सेना है जो की सिर्फ़ अफ़वाहों के दम पे लड़ना जानती है, यह है मेरा अरिजिनल ट्वीट अगर कोई यह सिद्ध करदे की मैंने किसानों को आतंकी कहा, मैं माफ़ी माँगकर हमेशा केलिए ट्वीटर छोड़ दूँगी।
वो जो दिन रात किसानों की दुर्दशा का शोर मचाते थे वही आज देशहित में किसानों के सशक्तिकरण,आत्मनिर्भर बनाने वाले बिल का बहिष्कारकर,सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं को रोकना चाहते हैं इन दुखी लोगों के दुःख शायद कभी ख़त्म नहीं होंगे।
ठीक है मैं बॉर्डर पे जाती हूँ आप अगले अलिम्पिक्स में चले जाना, देश को गोल्ड मडेलस चाहिए हा हा हा यह सब कोई बी ग्रेड फ़िल्म नहीं है जहां कलाकार कुछ भी बन जाता है, आप तो मेटफ़ॉर्ज़ को लिटरली लेने लगे, इतने मंदबुद्धि कबसे हो गए, जब हमारी दोस्ती थी तब तो काफ़ी चतुर थे।