News Raipur :: रामकृष्ण मिशन विवेकानंद आश्रम रायपुर के प्रमुख स्वामी श्री सत्यरूपानंद जी महाराज जी का आज आकस्मिक निधन । बृजमोहन ने किया उन्हें याद और कहा ......:

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रामकृष्ण मिशन विवेकानंद आश्रम रायपुर के प्रमुख स्वामी श्री सत्यरूपानंद जी महाराज जी का आज आकस्मिक निधन हो गया। उनका अनायास हम सब को छोड़कर  चले जाना छत्तीसगढ़ की जनता के लिए अपूरणीय क्षति है। स्वामी जी उच्च कोटि के  विद्वान, सरल एवं सुलझे संत पुरुष थे। उनका पूरा जीवन सुदूर वनांचल क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों के शैक्षणिक विकास, वनवासी युवा एवं महिलाओं को स्वाभिमानी एवं स्वालंबन की दिशा में ले जाने में गुजरा। स्वामी जी अपने आप में एक संस्थान थे। उन्होंने गेरुआ वस्त्र धारण करने के बाद से ही पूरा जीवन ही समाज सेवा के क्षेत्र में लगा दिया। लोगों के नैतिक, चारित्रिक व आध्यात्मिक विकास के लिए महाराज जी ने  पूरा जीवन लगाया। महाराज जी से मेरा परिचय 35 साल पुराना है जब वे जगदलपुर में थे 1990 में रायपुर आने के बाद तो महाराज श्री से मेरी मुलाकात होते ही रहती थी। अनेक अवसरों पर वे स्वयं खबर भेज कर बुलवा लेते थे उनके साथ बैठकर चर्चा करना जीवन की अद्भुत अनुभूति होती थी। महाराज श्री विद्वता के भंडार थे जिस विषय में बात करो वे आपके पूर्ण संतुष्टि तक जवाब देते थे। आज उनके निधन से प्रदेश ने एक विद्वान संत पुरुष को खो दिया है।



रामकृष्ण मिशन विवेकानंद आश्रम रायपुर के प्रमुख स्वामी श्री सत्यरूपानंद जी महाराज जी का आज आकस्मिक निधन हो गया। उनका अनायास हम सब को छोड़कर  चले जाना छत्तीसगढ़ की जनता के लिए अपूरणीय क्षति है। स्वामी जी उच्च कोटि के  विद्वान, सरल एवं सुलझे संत पुरुष थे। उनका पूरा जीवन सुदूर वनांचल क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों के शैक्षणिक विकास, वनवासी युवा एवं महिलाओं को स्वाभिमानी एवं स्वालंबन की दिशा में ले जाने में गुजरा। स्वामी जी अपने आप में एक संस्थान थे। उन्होंने गेरुआ वस्त्र धारण करने के बाद से ही पूरा जीवन ही समाज सेवा के क्षेत्र में लगा दिया। लोगों के नैतिक, चारित्रिक व आध्यात्मिक विकास के लिए महाराज जी ने  पूरा जीवन लगाया। महाराज जी से मेरा परिचय 35 साल पुराना है जब वे जगदलपुर में थे 1990 में रायपुर आने के बाद तो महाराज श्री से मेरी मुलाकात होते ही रहती थी। अनेक अवसरों पर वे स्वयं खबर भेज कर बुलवा लेते थे उनके साथ बैठकर चर्चा करना जीवन की अद्भुत अनुभूति होती थी। महाराज श्री विद्वता के भंडार थे जिस विषय में बात करो वे आपके पूर्ण संतुष्टि तक जवाब देते थे। आज उनके निधन से प्रदेश ने एक विद्वान संत पुरुष को खो दिया है।


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