नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय झारखंड सरकार और राज्य के
पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नीरज सिन्हा के खिलाफ लंबित अवमानना याचिका को
तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर बृहस्पतिवार को राजी हो गया।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि सिन्हा 31 जनवरी को सेवानिवृत्त होने
के बाद भी पद पर बने हुए हैं। प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण, न्यायमूर्ति
ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ को बताया गया कि इस
अवमानना याचिका को पिछले साल सितंबर में सूचीबद्ध करने का आदेश दिया गया
था, लेकिन यह अब तक सुनवाई के लिए नहीं आई है।
पीठ ने कहा, ‘‘मुझे मामलों की फाइल दीजिए। हम देखेंगे।’’ इस याचिका का
पहले तीन फरवरी और फिर नौ फरवरी को तत्काल सुनवाई के लिए जिक्र किया गया
था।
शीर्ष अदालत ने 14 जुलाई, 2021 को राज्य सरकार, उसके शीर्ष अधिकारियों
और संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के खिलाफ उसके फैसले के कथित उल्लंघन के
लिए अवमानना याचिका पर नोटिस जारी किये थे। बाद में इसने सिन्हा को अवमानना
याचिका का पक्षकार भी बना दिया।
याचिकाकर्ता राजेश कुमार ने न्यायालय के फैसले के लगातार उल्लंघन का
आरोप लगाते हुए मामले की तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए कहा कि इसे
पिछले साल तीन सितंबर से सूचीबद्ध नहीं किया गया है।
नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय झारखंड सरकार और राज्य के
पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नीरज सिन्हा के खिलाफ लंबित अवमानना याचिका को
तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर बृहस्पतिवार को राजी हो गया।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि सिन्हा 31 जनवरी को सेवानिवृत्त होने
के बाद भी पद पर बने हुए हैं। प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण, न्यायमूर्ति
ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ को बताया गया कि इस
अवमानना याचिका को पिछले साल सितंबर में सूचीबद्ध करने का आदेश दिया गया
था, लेकिन यह अब तक सुनवाई के लिए नहीं आई है।
पीठ ने कहा, ‘‘मुझे मामलों की फाइल दीजिए। हम देखेंगे।’’ इस याचिका का
पहले तीन फरवरी और फिर नौ फरवरी को तत्काल सुनवाई के लिए जिक्र किया गया
था।
शीर्ष अदालत ने 14 जुलाई, 2021 को राज्य सरकार, उसके शीर्ष अधिकारियों
और संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के खिलाफ उसके फैसले के कथित उल्लंघन के
लिए अवमानना याचिका पर नोटिस जारी किये थे। बाद में इसने सिन्हा को अवमानना
याचिका का पक्षकार भी बना दिया।
याचिकाकर्ता राजेश कुमार ने न्यायालय के फैसले के लगातार उल्लंघन का
आरोप लगाते हुए मामले की तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए कहा कि इसे
पिछले साल तीन सितंबर से सूचीबद्ध नहीं किया गया है।