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news Jashpur:: नागलोक में 11 हाथियों ने जमाया डेरा:

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जशपुर नगर। ओड़िशा और झारखंड की अन्तरराज्यीय सीमा पर स्थित तपकरा वन
रेंज में इन दिनों 11 हाथी डेरा जमाए हुए हैं। वन विभाग के अनुसार 5 हाथियो
का दल ग्राम पंचायत के मसरी घाट के सुन्डरु में,4 हाथियों का दल जबला के
आसपास और दो हाथी सुइजोर के नजदीकी जंगल मे डेरा जमाए हुए हैं। हाथियो के
इन दलों ने बीते दो दिन में 8 मकानों को नुकसान पहुचाने के साथ कुछ फसल भी
रौंदे हैं। प्रभावितों को राहत राशि देने के लिए राजस्व विभाग के कर्मचारी
प्रकरण तैयार करने में जुटे हुए हैं। जानकारी के लिए बता दें कि तपकरा वन
परिक्षेत्र हाथियो का स्थाई डेरा बन चुका है।


यहां ओड़िसा और झारखंड
की ओर से हाथियो की आवाजाही लगी रहती है। झारखंड का शांति और ओडिशा का
गौतमी दल का तपकरा रेंज पसंदीदा क्षेत्र है। बीते साल नवम्बर से दिसम्बर के
बीच इस रेंज में हाथियो की संख्या 80 तक पहुँच गई थी। इस दौरान बड़े पैमाने
में जनहानि और सम्पत्ति हानि का प्रकरण दर्ज किया गया था। इस दौरान जनहानि
को रोकने के लिए वन विभाग ने सरकारी भवन उपलब्ध कराने के लिए फरसाबहार के
एसडीएम को पत्र भी लिखा था,ताकि प्रभावित गांव में कच्चे मकान में रहने
वाले ग्रामीणों को रात के वक्त सुरक्षित ठिकाना उपलब्ध कराया जा सके।



जशपुर नगर। ओड़िशा और झारखंड की अन्तरराज्यीय सीमा पर स्थित तपकरा वन
रेंज में इन दिनों 11 हाथी डेरा जमाए हुए हैं। वन विभाग के अनुसार 5 हाथियो
का दल ग्राम पंचायत के मसरी घाट के सुन्डरु में,4 हाथियों का दल जबला के
आसपास और दो हाथी सुइजोर के नजदीकी जंगल मे डेरा जमाए हुए हैं। हाथियो के
इन दलों ने बीते दो दिन में 8 मकानों को नुकसान पहुचाने के साथ कुछ फसल भी
रौंदे हैं। प्रभावितों को राहत राशि देने के लिए राजस्व विभाग के कर्मचारी
प्रकरण तैयार करने में जुटे हुए हैं। जानकारी के लिए बता दें कि तपकरा वन
परिक्षेत्र हाथियो का स्थाई डेरा बन चुका है।


यहां ओड़िसा और झारखंड
की ओर से हाथियो की आवाजाही लगी रहती है। झारखंड का शांति और ओडिशा का
गौतमी दल का तपकरा रेंज पसंदीदा क्षेत्र है। बीते साल नवम्बर से दिसम्बर के
बीच इस रेंज में हाथियो की संख्या 80 तक पहुँच गई थी। इस दौरान बड़े पैमाने
में जनहानि और सम्पत्ति हानि का प्रकरण दर्ज किया गया था। इस दौरान जनहानि
को रोकने के लिए वन विभाग ने सरकारी भवन उपलब्ध कराने के लिए फरसाबहार के
एसडीएम को पत्र भी लिखा था,ताकि प्रभावित गांव में कच्चे मकान में रहने
वाले ग्रामीणों को रात के वक्त सुरक्षित ठिकाना उपलब्ध कराया जा सके।



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