रायपुर। राज्य में पुन: एक बार पुलिस सुधार की मांग को लेकर पुलिस परिवार
मुखर हो गया है। इस क्रम में पुलिस परिवार के सदस्यों ने अपने-अपने क्षेत्र
के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को पत्र लिखना शुरू कर दिया है। उनसे मांग की
है वे उनकी मांग को समर्थन देते हुए आगामी शीतकालीन विधानसभा सत्र में सदन
के पटल में आप लोगों के द्वारा रखा जाए। जिससे सरकार को निर्णय लेने में
आसानी हो और राज्य में पुलिस सुधार की मांग कर रहे पुलिस परिवार के सदस्यों
को सीधी राहत मिल पाए।
इधर कई जनप्रतिनिधियों ने भी अपने तरफ से राज्य
के मुखिया भूपेश बघेल को अपने-अपने लेटर पैड में पत्र लिख राज्य के पुलिस
परिवार की मांग को समर्थन देते हुए शीतकालीन विधानसभा सत्र में प्रस्ताव
लाने को कहा है। इस परिपेक्ष्य में पुलिस परिवार के सदस्यों ने चार पन्नों
का एक पत्र मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी लिखा है इसमें उनसे न केवल पुलिस
परिवार का दर्द साझा किया है बल्कि उनकी वर्षों पुरानी मांग सहित उनके उस
पत्र का भी जिक्र किया है,जो उन्होंने तब विपक्ष में रहकर प्रदेश के
तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को लिखकर राज्य में पुलिस सुधार की मांग
लागू करने को कहा था। नगर सैनिकों को भी पुलिस जवानों के समान वेतन, सुविधा
और अधिकार दिए जाने की अपील की थी। आज प्रदेश में उनके नेतृत्व में सरकार
बनी है जो विगत दो सालों से सत्ता में है। इस दौरान कांग्रेस सरकार ने कई
महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए है परन्तु पुलिस सुधार की मांग आज तक लागू नही की
गई है। इस बाद की पीड़ा पुलिस परिवार के सदस्यों को है।
पुलिस सुधार में क्या रही है मांग..
अब
तक कि सरकारों के द्वारा पुलिस विभाग के तृतीय वर्ग के कर्मचारियों के साथ
किये जा रहे सौतेले व्यवहार और अनुशासन के नाम पर शोषण करने के सम्बंध में
पुलिस सुधार हेतु पुलिस परिवार ने कई बार मांग पत्र लिखा है। राज्य के सभी
तृतीय वर्ग के पुलिस कर्मचारियों के वेतन एवं भत्ते केंद्र सरकार के तृतीय
वर्ग कर्मचारियों की तरह दिए अब तक कि सरकारों के द्वारा पुलिस विभाग के
तृतीय वर्ग केर्मचारियों के साथ किये जा रहे सौतेले व्यवहार और अनुशासन के
नाम पर शोषण करने के सम्बंध में पुलिस सुधार हेतु पुलिस परिवार ने कई बार
मांग पत्र लिखा है। राज्य के सभी तृतीय वर्ग के पुलिस कर्मचारियों के वेतन
एवं भत्ते केंद्र सरकार के तृतीय वर्ग कर्मचारियों की तरह दिए जाएं। राज्य
के सभी तृतीय वर्ग पुलिस कर्मचारियों के आवास की समुचित ब्यवस्था उपलब्ध बल
के अनुरूप की जाए। शासकीय कार्य हेतु वर्तमान में सायकल भत्ता दिया जा रहा
हूं उसे पेट्रोल भत्ता करते हुए कम से कम 2000 रुपये दिया जाए। पुलिस किट
व्यवस्था को मध्यप्रदेश की तरह बंद कर किट भत्ता दिया जाए।
ड्यूटी के
दौरान मरने वाले कर्मचारी को शहीद का दर्जा देते हुए मध्यप्रदेश की तरह 1
करोड़ रुपये की सहायता राशि व परिवार के 1 सदस्य को अनुकम्पा नियुक्ति दी
जाए। अवकाश की पात्रता को अन्य विभागों की तरह अनिवार्य किया जाए और सप्ताह
में एक दिन छुट्टी निश्चित की जाए। अन्य विभागों की तरह राज्य के तृतीय
वर्ग पुलिस कर्मचारियों के परिवार के मुफ्त इलाज की सुविधा प्रदान की जाए।
अन्य विभागों की तरह पुलिस की ड्यूटी करने का समय 8 घंटे निश्चित किया जाए
और निर्धारित समय से ज्यादा कार्य लेने पर अतिरिक्त भुगतान (ओटी) दिया जाए।
नक्सल प्रभावित जिलों में तैनात बल को उच्च मानक के सुरक्षा उपकरण जैसे
बुलेट प्रूफ जैकेट व अत्याधुनिक हथियार उपलब्ध कराए जाये। दस वर्ष की सेवा
पूर्ण कर चुके सिपाहियों को प्रमोशन दिया जाए। राज्य पुलिस में सहायक
आरक्षकों के रूप में सेवा दे रहे पुलिस कर्मियों को भी प्रमोशन का बराबर का
अधिकार मिले। नगर सैनिकों / गोपनीय सैनिकों को भी पुलिस की तरह सुविधाएं,
सम्मान और अधिकार दिया जाए।
रायपुर। राज्य में पुन: एक बार पुलिस सुधार की मांग को लेकर पुलिस परिवार
मुखर हो गया है। इस क्रम में पुलिस परिवार के सदस्यों ने अपने-अपने क्षेत्र
के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को पत्र लिखना शुरू कर दिया है। उनसे मांग की
है वे उनकी मांग को समर्थन देते हुए आगामी शीतकालीन विधानसभा सत्र में सदन
के पटल में आप लोगों के द्वारा रखा जाए। जिससे सरकार को निर्णय लेने में
आसानी हो और राज्य में पुलिस सुधार की मांग कर रहे पुलिस परिवार के सदस्यों
को सीधी राहत मिल पाए।
इधर कई जनप्रतिनिधियों ने भी अपने तरफ से राज्य
के मुखिया भूपेश बघेल को अपने-अपने लेटर पैड में पत्र लिख राज्य के पुलिस
परिवार की मांग को समर्थन देते हुए शीतकालीन विधानसभा सत्र में प्रस्ताव
लाने को कहा है। इस परिपेक्ष्य में पुलिस परिवार के सदस्यों ने चार पन्नों
का एक पत्र मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी लिखा है इसमें उनसे न केवल पुलिस
परिवार का दर्द साझा किया है बल्कि उनकी वर्षों पुरानी मांग सहित उनके उस
पत्र का भी जिक्र किया है,जो उन्होंने तब विपक्ष में रहकर प्रदेश के
तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को लिखकर राज्य में पुलिस सुधार की मांग
लागू करने को कहा था। नगर सैनिकों को भी पुलिस जवानों के समान वेतन, सुविधा
और अधिकार दिए जाने की अपील की थी। आज प्रदेश में उनके नेतृत्व में सरकार
बनी है जो विगत दो सालों से सत्ता में है। इस दौरान कांग्रेस सरकार ने कई
महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए है परन्तु पुलिस सुधार की मांग आज तक लागू नही की
गई है। इस बाद की पीड़ा पुलिस परिवार के सदस्यों को है।
पुलिस सुधार में क्या रही है मांग..
अब
तक कि सरकारों के द्वारा पुलिस विभाग के तृतीय वर्ग के कर्मचारियों के साथ
किये जा रहे सौतेले व्यवहार और अनुशासन के नाम पर शोषण करने के सम्बंध में
पुलिस सुधार हेतु पुलिस परिवार ने कई बार मांग पत्र लिखा है। राज्य के सभी
तृतीय वर्ग के पुलिस कर्मचारियों के वेतन एवं भत्ते केंद्र सरकार के तृतीय
वर्ग कर्मचारियों की तरह दिए अब तक कि सरकारों के द्वारा पुलिस विभाग के
तृतीय वर्ग केर्मचारियों के साथ किये जा रहे सौतेले व्यवहार और अनुशासन के
नाम पर शोषण करने के सम्बंध में पुलिस सुधार हेतु पुलिस परिवार ने कई बार
मांग पत्र लिखा है। राज्य के सभी तृतीय वर्ग के पुलिस कर्मचारियों के वेतन
एवं भत्ते केंद्र सरकार के तृतीय वर्ग कर्मचारियों की तरह दिए जाएं। राज्य
के सभी तृतीय वर्ग पुलिस कर्मचारियों के आवास की समुचित ब्यवस्था उपलब्ध बल
के अनुरूप की जाए। शासकीय कार्य हेतु वर्तमान में सायकल भत्ता दिया जा रहा
हूं उसे पेट्रोल भत्ता करते हुए कम से कम 2000 रुपये दिया जाए। पुलिस किट
व्यवस्था को मध्यप्रदेश की तरह बंद कर किट भत्ता दिया जाए।
ड्यूटी के
दौरान मरने वाले कर्मचारी को शहीद का दर्जा देते हुए मध्यप्रदेश की तरह 1
करोड़ रुपये की सहायता राशि व परिवार के 1 सदस्य को अनुकम्पा नियुक्ति दी
जाए। अवकाश की पात्रता को अन्य विभागों की तरह अनिवार्य किया जाए और सप्ताह
में एक दिन छुट्टी निश्चित की जाए। अन्य विभागों की तरह राज्य के तृतीय
वर्ग पुलिस कर्मचारियों के परिवार के मुफ्त इलाज की सुविधा प्रदान की जाए।
अन्य विभागों की तरह पुलिस की ड्यूटी करने का समय 8 घंटे निश्चित किया जाए
और निर्धारित समय से ज्यादा कार्य लेने पर अतिरिक्त भुगतान (ओटी) दिया जाए।
नक्सल प्रभावित जिलों में तैनात बल को उच्च मानक के सुरक्षा उपकरण जैसे
बुलेट प्रूफ जैकेट व अत्याधुनिक हथियार उपलब्ध कराए जाये। दस वर्ष की सेवा
पूर्ण कर चुके सिपाहियों को प्रमोशन दिया जाए। राज्य पुलिस में सहायक
आरक्षकों के रूप में सेवा दे रहे पुलिस कर्मियों को भी प्रमोशन का बराबर का
अधिकार मिले। नगर सैनिकों / गोपनीय सैनिकों को भी पुलिस की तरह सुविधाएं,
सम्मान और अधिकार दिया जाए।